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वर्क फ्रॉम होम की कई व्यवसायों-सेवाओं पर पड़ी मार, रोजगार छिनने से दाने-दाने को मोहताज हुए ये लोग

शहर में वर्क फ्रॉम होम का कई व्यवसायों और सेवाओं को प्रदान करने वाले लोगों पर बुरा असर पड़ा है. दफ्तरों में चौकीदारी करने वाले, हाउस कीपिंग सेवा और नाश्ता आदि मुहैया कराने वाले लोग इससे प्रभावित हुए हैं. इनका रोजगार छिनने से ये दाने दाने को मोहता हो गए हैं.

People upset over employment in lockdown in jamshedpur
वर्क फ्रॉम होम की कई व्यवसायों-सेवाओं पर पड़ी मार
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Published : Sep 22, 2020, 10:42 PM IST

जमशेदपुर: वैश्विक महामारी कोरोना के कहर से निजात पाने के लिए जमशेदपुर में लॉकडाउन के दरमियां आईटी से जुड़े कर्मचारी घरों से काम कर रहे हैं. ऐसे में दफ्तरों पर आधारित सेवाओं और व्यवसाय से जुड़े कर्मचारियों और व्ययवसायियों का रोजगार छिन गया है और उनकी रोजी-रोटी पर आर्थिक संकट गहराने लगा है.

देखें ये स्पेशल स्टोरी

घर से काम

खूबसूरत और गगनचुंबी इमारतों से सजे जमशेदपुर शहर की कायाकल्प महानगरों की तर्ज पर की गई है. जमशेदपुर में विश्व की बड़ी कंपनियों और औद्योगिक घरानों के कारण इसे औद्योगिक नगरी भी कहा जाता हैं.लॉकडाउन में स्वास्थ्य अधिकारी, होटल कर्मचारी, ट्रैवल कर्मचारी, दुकान, मॉल, पुलिस कर्मचारी घर से काम नहीं कर सकते. बैंकिंग, फाइनेंशियल कर्मचारी, शिक्षा से जुड़े कर्मी आसानी से घरों से काम कर सकते हैं.आईटी, सॉफ्टवेयर डेवलपर, नेटवर्किंग वेबसाइट में काम करने वाले कर्मचारी मौजूदा समय में वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- SPECIAL: झारखंड का एकमात्र गांव कोलबेंदी जहां 16 दिन होती है दुर्गा पूजा


हर साल 10 करोड़ रुपये का टर्नओवर

एक आंकड़े के मुताबिक झारखंड के जमशेदपुर में हर साल 10 करोड़ की आईटी इंडस्ट्री का काम होता है. जिस पर कोरोना की वजह से लॉकडाउन का ग्रहण लग गया. इस वजह से हजारों कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम से काम करने का आदेश दिया गया.

लॉकडाउन से सुधरा प्रदूषण स्तर

कोरोना संक्रमण के दौरान लगे लॉकडाउन की वजह से प्रदूषण स्तर में भी सुधार हुआ है. इस दौरान वर्क फ्रॉम होम की वजह से सड़कों पर वाहनों का आवागमन बंद हो गया था. इसके साथ ही कोरोना के कारण ऑफिस कल्चर, कर्मचारियों के जीवनशैली में हुए बदलाव का पर्यावरण को भी फायदा हुआ है. शहर की आबोहवा की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है. साथ ही प्रदूषण के स्तर में भी कमी मापी गई है. जमशेदपुर के शहरी क्षेत्रों में दो पहिया वाहन और चार पहिया वाहनों के कम चलने के कारण नाइट्रोजन डाइऑक्साइड में भारी कमी आई है. ईंधन की बचत के कारण शहर की आबोहवा शुद्ध हो गई है.

लॉकडाउन के दौरान कंपनी के मालिकों को ऑफिस खर्च और किराए से भी राहत मिल गई है. जमशेदपुर में कैंटीन चलाने वाले बताते हैं कि पहले के मुताबिक घरों में टिफिन पहुंचाने वालों की संख्या में कमी देखी गई है.पूर्व में ऑफिस कर्मचारियों को मिलाकर तकरीबन एक हजार से ज्यादा कॉमर्शियल बिल्डिंग के कर्मचारियों को नाश्ता और भोजन पहुंचाया जाता था. वर्तमान में कुछ कर्मियों के घर से काम करने के कारण कर्मचारी दाने-दाने को मोहताज हो रहे हैं.

कॉमर्शियल बिल्डिंग के कर्मचारियों की दशा

शहर की कॉमर्शियल बिल्डिंग के रख-रखाव की जिम्मेदारी और साफ सफाई करने वाले कर्मचारियों को भी इन दिनों चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. घर में साफ-सफाई करने वाली महिलाओं और पुरुषों को कम वेतन में काम ज्यादा काम होने की समस्या से जूझना पड़ रहा है.वेतन में कमी होने के कारण भी चौकीदार काम कर रहे हैं. शहर के जाने-मानें विशेषज्ञ रवि सिंह के मुताबिक जमशेदपुर में वर्क फ्रॉम होम के कारण तकरीबन एक हजार सुरक्षा प्रहरी की नौकरी चली गई. इससे उनको काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है.

जमशेदपुर: वैश्विक महामारी कोरोना के कहर से निजात पाने के लिए जमशेदपुर में लॉकडाउन के दरमियां आईटी से जुड़े कर्मचारी घरों से काम कर रहे हैं. ऐसे में दफ्तरों पर आधारित सेवाओं और व्यवसाय से जुड़े कर्मचारियों और व्ययवसायियों का रोजगार छिन गया है और उनकी रोजी-रोटी पर आर्थिक संकट गहराने लगा है.

देखें ये स्पेशल स्टोरी

घर से काम

खूबसूरत और गगनचुंबी इमारतों से सजे जमशेदपुर शहर की कायाकल्प महानगरों की तर्ज पर की गई है. जमशेदपुर में विश्व की बड़ी कंपनियों और औद्योगिक घरानों के कारण इसे औद्योगिक नगरी भी कहा जाता हैं.लॉकडाउन में स्वास्थ्य अधिकारी, होटल कर्मचारी, ट्रैवल कर्मचारी, दुकान, मॉल, पुलिस कर्मचारी घर से काम नहीं कर सकते. बैंकिंग, फाइनेंशियल कर्मचारी, शिक्षा से जुड़े कर्मी आसानी से घरों से काम कर सकते हैं.आईटी, सॉफ्टवेयर डेवलपर, नेटवर्किंग वेबसाइट में काम करने वाले कर्मचारी मौजूदा समय में वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं.

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हर साल 10 करोड़ रुपये का टर्नओवर

एक आंकड़े के मुताबिक झारखंड के जमशेदपुर में हर साल 10 करोड़ की आईटी इंडस्ट्री का काम होता है. जिस पर कोरोना की वजह से लॉकडाउन का ग्रहण लग गया. इस वजह से हजारों कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम से काम करने का आदेश दिया गया.

लॉकडाउन से सुधरा प्रदूषण स्तर

कोरोना संक्रमण के दौरान लगे लॉकडाउन की वजह से प्रदूषण स्तर में भी सुधार हुआ है. इस दौरान वर्क फ्रॉम होम की वजह से सड़कों पर वाहनों का आवागमन बंद हो गया था. इसके साथ ही कोरोना के कारण ऑफिस कल्चर, कर्मचारियों के जीवनशैली में हुए बदलाव का पर्यावरण को भी फायदा हुआ है. शहर की आबोहवा की गुणवत्ता में भी सुधार हुआ है. साथ ही प्रदूषण के स्तर में भी कमी मापी गई है. जमशेदपुर के शहरी क्षेत्रों में दो पहिया वाहन और चार पहिया वाहनों के कम चलने के कारण नाइट्रोजन डाइऑक्साइड में भारी कमी आई है. ईंधन की बचत के कारण शहर की आबोहवा शुद्ध हो गई है.

लॉकडाउन के दौरान कंपनी के मालिकों को ऑफिस खर्च और किराए से भी राहत मिल गई है. जमशेदपुर में कैंटीन चलाने वाले बताते हैं कि पहले के मुताबिक घरों में टिफिन पहुंचाने वालों की संख्या में कमी देखी गई है.पूर्व में ऑफिस कर्मचारियों को मिलाकर तकरीबन एक हजार से ज्यादा कॉमर्शियल बिल्डिंग के कर्मचारियों को नाश्ता और भोजन पहुंचाया जाता था. वर्तमान में कुछ कर्मियों के घर से काम करने के कारण कर्मचारी दाने-दाने को मोहताज हो रहे हैं.

कॉमर्शियल बिल्डिंग के कर्मचारियों की दशा

शहर की कॉमर्शियल बिल्डिंग के रख-रखाव की जिम्मेदारी और साफ सफाई करने वाले कर्मचारियों को भी इन दिनों चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. घर में साफ-सफाई करने वाली महिलाओं और पुरुषों को कम वेतन में काम ज्यादा काम होने की समस्या से जूझना पड़ रहा है.वेतन में कमी होने के कारण भी चौकीदार काम कर रहे हैं. शहर के जाने-मानें विशेषज्ञ रवि सिंह के मुताबिक जमशेदपुर में वर्क फ्रॉम होम के कारण तकरीबन एक हजार सुरक्षा प्रहरी की नौकरी चली गई. इससे उनको काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है.

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