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जमशेदपुर: विधायक सरयू राय ने मुख्यमंत्री को लिखा पत्र, कहा-अवैध खनन मामले में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की भूमिका की जांच कराएं - investigation of Raghuvar Das

जमशेदपुर पूर्वी के निर्दलीय विधायक सरयू राय ने एक बार फिर लौह अयस्क के अवैध खनन को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को घेरा है. विधायक सरयू राय ने लौह अयस्क के अवैध खनन मामले पर गठित शाह आयोग की रिपोर्ट पर कार्रवाई न करने का आरोप लगाया और मामले में रघुवर दास की भूमिका की जांच की मांग की.

Saryu rai surrounds former CM Raghuvar Das over iron ore case in jamshedpur
निर्दलीय विधायक सरयू राय
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Published : Aug 14, 2020, 1:30 PM IST

जमशेदपुर: पूर्वी के निर्दलीय विधायक सरयू राय ने एक बार फिर लौह अयस्क के अवैध खनन को लेकर मुख्यमंत्री रघुवर दास पर हमला बोला है. विधायक सरयू राय ने लौह अयस्क के अवैध खनन मामले में गठित शाह आयोग की रिपोर्ट के बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की ओर से कार्रवाई नहीं किए जाने का आरोप लगाया. इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को शिकायती पत्र लिखकर पूरे मामले और पूर्व मुख्यमंत्री की भूमिका की जांच की मांग की है. विधायक सरयू राय ने अपने पत्र में लिखा है कि विगत 5 सालों में झारखंड में हुए लौह अयस्क के अवैध खनन की जांच करने और एमबी शाह आयोग की ओर से अवैध खनन पर लगाए गए अरबों रुपये के जुर्माना को जान बूझकर नहीं वसूलने में तत्कालीन सरकार और तत्कालीन महाधिवक्ता की जांच कराएं.

देखें पूरी खबर
उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि झारखंड सहित देश के अन्य लौह अयस्क वाले राज्यों में अवैध खनन की शिकायतों की जांच करने के लिए भारत सरकार ने 22 नवंबर 2010 को शाह आयोग का गठन किया था. आयोग ने अक्टूबर 2013 में अपना प्रतिवेदन भारत सरकार को सौंप दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि शाह आयोग को झारखंड में जांच करने का पूरा समय नहीं मिला. फिर भी आयोग ने झारखंड में लौह अयस्क खनन पट्टा धारियों की विभिन्न प्रकार की अनियमितता को उजागर किया और दोषियों पर करीब 14,541 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया.

आयोग ने अपने प्रतिवेदन में चिंता व्यक्त की थी कि यदि खनन पट्टों की सूची और खनन की रफ्तार ऐसे चलती रही तो राज्य में लौह अयस्क भंडार अगले 43 सालों में समाप्त हो जाएगा और सारंडा का प्रसिद्ध साल वन उजड़ जाएगा. शाह आयोग ने आगे की जांच करने की कुछ जिम्मेदारी को झारखंड सरकार पर छोड़ दिया था. 2014-19 के बीच झारखंड सरकार को यह जिम्मेदारी निभानी थी. उनका आरोप है कि तत्कालीन सरकार ने ऐसा नहीं किया. इससे अवैध खनन को प्रोत्साहन मिलता रहा.

ये भी देखें- रांची: वित्त मंत्री ने किया दावा, कहा- 15 अगस्त को लॉन्च होगी मुख्यमंत्री श्रमिक योजना

एसआईटी के गठन की मांग

सरयू राय मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि मामले की गहन जांच के लिए एक उच्चस्तरीय एसआईटी गठित की जाय ताकि प्राकृतिक संसाधनों के साथ ना इंसाफी करने वालों और राज्य और राज्य की जनता का हक मारने वाले दोषियों को विधि के अनुरूप दंडित किया जा सके.

जमशेदपुर: पूर्वी के निर्दलीय विधायक सरयू राय ने एक बार फिर लौह अयस्क के अवैध खनन को लेकर मुख्यमंत्री रघुवर दास पर हमला बोला है. विधायक सरयू राय ने लौह अयस्क के अवैध खनन मामले में गठित शाह आयोग की रिपोर्ट के बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की ओर से कार्रवाई नहीं किए जाने का आरोप लगाया. इस संबंध में उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को शिकायती पत्र लिखकर पूरे मामले और पूर्व मुख्यमंत्री की भूमिका की जांच की मांग की है. विधायक सरयू राय ने अपने पत्र में लिखा है कि विगत 5 सालों में झारखंड में हुए लौह अयस्क के अवैध खनन की जांच करने और एमबी शाह आयोग की ओर से अवैध खनन पर लगाए गए अरबों रुपये के जुर्माना को जान बूझकर नहीं वसूलने में तत्कालीन सरकार और तत्कालीन महाधिवक्ता की जांच कराएं.

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उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि झारखंड सहित देश के अन्य लौह अयस्क वाले राज्यों में अवैध खनन की शिकायतों की जांच करने के लिए भारत सरकार ने 22 नवंबर 2010 को शाह आयोग का गठन किया था. आयोग ने अक्टूबर 2013 में अपना प्रतिवेदन भारत सरकार को सौंप दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि शाह आयोग को झारखंड में जांच करने का पूरा समय नहीं मिला. फिर भी आयोग ने झारखंड में लौह अयस्क खनन पट्टा धारियों की विभिन्न प्रकार की अनियमितता को उजागर किया और दोषियों पर करीब 14,541 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया.

आयोग ने अपने प्रतिवेदन में चिंता व्यक्त की थी कि यदि खनन पट्टों की सूची और खनन की रफ्तार ऐसे चलती रही तो राज्य में लौह अयस्क भंडार अगले 43 सालों में समाप्त हो जाएगा और सारंडा का प्रसिद्ध साल वन उजड़ जाएगा. शाह आयोग ने आगे की जांच करने की कुछ जिम्मेदारी को झारखंड सरकार पर छोड़ दिया था. 2014-19 के बीच झारखंड सरकार को यह जिम्मेदारी निभानी थी. उनका आरोप है कि तत्कालीन सरकार ने ऐसा नहीं किया. इससे अवैध खनन को प्रोत्साहन मिलता रहा.

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एसआईटी के गठन की मांग

सरयू राय मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है कि मामले की गहन जांच के लिए एक उच्चस्तरीय एसआईटी गठित की जाय ताकि प्राकृतिक संसाधनों के साथ ना इंसाफी करने वालों और राज्य और राज्य की जनता का हक मारने वाले दोषियों को विधि के अनुरूप दंडित किया जा सके.

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