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मजदूर दिवस पर मजदूरों को नहीं मिली छुट्टी, 200 रुपए में यहां लग रही बोली

किसी के हाथ में कुदाल है, तो किसी की साइकिल में थैला बंधा है. सड़क के रास्ते मजदूरों से भर चुके हैं. मानगो चौक पर रोजाना की तरह आज भी मजदूरों की बोली लगाई जा रही है. शहर से 40 किलोमीटर दूर पटमदा, पोटका, घाटशिला से आए मजदूर काम की तलाश में खड़े हैं. इनके लिए मजदूर दिवस का मतलब छुट्टी नहीं होती, इनके लिए काम ही मजदूर दिवस है.

काम की तलाश में मजदूर
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Published : May 1, 2019, 1:53 PM IST

Updated : May 1, 2019, 7:00 PM IST

जमशेदपुर: मजदूर दिवस के दिन जमशेदपुर के मानगो में मजदूरों की बोली लगाई जा रही है. इनके लिए मजदूर दिवस मतलब छुट्टी का दिन नहीं होता है. इन्हें लाइन में लगकर अपने पेट की खातिर बोली लगवानी पड़ती है.

वीडियो में देखें पूरी खबर
लौहनगरी में कई ऐसी जगह हैं जहां पर रोजाना मजदूर काम की तलाश में सुबह से ही खड़े हो जाते हैं. कुछ को तो काम मिल जाता है और कुछ हताश होकर घर चले जाते हैं. काम मिल गया तो घर का चूल्हा जला, नहीं मिला तो भूखे पेट सोना उनकी मजबूरी है.

किसी के हाथ में कुदाल है, तो किसी की साइकिल में थैला बंधा है. सड़क के रास्ते मजदूरों से भर चुके हैं. मानगो चौक पर रोजाना की तरह आज भी मजदूरों की बोली लगाई जा रही है. शहर से 40 किलोमीटर दूर पटमदा, पोटका, घाटशिला से आए मजदूर काम की तलाश में खड़े हैं. इनके लिए मजदूर दिवस का मतलब छुट्टी नहीं होती, इनके लिए काम ही मजदूर दिवस है.

मजदूरों ने बताया मजदूरों की बोली 200 से शुरू होती है. कई मजदूरों के घर का चूल्हा तभी जलता है, जब उन्हें कहीं काम मिलता है. मजदूरों ने बताया कि लगभग 5 हजार से ज्यादा मजदूर अपना घर चलाने के लिए रोजाना यहां आते हैं. सभी लोगों को हर दिन काम नहीं मिलता है. सुबह सात बजे से दोपहर 12 बजे तक खड़े रहने वाले लोगों ने बताया कि एक हफ्ते में 3 से 4 दिन ही काम मिल पाता है.

जमशेदपुर: मजदूर दिवस के दिन जमशेदपुर के मानगो में मजदूरों की बोली लगाई जा रही है. इनके लिए मजदूर दिवस मतलब छुट्टी का दिन नहीं होता है. इन्हें लाइन में लगकर अपने पेट की खातिर बोली लगवानी पड़ती है.

वीडियो में देखें पूरी खबर
लौहनगरी में कई ऐसी जगह हैं जहां पर रोजाना मजदूर काम की तलाश में सुबह से ही खड़े हो जाते हैं. कुछ को तो काम मिल जाता है और कुछ हताश होकर घर चले जाते हैं. काम मिल गया तो घर का चूल्हा जला, नहीं मिला तो भूखे पेट सोना उनकी मजबूरी है.

किसी के हाथ में कुदाल है, तो किसी की साइकिल में थैला बंधा है. सड़क के रास्ते मजदूरों से भर चुके हैं. मानगो चौक पर रोजाना की तरह आज भी मजदूरों की बोली लगाई जा रही है. शहर से 40 किलोमीटर दूर पटमदा, पोटका, घाटशिला से आए मजदूर काम की तलाश में खड़े हैं. इनके लिए मजदूर दिवस का मतलब छुट्टी नहीं होती, इनके लिए काम ही मजदूर दिवस है.

मजदूरों ने बताया मजदूरों की बोली 200 से शुरू होती है. कई मजदूरों के घर का चूल्हा तभी जलता है, जब उन्हें कहीं काम मिलता है. मजदूरों ने बताया कि लगभग 5 हजार से ज्यादा मजदूर अपना घर चलाने के लिए रोजाना यहां आते हैं. सभी लोगों को हर दिन काम नहीं मिलता है. सुबह सात बजे से दोपहर 12 बजे तक खड़े रहने वाले लोगों ने बताया कि एक हफ्ते में 3 से 4 दिन ही काम मिल पाता है.

Intro:एंकर--आज मजदूर दिवस है,मजदूरों के लिए छुट्टी का दिन लेकिन जमशेदपुर के मानगो में आज के दिन भी मजदूरों की बोली लगाई जा रही है,इनके लिए मजदूर दिवस मतलब छुट्टी का दिन नहीं होता है.इन्हें आज भी लाइन में लगकर अपने पेट की खातिर बोली लगवानी पड़ती है.देखिए एक रिपोर्ट।


Body:वीओ1-- हल्की धूप के बीच सुबह के सात बजे हैं. किसी के हाथ में कुदाल तो किसी के साइकिल में एक थैला बंधा है. सड़क के रास्ते मजदूरों से भर चुके हैं.मानगो चौक पर रोज की तरह आज भी मजदूरों की बोली लगाई जा रही है.शहर से 40 किलोमीटर दूर
पटमदा, पोटका,घाटशिला से आए मजदूर काम की तलाश कर रहे हैं.इनके लिए मजदूर दिवस का मतलब छुट्टी नहीं होता है इनके लिए काम ही मजदूर दिवस है.
बाइट--मजदूर
वीओ2-मजदूरों ने बताया मजदूरों की बोली 200 से शुरू होती है.कोई 220,250 में मजदूरों को ले जाना चाहता है.कई मजदूरों के घर चूल्हा तभी जलता है.जब उन्हें कहीं काम मिलता है.काम मिलेगा तभी बच्चे घर में रोटी खा सकेंगे.
बाइट-- महिला मजदूर
वीओ3-- मजदूरों ने बताया लगभग पाँच हज़ार से ज्यादा मजदूर अपनी भूख के लिए बिकने को तैयार रहते हैं.हर किसी की बोली हर दिन नहीं लगती है कुछ एक मजदूर को ही खरीदा जाता है. सभी लोगों को हर दिन काम नहीं मिलता है. सुबह सात बजे से दोपहर 12 बजे तक खड़े रहने वाले लोगों ने बताया एक हफ्ते में तीन--चार दिन ही काम मिल पाता है उससे ज्यादा कभी कभार ही मिलता है।
बाइट--मजदूर


Conclusion:बहरहाल मजदूर दिवस सरकारी बाबुओं के लिए होती होगी असल मजदूरों के लिए तो आज का दिन भी काम का ही दिन है.जब पेट की आग सड़क पर भीड़ का हिस्सा बना दे तो समझ सकते हैं.ये मजदूर सरकार द्वारा घोषित मजदूर दिवस का छुट्टी कैसे बनाएँगे.
Last Updated : May 1, 2019, 7:00 PM IST
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