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महिलाओं की जिन्दगी में रंग भर रही मछलियां, घरेलू काम के साथ हो जाती है अच्छी कमाई, 4 हजार करोड़ का कोरोबार

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Published : Oct 27, 2021, 5:03 PM IST

Updated : Oct 27, 2021, 10:39 PM IST

पूर्वी सिंहभूम जिले के ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं ने बेरोजगारी से निपटने के लिए अब रंगीन मछलियों का कारोबार करना शुरू कर दिया है. एक्वेरियम में खूबसूरत दिखने वाली रंगीन मछलियों का पालन महिलाएं अपने घरों में कर रहीं हैं. महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए अनुदान पर ये मछलियां उन्हें मुहैया कराई जा रही हैं.

Women are doing business of colorful fish
Women are doing business of colorful fish

जमशेदपुर: घर, ऑफिस या फिर किसी होटल में आपने एक्वेरियम में रंगीन मछलियां जरूर देखी होंगी. वहीं, अब रंगीन मछलियां जमशेदपुर के ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के जीविका का सहारा बनती जा रही हैं. महिलाएं घर के काम काज के साथ घर में रंगीन मछलियों का पालन कर रोजगार की दिशा में कदम बढ़ा कर खुद को सशक्त कर रही हैं.

देश में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है कोरोना काल के बाद यह और भी विकराल हो गई है. इससे निपटने के लिए सरकार के स्किल डेवलपमेंट के तहत लोगों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रही है. महिलाओं को स्वलंबी बनाने को लेकर मत्स्य विभाग शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में रंगीन मछली पालन को लेकर जागरूक कर रही है. जिसके तहत जमशेदपुर के पोटका ओर बोड़ाम प्रखंड की 25 महिलाओं का चयन कर उन्हें रंगीन मछली पालन करने का प्रशिक्षण दिया गया है. इनमे आदिवासी अनुसूचित जाति जनजाति की महिलाएं शामिल हैं.

देखें स्पेशल स्टोरी



पूर्वी सिंहभूम जिले के मत्स्य पाधिकारी ने बताया कि जो मछली पालक देसी मछलियों का पालन कर रहे हैं वह रंगीन मछलियों को भी पाल सकते हैं. उसके लिए ज्यादा खर्चें की भी जरुरत नहीं होती है. इसके लिए उन्हें मत्स्य संस्थानों में प्रशिक्षण भी दिया जाता है. किसानों की आय को दोगुनी करने के लिए संस्थान और विभाग आदिवासी महिलाओं को ट्रेनिंग देती है, ताकि वो अपनी आय बढ़ा सकें. इसके लिए पोटका प्रखंड ओर बोड़ाम प्रखंड की 25 आदिवासी महिलाओं को रंगीन मछली पालन के लिए संसाधन उपलब्ध कराया गया और उन्हें एक टब, जाली, छन्नी के साथ सामग्री दी गई. कार्यालय परिसर में रंगीन मछलियों का छोटा चारा पाला जाता है जिसे ग्रामीण महिलाओं को निःशुल्क दिया जाता है. जिसे वो अपने घर मे दिए गए संशाधन में पालकर बड़ा करती और फिर उन्हें बेच कर आभ कमाती हैं.

ये भी पढ़ें: ग्रामीण महिलाओं ने शुरू की जरबेरा की खेती, शादी और त्यौहार में फूलों की मांग बढ़ने से बढ़ा हौसला

साल 2000 में देश भर में रंगीन मछलियों का कारोबार 50 करोड़ का था. जो अब बढ़ कर 4 हजार करोड़ का हो गया है. जो मछलियां महिलाओं को दी जाती हैं उनमें गोल्ड फिश, मौली, गप्पी, एंजेल, छोटा शार्क, फाइटर, रेड कैप, रेम्बो, क्रोक्रोडाइल के अलावा कई अन्य शामिल हैं. इनकी कीमत 20 रुपये से 50 रुपये प्रति मछली होती है जिसका बाजार भाव 40 से 80 रुपये प्रति मछली होता है.

केंद्र और राज्य सरकार द्वारा केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान के जरिये आदिवासी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की जा रही है. इसके लिए इन्हें जागरूक किया जा रहा है और सरकार की योजना से जोड़ा जा रहा है.

जमशेदपुर: घर, ऑफिस या फिर किसी होटल में आपने एक्वेरियम में रंगीन मछलियां जरूर देखी होंगी. वहीं, अब रंगीन मछलियां जमशेदपुर के ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं के जीविका का सहारा बनती जा रही हैं. महिलाएं घर के काम काज के साथ घर में रंगीन मछलियों का पालन कर रोजगार की दिशा में कदम बढ़ा कर खुद को सशक्त कर रही हैं.

देश में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है कोरोना काल के बाद यह और भी विकराल हो गई है. इससे निपटने के लिए सरकार के स्किल डेवलपमेंट के तहत लोगों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास कर रही है. महिलाओं को स्वलंबी बनाने को लेकर मत्स्य विभाग शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में रंगीन मछली पालन को लेकर जागरूक कर रही है. जिसके तहत जमशेदपुर के पोटका ओर बोड़ाम प्रखंड की 25 महिलाओं का चयन कर उन्हें रंगीन मछली पालन करने का प्रशिक्षण दिया गया है. इनमे आदिवासी अनुसूचित जाति जनजाति की महिलाएं शामिल हैं.

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पूर्वी सिंहभूम जिले के मत्स्य पाधिकारी ने बताया कि जो मछली पालक देसी मछलियों का पालन कर रहे हैं वह रंगीन मछलियों को भी पाल सकते हैं. उसके लिए ज्यादा खर्चें की भी जरुरत नहीं होती है. इसके लिए उन्हें मत्स्य संस्थानों में प्रशिक्षण भी दिया जाता है. किसानों की आय को दोगुनी करने के लिए संस्थान और विभाग आदिवासी महिलाओं को ट्रेनिंग देती है, ताकि वो अपनी आय बढ़ा सकें. इसके लिए पोटका प्रखंड ओर बोड़ाम प्रखंड की 25 आदिवासी महिलाओं को रंगीन मछली पालन के लिए संसाधन उपलब्ध कराया गया और उन्हें एक टब, जाली, छन्नी के साथ सामग्री दी गई. कार्यालय परिसर में रंगीन मछलियों का छोटा चारा पाला जाता है जिसे ग्रामीण महिलाओं को निःशुल्क दिया जाता है. जिसे वो अपने घर मे दिए गए संशाधन में पालकर बड़ा करती और फिर उन्हें बेच कर आभ कमाती हैं.

ये भी पढ़ें: ग्रामीण महिलाओं ने शुरू की जरबेरा की खेती, शादी और त्यौहार में फूलों की मांग बढ़ने से बढ़ा हौसला

साल 2000 में देश भर में रंगीन मछलियों का कारोबार 50 करोड़ का था. जो अब बढ़ कर 4 हजार करोड़ का हो गया है. जो मछलियां महिलाओं को दी जाती हैं उनमें गोल्ड फिश, मौली, गप्पी, एंजेल, छोटा शार्क, फाइटर, रेड कैप, रेम्बो, क्रोक्रोडाइल के अलावा कई अन्य शामिल हैं. इनकी कीमत 20 रुपये से 50 रुपये प्रति मछली होती है जिसका बाजार भाव 40 से 80 रुपये प्रति मछली होता है.

केंद्र और राज्य सरकार द्वारा केंद्रीय अन्तर्स्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान के जरिये आदिवासी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश की जा रही है. इसके लिए इन्हें जागरूक किया जा रहा है और सरकार की योजना से जोड़ा जा रहा है.

Last Updated : Oct 27, 2021, 10:39 PM IST
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