घाटशिला/पूर्वी सिंहभूम: डुमरिया प्रखंड के चट्टानीपानी गांव के ग्रामीण आजादी के समय से ही जय नदी पर लकड़ी के पुल पर से आना-जाना करते हैं. ग्रामीणों को सबसे अधिक दिक्कत बरसात के समय होती है. इन दिनों चट्टानीपानी गांव अन्य गांव से कट जाता है. जय नदी में पानी भर जाने से यहां के ग्रामीणों को तीन माह तक सबसे अधिक खासी परेशानी होती है.
ग्रामीणों को सबसे ज्यादा चिंता उनके छोटे-छोटे स्कूली बच्चो की होती है, जो इस पुलिया से होकर गुजरते हैं. बरसात के समय तो स्कूल जाना भी बंद हो जातै है. लकडी़ का पुल बरसात पर इतना चिकना हो जाता है कि कई बार लोग फिसल कर नदी में गिर गए हैं.
ग्रामीणों की जय नदी पर पुल निर्माण की मांग
ग्रामीणों ने पुल निर्माण को लेकर कई बार आंदोलन किए. प्रखंड विकास पदाधिकारी से लेकर उपायुक्त तक पुल निर्माण को लेकर ज्ञापन सौंपा. हालांकि अभी तक इसका समाधान नहीं हुआ. जय नदी में पानी भर जाने से यहां के ग्रामीणों को 3 महीने तक सबसे अधिक परेशानी होती है.
10 गांव को जोड़ता है पुल
ग्रामीण बताते हैं कि वो हर साल लकड़ी का पुल बनाते हैं. नदी में पानी के तेज बहाव की वजह से कई बार पुल टूटकर बह जाता है. ग्रामीणों ने कहा कि चट्टानीपानी गांव ओडिशा सीमावर्ती इलाके में बसा है. यह रास्ता मुख्य रूप से झारखंड और ओडिशा को जोड़ता है. पुल बन जाने पर 10 गांवों को फायदा होगा. झारखंड के चट्टानीपानी, जोजोगोडा, सुनूडोर, दामडीडदाही, गुरूटोला और ओडिशा के ताहुतुका, डाहपानी, जारही और कुसमघाटी गांव के ग्रामीणों को इस पुल के निर्माण का बेहद ही बेसब्री से इंतजार है.