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सूर्य ग्रहण पूरा होने के बाद मंदिरों के खुले कपाट, भगवान का बदला गया वस्त्र

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Published : Jun 21, 2020, 10:05 PM IST

सूर्य ग्रहण के दौरान जमशेदपुर में मंदिर के पट बंद रहे. बता दें कि इस दौरान लौहनगरी में सन्नाटा पसरा रहा. हालांकि बाजार में कुछ दुकान खुली रही, लेकिन ग्राहक कम नजर आए.

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मंदिर की साफ-सफाई

जमशेदपुर: सूर्य ग्रहण के दौरान मंदिर के पट बंद रहे. ग्रहण के समाप्त होने पर मंदिरों के कपाट खुले और साफ-सफाई की गई. मंदिर के पुजारी ने बताया कि मान्यता है कि ग्रहण के बाद भगवान को स्नान कराकर उनका वस्त्र बदला जाता है और भोग लगाकर आरती की जाती है.

देखें पूरी खबर

शहर में सन्नाटा
जमशेदपुर में सूर्य ग्रहण के दौरान शहर में सन्नाटा पसरा रहा. बाजार में कुछ दुकान खुली रही, लेकिन ग्राहक कम नजर आए. इस दौरान मान्यता के अनुसार सभी मंदिरों के पट भी बंद रहे.

सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण

बता दें कि 1962 के बाद लगने वाला यह सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण था, जो भारत में सुबह 9 बजकर 15 मिनट से दोपहर करीब 3 बजे तक रहा. इस ग्रहण को धार्मिक और वैज्ञानिक तरीके से अलग-अलग रूप में देखा गया है. जमशेदपुर के लक्ष्मी नारायण मंदिर के पुजारी तेज प्रताप शर्मा ने बताया कि चंद्र ग्रहण या सूर्य ग्रहण के दौरान मंदिर के पट को बंद रखा जाता है.

ये भी पढ़ें- एक शख्स ने पेट्रोल डालकर खुद के शरीर में लगाई आग, हालत गंभीर

प्रक्रिया की गई

मान्यता के अनुसार, ग्रहण में अशुद्ध होने के कारण ग्रहण के समाप्त होने पर मंदिर की साफ-सफाई कर भगवान को स्नान कराकर उनका वस्त्र बदला जाता है और भोग लगाकर आरती की जाती है. पुजारी ने बताया कि सूर्य ग्रहण के समाप्त होने पर पूरी प्रक्रिया की गई.

जमशेदपुर: सूर्य ग्रहण के दौरान मंदिर के पट बंद रहे. ग्रहण के समाप्त होने पर मंदिरों के कपाट खुले और साफ-सफाई की गई. मंदिर के पुजारी ने बताया कि मान्यता है कि ग्रहण के बाद भगवान को स्नान कराकर उनका वस्त्र बदला जाता है और भोग लगाकर आरती की जाती है.

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शहर में सन्नाटा
जमशेदपुर में सूर्य ग्रहण के दौरान शहर में सन्नाटा पसरा रहा. बाजार में कुछ दुकान खुली रही, लेकिन ग्राहक कम नजर आए. इस दौरान मान्यता के अनुसार सभी मंदिरों के पट भी बंद रहे.

सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण

बता दें कि 1962 के बाद लगने वाला यह सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण था, जो भारत में सुबह 9 बजकर 15 मिनट से दोपहर करीब 3 बजे तक रहा. इस ग्रहण को धार्मिक और वैज्ञानिक तरीके से अलग-अलग रूप में देखा गया है. जमशेदपुर के लक्ष्मी नारायण मंदिर के पुजारी तेज प्रताप शर्मा ने बताया कि चंद्र ग्रहण या सूर्य ग्रहण के दौरान मंदिर के पट को बंद रखा जाता है.

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प्रक्रिया की गई

मान्यता के अनुसार, ग्रहण में अशुद्ध होने के कारण ग्रहण के समाप्त होने पर मंदिर की साफ-सफाई कर भगवान को स्नान कराकर उनका वस्त्र बदला जाता है और भोग लगाकर आरती की जाती है. पुजारी ने बताया कि सूर्य ग्रहण के समाप्त होने पर पूरी प्रक्रिया की गई.

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