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लॉकडाउन का पॉजिटिव इफेक्ट: जमशेदपुर की लाइफ लाइन कहे जाने वाली स्वर्णरेखा नदी हुई स्वच्छ और निर्मल

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Published : May 8, 2020, 8:52 PM IST

कोरोना संकट से निपटने के लिए लागू देशव्यापी लॉकडाउन का सामान्य जन-जीवन पर चाहे जैसा भी असर हुआ हो पर नदियों के लिए लॉकडाउन सुखद है. लॉकडॉउन के तीसरे चरण में जमशेदपुर की लाइफ लाइन कहे जानी वाली स्वर्णरेखा नदी इन दिनों पहले से ज्यादा स्वच्छ और निर्मल हो गई है.

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स्वर्णरेखा नदी जमशेदपुर

जमशेदपुर: कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए पूरे देश में तीसरे चरण का लॉकडॉउन जारी है. लॉकडॉउन में जमशेदपुर की लाइफ लाइन कहे जाने वाली स्वर्णरेखा नदी पहले से अविरल हुई है. स्वर्णरेखा नदी की कुल लंबाई 474 किलोमीटर है और लगभग 28928 वर्ग किलोमीटर में फैला है. इस नदी से तकरीबन पचास लाख लोग प्रतिदिन पानी पीते हैं.

देखें पूरी खबर


लॉकडॉउन के बाद क्या बदला

बहरागोड़ा के पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी कहते हैं कि पहले की तुलना में पर्यावरण के साथ-साथ नदियां साफ हुई हैं. आम तौर पर सामान्य दिनों में नदियों में लोग घरों का कचरा और मैला लाकर फेंकते रहते थे. स्थानीय औद्योगिक घरानों का गंदा पानी और कचरा भी नदियों में फेंका जाता था. जिससे लाइफलाइन कहे जाने वाली नदियां दूषित हो जाती थी.

ये भी पढ़ें- SPECIAL: जिस दरवाजे पर जाने में लगता था डर वहीं से निकला मसीहा, लोगों की मिटा रहा भूख

स्वर्णरेखा नदी का पानी हुआ साफ

वहीं, लॉकडॉउन में औद्योगिक काम के कम होने से नदियों का पानी साफ हुआ है. आमतौर पर स्वर्णरेखा नदी में गर्मी के दिनों में जलकुंभी जमा हो जाया करता था. लेकिन लॉकडाउन के कारण नदियों पहले से साफ हो गई हैं. स्वर्णरेखा नदी का पानी साफ हुआ है.

जमशेदपुर: कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए पूरे देश में तीसरे चरण का लॉकडॉउन जारी है. लॉकडॉउन में जमशेदपुर की लाइफ लाइन कहे जाने वाली स्वर्णरेखा नदी पहले से अविरल हुई है. स्वर्णरेखा नदी की कुल लंबाई 474 किलोमीटर है और लगभग 28928 वर्ग किलोमीटर में फैला है. इस नदी से तकरीबन पचास लाख लोग प्रतिदिन पानी पीते हैं.

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बहरागोड़ा के पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी कहते हैं कि पहले की तुलना में पर्यावरण के साथ-साथ नदियां साफ हुई हैं. आम तौर पर सामान्य दिनों में नदियों में लोग घरों का कचरा और मैला लाकर फेंकते रहते थे. स्थानीय औद्योगिक घरानों का गंदा पानी और कचरा भी नदियों में फेंका जाता था. जिससे लाइफलाइन कहे जाने वाली नदियां दूषित हो जाती थी.

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स्वर्णरेखा नदी का पानी हुआ साफ

वहीं, लॉकडॉउन में औद्योगिक काम के कम होने से नदियों का पानी साफ हुआ है. आमतौर पर स्वर्णरेखा नदी में गर्मी के दिनों में जलकुंभी जमा हो जाया करता था. लेकिन लॉकडाउन के कारण नदियों पहले से साफ हो गई हैं. स्वर्णरेखा नदी का पानी साफ हुआ है.

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