पलामू: झारखंड में नीलगाय की बढ़ती संख्या में किसानों की चिंता को बढ़ा दी है. पलामू में नीलगाय हर साल सैकड़ों एकड़ में लगे फसल को बर्बाद कर देती है. पलामू में नीलगायों का आतंक सबसे अधिक है. नीलगाय से हो रहे फसलों के नुकसान का मामला विधानसभा में भी उठ चुका है. सरकार ने इस मामले में तकनीक अपनाने का जवाब दे चुकी है. वहीं, प्रमंडल में नीलगाय के आतंक को देखते हुए प्रमंडलीय आयुक्त जटाशंकर चौधरी ने किसानों अजीबोगरीब सुझाव दिया है.
प्रमंडलीय आयुक्त जटाशंकर चौधरी ने बताया कि नीलगाय की बढ़ती संख्या चिंता का विषय बन चुका है. इको सिस्टम में गड़बड़ी के कारण नीलगायों की संख्या बढ़ी है. उन्होंने कहा कि बाघ जैसे जानवरों के कम होने और जंगलों के कटने से नीलगायों की संख्या बढ़ी है. उन्होंने बताया कि किसी जमाने में जंगलों से ही नीलगाय को भोजन मिल जाता था, लेकिन धीरे-धीरे जंगल कम हुए और नीलगायों ने गावों की तरफ रुख किया और फसलों को खत्म करने लगे.
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प्रमंडलीय आयुक्त जटाशंकर चौधरी ने कहा कि किसानों को नीलगाय से बचने के लिए अजीबोगरीब सुझाव दिया. उन्होंने कहा कि किसानों को नीलगायों से बचने के लिए ऐसी खेती करनी चाहिए जो नीलगाय नहीं खाते हैं. उन्होंने किसानों को पिपरमिंट जैसी वैकल्पिक खेती पर ध्यान देने के लिए कहा ताकि उन्हें आर्थिक लाभ हो और नीलगायों के कारण नुकसान उठाना नहीं पड़े.
हालांकि, झारखंड सरकार ने इस मुद्दे पर कदम उठाने का आश्वासन दिया है. झारखंड में बोमा तकनीक से नीलगायों से निबटने की तैयारी की जा रही है. दक्षिण अफ्रीका की इस बोमा तकनीक से भारत के मध्यप्रदेश के इलाके में नीलगायों से निबटा जा रहा है. अब झारखंड सरकार भी बोमा तकनीक को अपनाने वाली है. विधानसभा में झारखंड सरकार ने इस सबंध में बयान दिया है. झारखंड बिहार सीमावर्ती क्षेत्र के पलामू में बड़े पैमाने पर नीलगाय फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं. विधायक कमलेश सिंह ने बताया कि विधानसभा में उन्होंने इस मामले को उठाया था. जिसके बाद झारखंड सरकार ने बोमा तकनीक अपनाने का आश्वासन दिया है.