ETV Bharat / city

यहां खेली जाती है पानी की होली, लोग नहीं लगाते हैं एक-दूसरे को रंग - Baha Sendra festival of jamshedpur

जमशेदपुर में आदिवासी समाज बाहा सेंदरा पर्व की पुरानी संस्कृति को आज भी बखूबी निभा रहे हैं. फाल्गुन मास से पहले मनाए जाने वाले इस पर्व में संथाल समाज के लोग सेंदरा पर जाते है और उनके लौटने पर गांव में पानी की होली होती है. इस दिन ग्रामीण पानी की होली को पवित्र मानते है.

बाहा सेंदरा पर्व का उत्साह
Baha Sendra festival in Jamshedpur
author img

By

Published : Mar 9, 2020, 5:42 PM IST

Updated : Mar 9, 2020, 7:01 PM IST

जमशेदपुर: आदिवासी संथाल समाज की ओर से बाहा सेंदरा पर्व मनाया गया. इस दौरान ग्रामीण हाथों मे पारंपरिक तीर-धनुष और अन्य हथियार लेकर ढोल-नगाड़ा बजाते हुए गांव के आस-पास के जंगलों में घूमते हुए गांव पहुंचे, जहां महिलाओं ने पैर धोकर उनका स्वागत किया.

देखें पूरी खबर

पारंपरिक तीर-धनुष लेकर घुमते हैं संथाली

जमशेदपुर शहर से दूर ग्रामीण क्षेत्र में आदिवासी संथाल समाज की ओर से बाहा सेंदरा पर्व मनाकर पानी की होली खेली गई. हाथ में पारंपरिक तीर-धनुष और अन्य हथियार के साथ ग्रामीण ढोल-नगाड़ा बजाते हुए गांव के आस-पास के जंगलों में घूमते हुए गांव पहुंचे. गांव में जगह-जगह महिलाएं अपने घरों के बाहर तेल और पानी से उनके पैर को धोकर उनका स्वागत की और पानी की बौछार कर पानी की होली खेली. इस दौरान ग्रामीणों को चना और हड़िया भी दी गई.

ये भी पढ़ें-बड़कागांव में फर्नीचर व्यवसाई को अज्ञात अपराधियों ने मारी गोली, अस्पताल में हुई मौत

पानी की होली

अपनी इस परंपरा संस्कृति के बारे में बताते हुए माझी परगना के दशमत हांसदा ने बताया कि झारखंड में संथाल समाज की ओर से बाहा सेंदरा और पानी की होली खेली जाती है. बाहा के दिन गांव के नायके यानी पंडित के घर ग्रामीण अपने तीर-धनुष और अन्य हथियार को पूजा के लिए रखते हैं और दूसरे दिन शुभ मुहूर्त देखकर तीर-धनुष हथियार लेकर गांव के आस-पास के जंगलों में सेंदरा करने जाते हैं. सेंदरा के दौरान कई जड़ी बूटियों की जानकारी भी उन्हें मिलती है, जिसे गांव में सभी के बीच बांटा जाता है.

पैर धोकर महिलाएं करती हैं स्वागत

गांव के मुखिया राहुल बास्के को अपनी इस पुरानी परंपरा पर गर्व है. उनका कहना है कि सेंदरा से सकुशल लौटने पर गांव में महिलाएं उनका पैर धोकर स्वागत करती है और पानी की होली खेला जाता है. उन्होंने कहा कि उनके समाज मे रंग से होली नहीं खेली जाती है और पानी भी उसी पर डालते है, जिससे उनका संबंध होता है. पूरा गांव एक उमंग उत्साह में डूबा रहता है. इस त्योहार में गांव को विशेष तरीके से सजाया जाता है. यहां कि ग्रामीण महिलाएं कहती हैं कि यह त्योहार पूर्वजों की देन है, जिसे हम निभाते आ रहे है.

जमशेदपुर: आदिवासी संथाल समाज की ओर से बाहा सेंदरा पर्व मनाया गया. इस दौरान ग्रामीण हाथों मे पारंपरिक तीर-धनुष और अन्य हथियार लेकर ढोल-नगाड़ा बजाते हुए गांव के आस-पास के जंगलों में घूमते हुए गांव पहुंचे, जहां महिलाओं ने पैर धोकर उनका स्वागत किया.

देखें पूरी खबर

पारंपरिक तीर-धनुष लेकर घुमते हैं संथाली

जमशेदपुर शहर से दूर ग्रामीण क्षेत्र में आदिवासी संथाल समाज की ओर से बाहा सेंदरा पर्व मनाकर पानी की होली खेली गई. हाथ में पारंपरिक तीर-धनुष और अन्य हथियार के साथ ग्रामीण ढोल-नगाड़ा बजाते हुए गांव के आस-पास के जंगलों में घूमते हुए गांव पहुंचे. गांव में जगह-जगह महिलाएं अपने घरों के बाहर तेल और पानी से उनके पैर को धोकर उनका स्वागत की और पानी की बौछार कर पानी की होली खेली. इस दौरान ग्रामीणों को चना और हड़िया भी दी गई.

ये भी पढ़ें-बड़कागांव में फर्नीचर व्यवसाई को अज्ञात अपराधियों ने मारी गोली, अस्पताल में हुई मौत

पानी की होली

अपनी इस परंपरा संस्कृति के बारे में बताते हुए माझी परगना के दशमत हांसदा ने बताया कि झारखंड में संथाल समाज की ओर से बाहा सेंदरा और पानी की होली खेली जाती है. बाहा के दिन गांव के नायके यानी पंडित के घर ग्रामीण अपने तीर-धनुष और अन्य हथियार को पूजा के लिए रखते हैं और दूसरे दिन शुभ मुहूर्त देखकर तीर-धनुष हथियार लेकर गांव के आस-पास के जंगलों में सेंदरा करने जाते हैं. सेंदरा के दौरान कई जड़ी बूटियों की जानकारी भी उन्हें मिलती है, जिसे गांव में सभी के बीच बांटा जाता है.

पैर धोकर महिलाएं करती हैं स्वागत

गांव के मुखिया राहुल बास्के को अपनी इस पुरानी परंपरा पर गर्व है. उनका कहना है कि सेंदरा से सकुशल लौटने पर गांव में महिलाएं उनका पैर धोकर स्वागत करती है और पानी की होली खेला जाता है. उन्होंने कहा कि उनके समाज मे रंग से होली नहीं खेली जाती है और पानी भी उसी पर डालते है, जिससे उनका संबंध होता है. पूरा गांव एक उमंग उत्साह में डूबा रहता है. इस त्योहार में गांव को विशेष तरीके से सजाया जाता है. यहां कि ग्रामीण महिलाएं कहती हैं कि यह त्योहार पूर्वजों की देन है, जिसे हम निभाते आ रहे है.

Last Updated : Mar 9, 2020, 7:01 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.