रांची: झारखंड विधानसभा से पारित मॉब लिंचिंग बिल के खिलाफ विरोध जारी है. बिल को संविधान विरोधी बताते हुए राज्यपाल रमेश बैस से बीजेपी ने गुहार लगाई है. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश और बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने राज्यपाल से मुलाकात कर इस बिल पर न केवल नाराजगी जताई है बल्कि इस संबंध में ज्ञापन भी सौंपा है.
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तुष्टीकरण के लिए लाया गया बिल
राज्यपाल से मुलाकात के बाद प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा कि कोई भी सभ्य समाज मॉब लिंचिंग का समर्थन नही करता और न ही भारतीय जनता पार्टी किसी भी प्रकार की मॉब लिंचिंग का समर्थन करती है. उन्होंने शीतकालीन सत्र में झारखंड विधानसभा से पारित बिल को असंवैधानिक,गैर कानूनी और झारखंड की परंपराओं ,रीति रिवाज की व्यवस्था के खिलाफ बताया और कहा कि यह विधेयक हेमंत सरकार की नीति की पराकाष्ठा है.
कानून से प्रभावित होगा आम जनजीवन
दीपक प्रकाश ने कहा कि इस बिल में जो प्रावधान किए गए है यदि वो कानून बनते है तो आम आदमी का जीवन राज्य में बुरी तरह प्रभावित होगा. उन्होंने कहा कि इसके प्रावधान समुदाय विशेष को खुश करने और वोट बैंक को मजबूत करने के लिए किये गए हैं. इस विधेयक में मॉब को गलत ढंग से परिभाषित किया गया है. इस बिल के आधार पर यदि दो व्यक्ति भलें वे पति पत्नी ही क्यों न हों मॉब हो जायेंगे. वो यदि किसी दुकानदार से सामान लेने से मना कर देते हैं, शिक्षण,स्वास्थ्य सेवाओं,पेयजल ,परिवहन व्यवस्था की त्रुटियों पर सवाल खड़ा करते हुए उसका बहिष्कार करते हों तो यह मॉब लिंचिंग माना जायेगा. ऐसे में किसी को निवास से बाहर करना भी अवैध माना जायेगा.
धर्मांतरण को बढ़ावा देने वाला है बिल
दीपक प्रकाश ने कहा कि राज्य के ग्रामीण इलाकों में स्थानीय रीति रिवाजों के आधार पर कई फैसले लिए जाते है. इस बिल के अनुसार ऐसे दंडात्मक फैसले मॉब लिंचिंग माने जाएंगे. यह विधेयक लोक अदालत,पंचायती राज व्यवस्था पर भी प्रश्न चिन्ह खड़ा करता है. उन्होंने कहा कि यह बिल पूरी तरह सामाजिक परंपराओं ,संस्थाओं पर कुठाराघात है और धर्मांतरण को बढ़ावा देने वाला है. बता दें कि राज्यपाल से मुलाकात करने गए बीजेपी प्रतिनिधिमंडल में रांची की मेयर आशा लकड़ा, प्रदेश महामंत्री आदित्य साहू और डॉ प्रदीप वर्मा भी शामिल थे.