पलामू: एशिया के बड़े पलाश बगान में सूखी डालियां और पते हर्बल होली मनाने वाले को मायूस कर रही हैं. फरवरी महीने में ही पलाश के फूल निकलते हैं. जिनसे देसी हर्बल रंग-गुलाल तैयार होता है, लेकिन इस बार मार्च का महीना आ गया है, लेकिन पलाश के पेड़ों पर फूल नहीं निकले हैं.
पलाश के फूल नहीं निकलने से वन विभाग के लोग मायूस हैं. कुंदरी लाह बगान 2018 के अंतिम महीनों से विवाद में है, जिस कारण हर्बल रंग के साथ-साथ लाह (लाख) के उत्पादन पर असर पड़ा है. 2019 तक बाजार में कुंदरी में निर्मित हर्बल रंग और गुलाल बाजार में मिलते थे.
ठप है हर्बल रंग और गुलाल का उत्पादन
कुंदरी लाह बगान में हर्बल रंग और गुलाल का उत्पादन पूरी तरह से ठप है. वन विभाग और लाह उत्पादन सहयोग समिति के बीच हुए विवाद के बाद उत्पादन ठप है. 2017 में पलामू के तत्कालीन डीसी अमित कुमार के पहल पर ऋद्धि-सिद्धि प्राथमिक लाह उत्पादक सहयोग समिति का गठन किया था. समिति के कमलेश सिंह सचिव चुने गए थे जिसके बाद हर्बल रंग और गुलाल का उत्पादन शुरू हुआ था. प्रत्यक्ष तौर पर इस उत्पादन से 500 से अधिक लोगों को रोजगार मिला था. उस दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने कुंदरी लाह बगान के कार्यों की सराहना करते हुए किताब में जगह भी दिया था. ग्रामीण समिति को 25 रुपये किलो के हिसाब से पलाश का फूल बेचा करते थे. सहकारी समिति के सचिव कमलेश कुमार सिंह बताते है कि संसाधन के अभाव में उत्पादन नहीं हो पाया, मजदूरों को 2017-18 से मजदूरी नहीं मिला है. मजदूर भय से नहीं बोल पा रहे है.
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कुंदरी लाह बगान रिजर्व फॉरैस्ट, विभाग करेगा पहल
कुंदरी लाह बगान मामले पर बोलते हुए डीएफओ राहुल कुमार ने बताया कि पूरा एरिया रिजर्व फारेस्ट है. कुछ दबंगों ने उस पर कब्जा करना चाहा था. वह विभाग ने सभी के खिलाफ कार्रवाई किया है. वह विभाग ग्रामिणों की मदद से जल्द ही सार्थक पहल करेगा.
बता दें कि कुंदरी लाह बगान एशिया का बड़ा लाह बगान है. करीब 241 एकड़ में फैले बगान में करीब 85 हजार पलाश के पेड़ है. कुंदरी लाह बगान रंगीनी लाह बीज (ब्रूडलैक) के लिए मशहूर है. कुंदरी लाह बगान में इतने पेड़ है कि प्रति वर्ष 12 टन हर्बल रंग और गुलाल का उत्पादन हो सकता है. 10 ग्राम हर्बल गुलाल की कीमत ढाई रुपये है.