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जमशेदपुर में टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष रहे हैं बोस, सहेज कर रखी गई हैं यादें - टाटा वर्कर्स यूनियन अध्यक्ष सुभाष चंद्र बोस

देश की आजादी के लिए आजाद हिंद फौज की स्थापना करने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस आजादी की लड़ाई के साथ-साथ जमशेदपुर में मजदूरों के नेता भी रहे हैं. टाटा वर्कर्स यूनियन, नेताजी की जयंती को प्रेरणा दिवस के रूप में मनाती है.

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टाटा वर्कर्स यूनियन
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Published : Jan 23, 2020, 12:01 PM IST

जमशेदपुर: तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस देश की आजादी की लड़ाई के साथ लौहनगरी में टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष भी रहे हैं. टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष ने बताया कि नेताजी के कार्यकाल में मजदूर और कंपनी के हित में कई अहम फैसले लिए गए, जो आज भी कायम हैं. टाटा वर्कर्स यूनियन नेताजी की जयंती को प्रेरणा दिवस के रूप में मनाती है.

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जमशेदपुर में मजदूरों के नेता रहे बोस
देश की आजादी के लिए आजाद हिंद फौज की स्थापना करने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस आजादी की लड़ाई के साथ-साथ जमशेदपुर में मजदूरों के नेता भी रहे हैं. टाटा स्टील की टाटा वर्कर्स यूनियन के भवन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़े दस्तावेज तस्वीरें और उनके लिखे पत्र आज भी पुराने इतिहास की कहानियां बताती हैं. जी टाउन मैदान आज भी गवाह है जहां नेताजी के नेतृत्व में अंतिम बार हड़ताली मजदूरों के साथ सभा हुई थी और हड़ताल समाप्त हुआ था.

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जमशेदपुर आने का न्योता
1928 से लेकर 1936 तक नेताजी सुभाष चंद्र बोस, टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी की लेबर एसोसिएशन में अध्यक्ष पद पर रहे हैं. बता दें कि टाटा कंपनी में काम करने वाले मजदूरों के लिए 1920 में जमशेदपुर लेबर एसोसिएशन का गठन किया गया. जिसका नेतृत्व एसएन हलदर ने किया. उस दौरान कंपनी में मजदूरों और विभागीय हड़ताल का सिलसिला जारी था और परिस्थिति को देखते हुए मजदूर नेताओं ने युवा क्रांतिकारी नेताजी सुभाष चंद्र बोस से संपर्क कर उन्हें जमशेदपुर आने का न्योता दिया.

लेबर एसोसिएशन के सुभाष चंद्र बोस तीसरे अध्यक्ष बने
18 अगस्त 1928 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस जमशेदपुर पहुंचे और 20 अगस्त को उन्हें लेबर एसोसिएशन का सर्वसम्मति से अध्यक्ष घोषित कर दिया गया. लेबर एसोसिएशन के सुभाष चंद्र बोस तीसरे अध्यक्ष बने.

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'नेता जी के उठाई गई मांगों को प्राथमिकता'
नेताजी के कमान संभालते ही कंपनी प्रबंधन को नरम रुख अख्तियार करना पड़ा और नेता जी के उठाई गई मांगों को प्राथमिकता देते हुए कंपनी प्रबंधन के बीच 12 सितंबर 1928 को सम्मानजनक समझौता हुआ और मजदूरों की हड़ताल खत्म हुई. राष्ट्रीय गतिविधियों में लिप्त होने के कारण नेताजी सुभाष चंद्र बोस को कई बार जेल भी जाना पड़ा. नेताजी सुभाष चंद्र बोस 1928 से 1937 तक लेबर एसोसिएशन का नेतृत्व करते हुए टाटा कंपनी के उच्च पदों पर विदेशी अफसरों के स्थान पर सक्षम भारतीय को पदस्थापित करने का दबाव बनाया, जो आज भी कायम है.

'सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए'
टाटा वर्कर्स यूनियन के वर्तमान अध्यक्ष आर रवि प्रसाद बताते हैं कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए. जिस पर कानून बना और आज मजदूर और प्रबंधन के बीच बेहतर संबंध स्थापित हैं. उन्होंने बताया कि विभागीय बोनस सेवा की सुरक्षा पीएफ मजदूरों के लिए बूट दस्ताने एप्रोन चश्मा जैसे उपकरण की व्यवस्था के अलावा कई प्रस्ताव पर समझौता हुआ. उन्होंने बताया कि 100 साल पुराना टाटा वर्कर्स यूनियन में जितने भी पूर्वज रहे हैं, उनमें नेताजी प्रमुख रहे हैं. उन्होंने कहा कि नेताजी की जयंती को यूनियन एक प्रेरणा दिवस के रूप में मनाती है, हमारे लिए गर्व की बात है कि जिस यूनियन के अध्यक्ष पद पर वे पदस्थापित हैं उस यूनियन का नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे युवा क्रांतिकारी नेता कमान संभाल चुके हैं.

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'नेताजी एक कुशल ट्रेड यूनियन लीडर भी रहे हैं'
टाटा वर्कर्स यूनियन के उपाध्यक्ष शाहनवाज आलम बताते हैं कि लोग नेताजी को स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जानते हैं, लेकिन नेताजी एक कुशल ट्रेड यूनियन लीडर भी रहे हैं. उनके प्रस्तावित नियम आज देश के कानून में मजदूरों के लिए है.

जमशेदपुर: तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस देश की आजादी की लड़ाई के साथ लौहनगरी में टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष भी रहे हैं. टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष ने बताया कि नेताजी के कार्यकाल में मजदूर और कंपनी के हित में कई अहम फैसले लिए गए, जो आज भी कायम हैं. टाटा वर्कर्स यूनियन नेताजी की जयंती को प्रेरणा दिवस के रूप में मनाती है.

देखें पूरी खबर

जमशेदपुर में मजदूरों के नेता रहे बोस
देश की आजादी के लिए आजाद हिंद फौज की स्थापना करने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस आजादी की लड़ाई के साथ-साथ जमशेदपुर में मजदूरों के नेता भी रहे हैं. टाटा स्टील की टाटा वर्कर्स यूनियन के भवन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़े दस्तावेज तस्वीरें और उनके लिखे पत्र आज भी पुराने इतिहास की कहानियां बताती हैं. जी टाउन मैदान आज भी गवाह है जहां नेताजी के नेतृत्व में अंतिम बार हड़ताली मजदूरों के साथ सभा हुई थी और हड़ताल समाप्त हुआ था.

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जमशेदपुर आने का न्योता
1928 से लेकर 1936 तक नेताजी सुभाष चंद्र बोस, टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी की लेबर एसोसिएशन में अध्यक्ष पद पर रहे हैं. बता दें कि टाटा कंपनी में काम करने वाले मजदूरों के लिए 1920 में जमशेदपुर लेबर एसोसिएशन का गठन किया गया. जिसका नेतृत्व एसएन हलदर ने किया. उस दौरान कंपनी में मजदूरों और विभागीय हड़ताल का सिलसिला जारी था और परिस्थिति को देखते हुए मजदूर नेताओं ने युवा क्रांतिकारी नेताजी सुभाष चंद्र बोस से संपर्क कर उन्हें जमशेदपुर आने का न्योता दिया.

लेबर एसोसिएशन के सुभाष चंद्र बोस तीसरे अध्यक्ष बने
18 अगस्त 1928 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस जमशेदपुर पहुंचे और 20 अगस्त को उन्हें लेबर एसोसिएशन का सर्वसम्मति से अध्यक्ष घोषित कर दिया गया. लेबर एसोसिएशन के सुभाष चंद्र बोस तीसरे अध्यक्ष बने.

ये भी पढ़ें- धनबाद के गोमो स्टेशन से 'नेताजी' का है गहरा नाता, प्लेटफॉर्म संख्या 3 में छिपे हैं कई रहस्य

'नेता जी के उठाई गई मांगों को प्राथमिकता'
नेताजी के कमान संभालते ही कंपनी प्रबंधन को नरम रुख अख्तियार करना पड़ा और नेता जी के उठाई गई मांगों को प्राथमिकता देते हुए कंपनी प्रबंधन के बीच 12 सितंबर 1928 को सम्मानजनक समझौता हुआ और मजदूरों की हड़ताल खत्म हुई. राष्ट्रीय गतिविधियों में लिप्त होने के कारण नेताजी सुभाष चंद्र बोस को कई बार जेल भी जाना पड़ा. नेताजी सुभाष चंद्र बोस 1928 से 1937 तक लेबर एसोसिएशन का नेतृत्व करते हुए टाटा कंपनी के उच्च पदों पर विदेशी अफसरों के स्थान पर सक्षम भारतीय को पदस्थापित करने का दबाव बनाया, जो आज भी कायम है.

'सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए'
टाटा वर्कर्स यूनियन के वर्तमान अध्यक्ष आर रवि प्रसाद बताते हैं कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए. जिस पर कानून बना और आज मजदूर और प्रबंधन के बीच बेहतर संबंध स्थापित हैं. उन्होंने बताया कि विभागीय बोनस सेवा की सुरक्षा पीएफ मजदूरों के लिए बूट दस्ताने एप्रोन चश्मा जैसे उपकरण की व्यवस्था के अलावा कई प्रस्ताव पर समझौता हुआ. उन्होंने बताया कि 100 साल पुराना टाटा वर्कर्स यूनियन में जितने भी पूर्वज रहे हैं, उनमें नेताजी प्रमुख रहे हैं. उन्होंने कहा कि नेताजी की जयंती को यूनियन एक प्रेरणा दिवस के रूप में मनाती है, हमारे लिए गर्व की बात है कि जिस यूनियन के अध्यक्ष पद पर वे पदस्थापित हैं उस यूनियन का नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे युवा क्रांतिकारी नेता कमान संभाल चुके हैं.

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'नेताजी एक कुशल ट्रेड यूनियन लीडर भी रहे हैं'
टाटा वर्कर्स यूनियन के उपाध्यक्ष शाहनवाज आलम बताते हैं कि लोग नेताजी को स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जानते हैं, लेकिन नेताजी एक कुशल ट्रेड यूनियन लीडर भी रहे हैं. उनके प्रस्तावित नियम आज देश के कानून में मजदूरों के लिए है.

Intro:जमशेदपुर।

तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस देश की आजादी की लड़ाई के साथ लौह नगरी में टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष भी रहे है। टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष ने बताया कि नेताजी के कार्यकाल में मजदूर और कंपनी कंपनी के हित में कई अहम फैसले लिए गए जो आज भी कायम है टाटा वर्कर्स यूनियन नेताजी की जयंती को प्रेरणा दिवस के रूप में मनाती है ।




Body:देश की आजादी के लिए आजाद हिंद फौज की स्थापना करने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस आजादी की लड़ाई के साथ-साथ जमशेदपुर में मजदूरों के नेता भी रहे हैं।
टाटा सटील की टाटा वर्कर्स यूनियन के भवन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़े दस्तावेज तस्वीरें और उनके लिखे पत्र आज भी पुराने इतिहास की कहानियां बताता है।जी टाउन मैदान आज भी गवाह है जहां नेताजी के नेतृत्व में अंतिम बार हड़ताली मजदूरों के साथ सभा हुई थी और हड़ताल समाप्त हुआ था।
1928 से लेकर 1936 तक नेताजी सुभाष चंद्र बोस टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी की लेबर एसोसिएशन में अध्यक्ष पद पर रहे है।
गौरतलब है कि जमशेदपुर में टाटा कंपनी मैं काम करने वाले मजदूरों के लिए 1920 में जमशेदपुर लेबर एसोसिएशन का गठन किया गया जिसका नेतृत्व एस एन हलदर ने किया। उस दौरान कंपनी में मजदूरों और विभागीय हड़ताल ओं का सिलसिला जारी था और परिस्थिति को देखते हुए मजदूर नेताओं ने युवा क्रांतिकारी नेताजी सुभाष चंद्र बोस से संपर्क कर उन्हें जमशेदपुर आने का न्योता दिया । 18 अगस्त 1928 को नेताजी सुभाष चंद्र बोस जमशेदपुर पहुंचे और 20 अगस्त को उन्हें लेबर एसोसिएशन का सर्वसम्मति से अध्यक्ष घोषित कर दिया गया ।और लेबर एसोसिएशन का नेताजी सुभाष चंद्र बोस तीसरा अध्यक्ष बने ।
नेताजी के कमान संभालते ही कंपनी प्रबंधन को नरम रुख अख्तियार करना पड़ा और नेता जी द्वारा उठाई गई मांगों को प्राथमिकता देते हुए कंपनी प्रबंधन के बीच 12 सितंबर 1928 को सम्मानजनक समझौता हुआ और मजदूरों का हड़ताल खत्म हुआ । राष्ट्रीय गतिविधियों में लिप्त होने कारण नेताजी सुभाष चंद्र बोस को कई बार जेल भी जाना पड़ा और वे विदेश भी जाते रहे हैं लेकिन लेबर एसोसिएशन का नेतृत्व उन्होंने बखूबी निभाया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस 1928 से 1937 तक लेबर एसोसिएशन का नेतृत्व करते हुए टाटा कंपनी के उच्च पदों पर विदेशी अफसरों के स्थान पर सक्षम भारतीय को पदस्थापित करने का दबाव बनाया।जो आज भी कायम है।
टाटा वर्कर्स यूनियन के वर्तमान अध्यक्ष आर रवि प्रसाद बताते हैं कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए जिस पर कानून बना और आज मजदूर और प्रबंधन के बीच बेहतर संबंध स्थापित है उन्होंने बताया कि विभागीय बोनस सेवा की सुरक्षा पीएफ मजदूरों के लिए बूट दस्ताने एप्रोन चश्मा जैसे उपकरण की व्यवस्था के अलावा कई प्रस्ताव पर समझौता हुआ। उन्होंने बताया कि 100 साल पुराना टाटा वर्कर्स यूनियन में जितने भी पूर्वज रहे हैं उनमें नेताजी प्रमुख रहे हैं नेताजी की जयंती को यूनियन एक प्रेरणा दिवस के रूप में मनाती है हमारे लिए गर्व की बात है की जिस यूनियन के अध्यक्ष पद पर मैं पदस्थापित हूं उस यूनियन का नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे युवा क्रांतिकारी नेता कमान संभाल चुके है।
बाईट आर रवि प्रसाद अध्यक्ष टाटा वर्कर्स यूनियन।



Conclusion:नेताजी सुभाष चंद्र बोस आज भी यूनियन के लिए एक प्रेरणा के स्रोत है।टाटा वर्कर्स यूनियन के उपाध्यक्ष शाहनवाज़ आलम बताते है कि लोग नेताजी को स्वतंत्रता सेनानी के रूप में जानते है लेकिन नेताजी एक कुशल ट्रेड यूनियन लीडर भी रहे है ।उनके द्वारा प्रस्तावित नियम आज देश के कानून में मजदूरों के लिए भा है ।जी टाउन मैदान में उनके द्वारा अंतिम बार मज़दूरों के साथ सभा हुई जिसमें नेता जी मज़दूरों को समझाया कि अपनी मांग के साथ कंपनी की शाख बनी रहे इस पर भी ध्यान देना चाहिए और हड़ताल समस्या का समाधान नही है जिसके बाद हड़ताल खत्म हुआ ।
बाईट शाहनवाज़ आलम उपाध्यक्ष टाटा वर्कर्स यूनियन

बहरहाल कुशल नेतृत्व के परिचायक रहे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस देश की आज़ादी के साथ जमशेदपुर में मज़दूर नेता बनकर रहे है जिसे आज भी टाटा वर्कर्स यूनियन और मज़दूर याद कर गर्वान्वित होते है ।
जितेंद्र कुमार ईटीवी भारत जमशेदपुर
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