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NDRF बटालियन 9 के डिप्टी कमांडेंट से ईटीवी भारत ने की खास बातचीत, कहा- भारत में है बेहतर संसाधन - एनडीआरएफ बटालियन 9 के डिप्टी कमांडेंट आलोक कुमार

जमशेदपुर दौरे पर आई एनडीआरएफ बिहार पटना की टीम से ईटीवी भारत ने मुलाकात कर कई जानकारियां ली हैं. एनडीआरएफ बटालियन 9 बिहार के डिप्टी कमांडेंट आलोक कुमार ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की है.

special conversation with deputy commandant of ndrf battalion 9 in jamshedpur
एनडीआरएफ बटालियन 9 बिहार के उप कमांडेंट आलोक कुमार
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Published : Feb 21, 2021, 1:41 PM IST

जमशेदपुर: देश में प्राकृतिक आपदा या बड़ी दुर्घटनाओं में जान जोखिम में डालकर रेस्क्यू करने वाली एनडीआरएफ की पुरुष टीम के साथ अब महिलाओं की टीम भी रेस्क्यू करेंगी. 24 घंटे अलर्ट रहने वाली एनडीआरएफ की टीम देश के विभिन्न प्रदेश में स्थापित है. समय के साथ पिछले 15 सालों में एनडीआरएफ नए-नए संसाधनों से भी जुड़ चुका है. जिससे बड़ी से बड़ी आपदा में भी बेहतर तरीके से रेस्क्यू किया जा रहा है. ईटीवी भारत ने एनडीआरएफ बटालियन 9 के डिप्टी कमांडेंट आलोक कुमार से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि वर्तमान में देश में कुल 12 बटालियन काम कर रही है, जो आपदा ग्रस्त इलाकों में तैनात रहती हैं.

बिहार के डिप्टी कमांडेंट आलोक कुमार

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एनडीआरएफ की टीम में महिलाएं भी शामिल
देश में स्थापित एनडीआरएफ की 12 बटालियन के अलावा 4 नई बटालियन की शुरुआत की जा रही है. जो देश के दिल्ली, उत्तराखंड, हरियाणा और जम्मू कश्मीर में तैनात रहेगी. इन चार जगहों पर नए बटालियन के आने से पहाड़ी क्षेत्र में आने वाली आपदा से निपटने में परेशानी कम होगी. उन्होंने बताया कि 1 बटालियन में कुल 1,149 जवान रहते है. 12 बटालियन में 17 हजार के लगभग एनडीआरएफ के जवान है. वर्तमान में कई जगहों में महिलाओं को रेस्क्यू करने के दौरान कई समस्याओं को देखा गया है. जिसे देखते हुए महिलाओं को भी एनडीआरएफ में शामिल किया जा रहा है. जिसके तहत प्रत्येक बटालियन में 36 महिला आपदा में रेस्क्यू का काम करेगी.

बिहार के डिप्टी कमांडेंट आलोक कुमार


एनडीआरएफ के पास मैन पावर की नहीं है कमी
उन्होंने बताया कि वर्तमान में एनडीआरएफ के पास मैन पावर के अलावा संसाधन की कमी नहीं है. 50 से भी ज्यादा प्रकार के इक्यूपमेंट्स उनके पास हैं. आज देश में एनडीआरएफ कैमिकल बायोलॉजिकल और न्यूक्लियर आपदा से निपटने के लिए तैयार है, लेकिन समय के साथ-साथ आपदा के नेचर में बदलाव हो रहा है. जिसमें परेशानी होती है. हाल में उत्तराखंड के तपोवन में 50 फीट तक मलवे से रेस्क्यू करने में परेशानी हुई है.

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भारत में एनडीआरएफ के पास है बेहतर संसाधन
विदेशों में रेस्क्यू टीम के पास मौजूद संसाधन की तुलना में भारत में एनडीआरएफ के पास बेहतर संसाधन है. उप कमांडेंट ने बताया कि एनडीआरएफ ने इंसीडेंट रिस्पॉन्स सिस्टम की शुरुआत की है. इसके तहत आपदा में रेस्क्यू करने वाली अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर बेहतर तरीके से जानमाल को बचाया जा सके. किसी भी आपदा में पीड़ित को सूरक्षित निकालना और अस्पताल भेजना सबसे बड़ी चुनौती है. उन्होंने बताया कि आपदा के शुरुआती 4 घंटे को गोल्डन ओवर कहा जाता है. इस दौरान जितना ज्यादा रेस्क्यू किया जाए तो बेहतर है. इसके लिए ब्लॉक पंचायत स्तर पर लोगों को जागरूक कर उन्हें आपदा से निपटने के प्रशिक्षित किया जा रहा है.

देश में अलग-अलग जगहों पर स्थित एनडीआरएफ बटालियन

  • बटालियन 1 गुवाहाटी असम
  • बटालियन 2 कोलकाता पश्चिम बंगाल
  • बटालियन 3 मुंडली उड़ीसा
  • बटालियन 4 अर्काकोरणम तमिलनाडु
  • बटालियन 5 पुणे महाराष्ट्र
  • बटालियन 6 गांधीनगर गुजरात
  • बटालियन 7 गाजियाबाद उत्तरप्रदेश
  • बटालियन 8 भटिंडा पंजाब
  • बटालियन 9 पटना बिहार
  • बटालियन 10 विजयवाड़ा आंध्राप्रदेश
  • बटालियन 11 बाराणसी उत्तरप्रदेश
  • बटालियन 12 ईटानगर अरुणाचल प्रदेश

चार नए बटालियन की शुरुआत

  • दिल्ली
  • हरियाणा
  • उत्तराखंड
  • जम्मू कश्मीर

जमशेदपुर: देश में प्राकृतिक आपदा या बड़ी दुर्घटनाओं में जान जोखिम में डालकर रेस्क्यू करने वाली एनडीआरएफ की पुरुष टीम के साथ अब महिलाओं की टीम भी रेस्क्यू करेंगी. 24 घंटे अलर्ट रहने वाली एनडीआरएफ की टीम देश के विभिन्न प्रदेश में स्थापित है. समय के साथ पिछले 15 सालों में एनडीआरएफ नए-नए संसाधनों से भी जुड़ चुका है. जिससे बड़ी से बड़ी आपदा में भी बेहतर तरीके से रेस्क्यू किया जा रहा है. ईटीवी भारत ने एनडीआरएफ बटालियन 9 के डिप्टी कमांडेंट आलोक कुमार से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि वर्तमान में देश में कुल 12 बटालियन काम कर रही है, जो आपदा ग्रस्त इलाकों में तैनात रहती हैं.

बिहार के डिप्टी कमांडेंट आलोक कुमार

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एनडीआरएफ की टीम में महिलाएं भी शामिल
देश में स्थापित एनडीआरएफ की 12 बटालियन के अलावा 4 नई बटालियन की शुरुआत की जा रही है. जो देश के दिल्ली, उत्तराखंड, हरियाणा और जम्मू कश्मीर में तैनात रहेगी. इन चार जगहों पर नए बटालियन के आने से पहाड़ी क्षेत्र में आने वाली आपदा से निपटने में परेशानी कम होगी. उन्होंने बताया कि 1 बटालियन में कुल 1,149 जवान रहते है. 12 बटालियन में 17 हजार के लगभग एनडीआरएफ के जवान है. वर्तमान में कई जगहों में महिलाओं को रेस्क्यू करने के दौरान कई समस्याओं को देखा गया है. जिसे देखते हुए महिलाओं को भी एनडीआरएफ में शामिल किया जा रहा है. जिसके तहत प्रत्येक बटालियन में 36 महिला आपदा में रेस्क्यू का काम करेगी.

बिहार के डिप्टी कमांडेंट आलोक कुमार


एनडीआरएफ के पास मैन पावर की नहीं है कमी
उन्होंने बताया कि वर्तमान में एनडीआरएफ के पास मैन पावर के अलावा संसाधन की कमी नहीं है. 50 से भी ज्यादा प्रकार के इक्यूपमेंट्स उनके पास हैं. आज देश में एनडीआरएफ कैमिकल बायोलॉजिकल और न्यूक्लियर आपदा से निपटने के लिए तैयार है, लेकिन समय के साथ-साथ आपदा के नेचर में बदलाव हो रहा है. जिसमें परेशानी होती है. हाल में उत्तराखंड के तपोवन में 50 फीट तक मलवे से रेस्क्यू करने में परेशानी हुई है.

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भारत में एनडीआरएफ के पास है बेहतर संसाधन
विदेशों में रेस्क्यू टीम के पास मौजूद संसाधन की तुलना में भारत में एनडीआरएफ के पास बेहतर संसाधन है. उप कमांडेंट ने बताया कि एनडीआरएफ ने इंसीडेंट रिस्पॉन्स सिस्टम की शुरुआत की है. इसके तहत आपदा में रेस्क्यू करने वाली अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर बेहतर तरीके से जानमाल को बचाया जा सके. किसी भी आपदा में पीड़ित को सूरक्षित निकालना और अस्पताल भेजना सबसे बड़ी चुनौती है. उन्होंने बताया कि आपदा के शुरुआती 4 घंटे को गोल्डन ओवर कहा जाता है. इस दौरान जितना ज्यादा रेस्क्यू किया जाए तो बेहतर है. इसके लिए ब्लॉक पंचायत स्तर पर लोगों को जागरूक कर उन्हें आपदा से निपटने के प्रशिक्षित किया जा रहा है.

देश में अलग-अलग जगहों पर स्थित एनडीआरएफ बटालियन

  • बटालियन 1 गुवाहाटी असम
  • बटालियन 2 कोलकाता पश्चिम बंगाल
  • बटालियन 3 मुंडली उड़ीसा
  • बटालियन 4 अर्काकोरणम तमिलनाडु
  • बटालियन 5 पुणे महाराष्ट्र
  • बटालियन 6 गांधीनगर गुजरात
  • बटालियन 7 गाजियाबाद उत्तरप्रदेश
  • बटालियन 8 भटिंडा पंजाब
  • बटालियन 9 पटना बिहार
  • बटालियन 10 विजयवाड़ा आंध्राप्रदेश
  • बटालियन 11 बाराणसी उत्तरप्रदेश
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