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झारखंड विधानसभा चुनाव 2019: समीर महंती की हो सकती है JMM में घर वापसी!

विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा से बागी नेता समीर महंती जेएमएम में घर वापसी करते हैं. सूत्रों की मानें, तो जेएमएम से विधायक रहे कुणाल षाड़ंगी के भाजपा में शामिल होने के बाद से समीर महंती लगातार नाराज चल रहे हैं.

समीर महंती की हो सकती है JMM में घर वापसी
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Published : Nov 2, 2019, 4:52 PM IST

घाटशिला,पूर्वी सिंहभूम: झामुमो से अपनी राजनीति की शुरूआत करने वाले तेज-तर्रार नेता और मौजूदा भाजपा युवा नेता समीर महंती विधानसभा चुनाव 2019 से पहले घर वापसी कर सकते हैं. ऐसा माना जा रहा है कि झामुमो विधायक कुणाल षाड़ंगी के भाजपा में शामिल होने के बाद समीर महंती बागी हो गए हैं.

कुणाल के भाजपा में आने के बाद उन्होंने अपने समर्थक और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर उनकी राय ली. उन्होंने दीपावली के दिन चाकुलिया की 19 पंचायतों के ग्रामीणों की राय लेने के लिए मत पेटी भेजने के साथ कार्यकर्ताओं को गांव में भेजा है. इससे साफ है कि समीर महंती कुणाल के भाजपा में आने के बाद से ही बागी हो गए हैं. सूत्रों के मुताबिक, भाजपा नेता समीर महंती 10 नवंबर से पहले ही झामुमो में शामिल हो सकते हैं.

समीर महंती ने साल 1994 में झामुमो में शामिल होकर राजनीतिक पहचान बनानी शुरू की. झामुमो में रहकर 2 विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट नहीं मिलने से नाराज समीर महंती ने 2005 में आजसू का दामन थामा. आजसू से चुनाव लड़ा, लेकिन सफलता नहीं मिली. इसके बाद तीसरे विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे रहे. 2014 के विधानसभा चुनाव में आजसू और भाजपा का गठबंधन होने के कारण बहरागोड़ा विधानसभा सीट भाजपा के खाते में चली गई. इस सीट से भाजपा ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिनेशानंद गोस्वामी को उम्मीदवार बनाया, तब समीर महंती ने बागी होकर झारखंड विकास मोर्चा का दामन थामकर बहरागोड़ा से चुनाव लड़ा. वहीं, झामुमो से कुणाल षाड़ंगी चुनाव लड़े.

ये भी पढ़ें- विधानसभा चुनाव 2019: रांची विधानसभा क्षेत्र से विधायक सीपी सिंह का रिपोर्ट कार्ड

2014 के विधानसभा चुनाव में कुणाल षाड़ंगी ने अपने दोनों प्रतिद्वंद्वियों से 15 हजार वोटों के अंतर से जीत हासिल कर ली. हालांकि 2014 के विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हवा क्षेत्र में होने के बावजूद भी समीर महंती ने विस क्षेत्र से 42 हजार वोट लाकर सभी को चौंका दिया. हालांकि वो इस चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार डॉ दिनेशानंद गोस्वामी से चंद ही वोटों से पीछे थे. अब दोबारा समीर महंती भाजपा से बागी हो गए हैं और उनकी पुराने घर झामुमो में वापसी अटकलें तेज हो गई हैं.

समीर महंती के झामुमो में शामिल होने से बहरागोड़ा विस सीट पर चुनाव रोचक होगा. समीर महंती ही एक मात्र उम्मीदवार हैं, जो बहरागोड़ा सीट पर किसी भी पार्टी के उम्मीदवार को टक्कर दे सकते हैं. क्षेत्र के लोगों की निगाहें अब समीर महंती पर हैं. अब देखना है कि समीर महंती कब झामुमो में वापसी करेंगे. विधानसभा चुनाव में बहरागोड़ा सीट से झामुमो का टिकट लेकर चुनाव लड़ेंगे या नहीं, इसे लेकर क्षेत्र में राजनीतिक माहौल गरमा गया है.

घाटशिला,पूर्वी सिंहभूम: झामुमो से अपनी राजनीति की शुरूआत करने वाले तेज-तर्रार नेता और मौजूदा भाजपा युवा नेता समीर महंती विधानसभा चुनाव 2019 से पहले घर वापसी कर सकते हैं. ऐसा माना जा रहा है कि झामुमो विधायक कुणाल षाड़ंगी के भाजपा में शामिल होने के बाद समीर महंती बागी हो गए हैं.

कुणाल के भाजपा में आने के बाद उन्होंने अपने समर्थक और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर उनकी राय ली. उन्होंने दीपावली के दिन चाकुलिया की 19 पंचायतों के ग्रामीणों की राय लेने के लिए मत पेटी भेजने के साथ कार्यकर्ताओं को गांव में भेजा है. इससे साफ है कि समीर महंती कुणाल के भाजपा में आने के बाद से ही बागी हो गए हैं. सूत्रों के मुताबिक, भाजपा नेता समीर महंती 10 नवंबर से पहले ही झामुमो में शामिल हो सकते हैं.

समीर महंती ने साल 1994 में झामुमो में शामिल होकर राजनीतिक पहचान बनानी शुरू की. झामुमो में रहकर 2 विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट नहीं मिलने से नाराज समीर महंती ने 2005 में आजसू का दामन थामा. आजसू से चुनाव लड़ा, लेकिन सफलता नहीं मिली. इसके बाद तीसरे विधानसभा चुनाव की तैयारी में जुटे रहे. 2014 के विधानसभा चुनाव में आजसू और भाजपा का गठबंधन होने के कारण बहरागोड़ा विधानसभा सीट भाजपा के खाते में चली गई. इस सीट से भाजपा ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिनेशानंद गोस्वामी को उम्मीदवार बनाया, तब समीर महंती ने बागी होकर झारखंड विकास मोर्चा का दामन थामकर बहरागोड़ा से चुनाव लड़ा. वहीं, झामुमो से कुणाल षाड़ंगी चुनाव लड़े.

ये भी पढ़ें- विधानसभा चुनाव 2019: रांची विधानसभा क्षेत्र से विधायक सीपी सिंह का रिपोर्ट कार्ड

2014 के विधानसभा चुनाव में कुणाल षाड़ंगी ने अपने दोनों प्रतिद्वंद्वियों से 15 हजार वोटों के अंतर से जीत हासिल कर ली. हालांकि 2014 के विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हवा क्षेत्र में होने के बावजूद भी समीर महंती ने विस क्षेत्र से 42 हजार वोट लाकर सभी को चौंका दिया. हालांकि वो इस चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार डॉ दिनेशानंद गोस्वामी से चंद ही वोटों से पीछे थे. अब दोबारा समीर महंती भाजपा से बागी हो गए हैं और उनकी पुराने घर झामुमो में वापसी अटकलें तेज हो गई हैं.

समीर महंती के झामुमो में शामिल होने से बहरागोड़ा विस सीट पर चुनाव रोचक होगा. समीर महंती ही एक मात्र उम्मीदवार हैं, जो बहरागोड़ा सीट पर किसी भी पार्टी के उम्मीदवार को टक्कर दे सकते हैं. क्षेत्र के लोगों की निगाहें अब समीर महंती पर हैं. अब देखना है कि समीर महंती कब झामुमो में वापसी करेंगे. विधानसभा चुनाव में बहरागोड़ा सीट से झामुमो का टिकट लेकर चुनाव लड़ेंगे या नहीं, इसे लेकर क्षेत्र में राजनीतिक माहौल गरमा गया है.

Intro:घाटशिला/पूर्वी सिंहभूम

झामुमो से अपनी राजनीति शुरू करने वाले क्षेत्र के तेज-तर्रार नेता व वर्तमान में भाजपा के युवा नेता समीर महंती भी अपने पुराने राजनीतिक घर झामुमो में विधान सभा चुनाव के पूर्व वापसी कर सकते हैं. विदित हो की झामुमो विधायक कुणाल षाड़गी के भाजपा में शामिल होने के पश्चात समीर महंती बागी हो गये हैं.

कुणाल के भाजपा में जाने के बाद उन्होंने अपने समर्थक और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर उनकी राय ली है. उन्होंने दीपावली के दिन चाकुलिया की 19 पंचायतों के ग्रामीणों की राय लेने के लिए मत पेटी भेज के साथ कार्यकर्ताओं को गांव की और भेजा है. इससे साफ है कि समीर महंती कुणाल के भाजपा में आने के बाद से ही बागी हो गये हैं. सूत्रों के अनुसार भाजपा नेता समीर महंती 10 नवंबर से पूर्व ही झामुमो में शामिल हो सकते हैं.Body:समीर महंती ने अपनी राजनीति की पारी की शुरुआत झामुमो से ही की थी, यहीं से उन्हें राजनीति पहचान मिली. समीर महंती ने वर्ष 1994 में झामुमो में शामिल होकर राजनीतिक पहचान बनानी शुरू की. झामुमो में रहकर दो विधानसभा चुनाव में उन्हें टिकट नहीं मिलने से नाराज समीर महंती ने 2005 में आजसू का दामन थामा. आजसू से चुनाव लड़े, लेकिन सफलता नहीं मिली. तीसरे विधान सभा चुनाव की तैयारी में जुटे रहे. 2014 के विधानसभा चुनाव में आजसू और भाजपा का गठबंधन होने के कारण बहरागोड़ा विधानसभा सीट भाजपा के खाते में चली गई. भाजपा से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिनेशानंद गोस्वामी को पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया तब समीर महंती ने बागी होकर झारखंड विकास मोर्चा का दामन थाम कर बहरागोड़ा से चुनाव लड़ा. वहीं झामुमो से कुणाल षाड़गी चुनाव लड़े. 2014 के विधानसभा चुनाव में कुणाल षाड़गी ने अपने दोनों प्रतिद्वंद्वियों से 15 हजार वोटों के अंतर से जीत हासिल कर ली. हालांकि 2014 के विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हवा क्षेत्र में होने के बावजूद भी समीर महंती ने विस क्षेत्र से 42 हजार वोट लाकर सभी को चौंका दिया.
Conclusion:हालांकि वे इस चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार डॉ दिनेशानंद गोस्वामी से चंद ही वोटों से पीछे थे. अब दोबारा समीर महंती भाजपा से बागी हो गये हैं और उनकी पुराने घर झामुमो में वापसी अटकले तेज हो गयी हैं. समीर महंती के झामुमो में शामिल होने से बहरागोड़ा विस सीट पर चुनाव रोचक होगा. समीर महंती ही एक मात्र उम्मीदवार हैं, जो बहरागोड़ा सीट पर किसी भी पार्टी के उम्मीदवार को टक्कर दे सकते हैं. क्षेत्र के लोगों की निगाहें अब समीर महंती पर है. देखना है कि समीर महंती कब झामुमो में वापसी करेंगे. विधानसभा चुनाव में बहड़ागोड़ा विधानसभा से झामुमो का टिकट लेकर चुनाव लड़ेंगे या नहीं, इसे लेकर क्षेत्र में राजनीतिक माहौल गरमा गया है.

रिपोर्ट
कनाई राम हेंब्रम
घाटशिला
JHC10017
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