जमशेदपुरः जनता दल यूनाइटेड के प्रदेश अध्यक्ष सह पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने झारखंड में हिंदी की तर्ज पर संथाली भाषा को राज्य की प्रथम राजभाषा घोषित करने की मांग की है. इस मामले को लेकर उन्होंने वर्तमान सरकार में और भाजपा को भी आड़े हाथों लिया है. पूर्व सांसद सालखन मुर्मू ने एक पत्र लिखकर कहा है कि आज की तारीख में झारखंड राज्य के संवैधानिक प्रमुख राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू हैं, हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री हैं और भाजपा की ओर से बाबूलाल मरांडी नेता प्रतिपक्ष के लिए नामित हैं.
सालखन मुर्मू ने कहा कि ये तीनों ओहदेदार सभी आदिवासी के साथ-साथ संताल समुदाय से हैं न केवल झारखंड पूरे देश और विदेश के आदिवासी और खासकर संताल समुदाय की दिली तमन्ना है कि संताली को झारखंड में हिंदी के साथ प्रथम राजभाषा का दर्जा प्राप्त हो जाए. जिससे शिक्षण, प्रशिक्षण, पठन-पठान, विधि व्यवस्था-प्रशासन, संस्कृति, संवाद, पर्यटन, रोजगार आदि के क्षेत्रों में समृद्धि हो सके. इसके तहत उन्होंने मांग की है कि मार्गदर्शन देते हुए त्वरित सकारात्मक फैसला लेकर एक नया इतिहास बनाएं.
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बता दें कि यह स्वर्णिम अवसर शायद फिर कभी नहीं आएगा जब तीनों प्रमुख संवैधानिक पदों पर संताल आदिवासी काबिज हैं. संताल लोग उम्मीद करते हैं कि वे लोग अनुच्छेद 347 के तहत अपने विशेषाधिकार का उपयोग कर देश के आदिवासी समूह को कृतज्ञ करेंगे. पूर्व में राज्य पुनर्गठन आयोग-1956 ने कोई एक झारखंडी आदिवासी भाषा को लिंक लैंग्वेज की कमी बताकर 1956 में वृहद झारखंड प्रदेश के गठन की मांग को अस्वीकार कर दिया था. वस्तुत भाषा संस्कृति ही स्थानीयता, राष्ट्रीयता (उपराष्ट्रीयता) का आधार बिंदु होता है.