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बूढ़ा पहाड़ छोड़ कर भागे माओवादी, एक दशक तक रहा आतंक का केंद्र बिंदु - इनामी माओवादी देव कुमार सिंह

पिछले एक दशक से बूढ़ा पहाड़ माओवादी के आतंक का केंद्र बिंदु बना हुआ था. यहां पिछले 15 दिनों से सुरक्षाबल माओवादियों के खिलाफ अभियान चला रहे हैं. बढ़ते दबाव को देखते हुए इस पूरे इलाके को छोड़कर माओवादी फरार हो गए हैं (Maoist have fled from buddha pahad area).

Maoist have fled from buddha pahad area
Maoist have fled from buddha pahad area
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Published : Sep 6, 2022, 6:15 PM IST

पलामू: झारखंड छत्तीसगढ़ सीमा पर मौजूद बूढ़ा पहाड़ को माओवादियों ने खाली कर दिया है (Maoist have fled from buddha pahad area). सुरक्षाबल माओवादियों के सबसे सुरक्षित ठिकाना बूढ़ा पहाड़ के जोंकपानी थलिया में पंहुच चुके हैं. सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार करीब 15 दिन पहले बूढ़ापहाड़ पर माओवादियों के खिलाफ अभियान शुरू किया था. इसी अभियान में सुरक्षाबलों के रुख को देखते हुए माओवादियों ने बूढ़ा पहाड़ को खाली कर दिया है.

ये भी पढ़ें: बूढ़ा पहाड़ के चप्पे चप्पे पर पहुंची पुलिस, ग्राउंड जीरो से ईटीवी भारत की रिपोर्ट

माओवादी बूढ़ा पहाड़ को खाली करने के बाद किस इलाके में गए हैं, इसकी जानकारी सुरक्षा एजेंसियों तक नही पंहुच पाई है. 2013-14 के बाद माओवादियों ने पहली बार इलाके को खाली किया है. एक दशक से बूढ़ा पहाड़ सुरक्षाबलों के लिए चुनौती बना हुआ था. माओवादियों ने 2012-13 में बूढ़ा पहाड़ को अपना यूनिफाइड कमांड बनाया था. 2011-12 में लातेहार के सरयू इलाके को सुरक्षाबलों ने खाली करवाया था, उसके बाद नक्सलियों ने बूढ़ा पहाड़ को यूनिफाइड कमांड बनाया था. यूनिफाइड कमांड बनाने के बाद पहली बार माओवादी इलाके को छोड़ कर भागे हैं. माओवादी स्थाई तौर पर छोड़ कर भागे हैं या सुरक्षाबलों के दबाव में अस्थाई तौर भागे हैं इसका पता फिलहाल नहीं चल पाया है.


बूढ़ा पहाड़ छोड़कर भागने वाले माओवादियों के हथियार को बरामद करना सुरक्षाबलों के लिए बड़ी चुनौती है. 2018-19 में बूढ़ा पहाड़ का टॉप कमांडर बिरसाय और 2021 में 25 लाख के इनामी विमल यादव ने आत्मसमर्पण किया है. दोनों ने हथियार का ब्यौरा सुरक्षाबलों दिया है. दोनों ने सुरक्षाबलों को बताया है कि माओवादियों के कैडर के पास इजरायली पांच एक्स 95 हथियार, एके 56- 08 राइफल, एके 47- 16 राइफल, इंसास 14 फाइफल है. जबकि थ्री नॉट थ्री भी दो दर्जन के करीब हैं. विमल और बिरसा ने सुरक्षाबलों को बताया था कि बूढ़ा पहाड़ के इलाके में एक दर्जन के करीब माओवादियों के बंकर हैं. इन्हीं बंकरों में माओवादी सारे सामान को छिपाकर रखे गए हैं. बूढ़ापहाड़ पर ही माओवादियों ने तीर माइंस, सिरिंज माइंस, लट्टू माइंस को विकसित किया है.

2018 में बूढ़ा पहाड़ पर एक करोड़ के इनामी माओवादी देव कुमार सिंह उर्फ अरविंद की मौत हो गई थी. अरविंद की मौत के बाद से माओवादी बूढ़ा पहाड़ पर कमजोर होने लगे. अरविंद की मौत के बाद सुधारकरण और उसकी पत्नी को बूढ़ा पहाड़ का इंचार्ज बनाया गया था. सुधारकरण ने 2019-20 में तेलंगाना में पूरी टीम के साथ आत्मसमर्पण कर दिया. सुधारकरण के आत्मसमर्पण के बाद बूढ़ा पहाड़ पर माओवादियों को कोई बड़ा कमांडर नहीं मिल पाया. बाद में एक दर्जन अन्य कमांडरों ने धीरे धीरे आत्मसमर्पण कर दिया.

बूढ़ा पहाड़ के कोर एरिया जोंकपानी, थलिया में सुरक्षाबलों के कैंप स्थापित करने की योजना है. फिलहाल बूढ़ा पहाड़ के बहेराटोली और भुताहीमोड़ में कैंप हैं. बहेराटोली के बाद झारखंड की तरफ से फिलहाल तिसिया और नावाटोली में कैंप स्थापित किया जाएगा. उसके बाद जोंकपानी में झारखंड पुलिस कैंप स्थापित किया जाएगा. तिसिया और नावाटोली में कैंप स्थापित करने को लेकर गारु और बारेसाढ़ सुरक्षाबलों ने करीब 500 से अधिक ट्रैक्टर को जमा किया है. मौसम सही रहने के बाद इसी अभियान में जोंकपानी में कैंप स्थापित कर दिया.

पलामू: झारखंड छत्तीसगढ़ सीमा पर मौजूद बूढ़ा पहाड़ को माओवादियों ने खाली कर दिया है (Maoist have fled from buddha pahad area). सुरक्षाबल माओवादियों के सबसे सुरक्षित ठिकाना बूढ़ा पहाड़ के जोंकपानी थलिया में पंहुच चुके हैं. सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार करीब 15 दिन पहले बूढ़ापहाड़ पर माओवादियों के खिलाफ अभियान शुरू किया था. इसी अभियान में सुरक्षाबलों के रुख को देखते हुए माओवादियों ने बूढ़ा पहाड़ को खाली कर दिया है.

ये भी पढ़ें: बूढ़ा पहाड़ के चप्पे चप्पे पर पहुंची पुलिस, ग्राउंड जीरो से ईटीवी भारत की रिपोर्ट

माओवादी बूढ़ा पहाड़ को खाली करने के बाद किस इलाके में गए हैं, इसकी जानकारी सुरक्षा एजेंसियों तक नही पंहुच पाई है. 2013-14 के बाद माओवादियों ने पहली बार इलाके को खाली किया है. एक दशक से बूढ़ा पहाड़ सुरक्षाबलों के लिए चुनौती बना हुआ था. माओवादियों ने 2012-13 में बूढ़ा पहाड़ को अपना यूनिफाइड कमांड बनाया था. 2011-12 में लातेहार के सरयू इलाके को सुरक्षाबलों ने खाली करवाया था, उसके बाद नक्सलियों ने बूढ़ा पहाड़ को यूनिफाइड कमांड बनाया था. यूनिफाइड कमांड बनाने के बाद पहली बार माओवादी इलाके को छोड़ कर भागे हैं. माओवादी स्थाई तौर पर छोड़ कर भागे हैं या सुरक्षाबलों के दबाव में अस्थाई तौर भागे हैं इसका पता फिलहाल नहीं चल पाया है.


बूढ़ा पहाड़ छोड़कर भागने वाले माओवादियों के हथियार को बरामद करना सुरक्षाबलों के लिए बड़ी चुनौती है. 2018-19 में बूढ़ा पहाड़ का टॉप कमांडर बिरसाय और 2021 में 25 लाख के इनामी विमल यादव ने आत्मसमर्पण किया है. दोनों ने हथियार का ब्यौरा सुरक्षाबलों दिया है. दोनों ने सुरक्षाबलों को बताया है कि माओवादियों के कैडर के पास इजरायली पांच एक्स 95 हथियार, एके 56- 08 राइफल, एके 47- 16 राइफल, इंसास 14 फाइफल है. जबकि थ्री नॉट थ्री भी दो दर्जन के करीब हैं. विमल और बिरसा ने सुरक्षाबलों को बताया था कि बूढ़ा पहाड़ के इलाके में एक दर्जन के करीब माओवादियों के बंकर हैं. इन्हीं बंकरों में माओवादी सारे सामान को छिपाकर रखे गए हैं. बूढ़ापहाड़ पर ही माओवादियों ने तीर माइंस, सिरिंज माइंस, लट्टू माइंस को विकसित किया है.

2018 में बूढ़ा पहाड़ पर एक करोड़ के इनामी माओवादी देव कुमार सिंह उर्फ अरविंद की मौत हो गई थी. अरविंद की मौत के बाद से माओवादी बूढ़ा पहाड़ पर कमजोर होने लगे. अरविंद की मौत के बाद सुधारकरण और उसकी पत्नी को बूढ़ा पहाड़ का इंचार्ज बनाया गया था. सुधारकरण ने 2019-20 में तेलंगाना में पूरी टीम के साथ आत्मसमर्पण कर दिया. सुधारकरण के आत्मसमर्पण के बाद बूढ़ा पहाड़ पर माओवादियों को कोई बड़ा कमांडर नहीं मिल पाया. बाद में एक दर्जन अन्य कमांडरों ने धीरे धीरे आत्मसमर्पण कर दिया.

बूढ़ा पहाड़ के कोर एरिया जोंकपानी, थलिया में सुरक्षाबलों के कैंप स्थापित करने की योजना है. फिलहाल बूढ़ा पहाड़ के बहेराटोली और भुताहीमोड़ में कैंप हैं. बहेराटोली के बाद झारखंड की तरफ से फिलहाल तिसिया और नावाटोली में कैंप स्थापित किया जाएगा. उसके बाद जोंकपानी में झारखंड पुलिस कैंप स्थापित किया जाएगा. तिसिया और नावाटोली में कैंप स्थापित करने को लेकर गारु और बारेसाढ़ सुरक्षाबलों ने करीब 500 से अधिक ट्रैक्टर को जमा किया है. मौसम सही रहने के बाद इसी अभियान में जोंकपानी में कैंप स्थापित कर दिया.

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