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झारखंड में इस गांव के ग्रामीण 3 महीने के लिए हो जाते हैं 'कैद'! जानिए क्या है मामला

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Published : Aug 10, 2019, 3:08 PM IST

Updated : Aug 17, 2019, 9:24 PM IST

जमशेदपुर के घाटशिला प्रखंड में चट्टानीपानी गांव में जय नदी पर पुल नहीं होने से स्थानीय ग्रामीणों को बेहद ही परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. ग्रामीणों ने पुल निर्माण को लेकर कई बार उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा. हालांकि अभी तक इस बाबत प्रशासन और शासन की ओर से कोई पहल नहीं की गई.

लकड़ी के पुल पर चलते बच्चे

घाटशिला/पूर्वी सिंहभूम: डुमरिया प्रखंड के चट्टानीपानी गांव के ग्रामीण आजादी के समय से ही जय नदी पर लकड़ी के पुल पर से आना-जाना करते हैं. ग्रामीणों को सबसे अधिक दिक्कत बरसात के समय होती है. इन दिनों चट्टानीपानी गांव अन्य गांव से कट जाता है. जय नदी में पानी भर जाने से यहां के ग्रामीणों को तीन माह तक सबसे अधिक खासी परेशानी होती है.

ग्रामीणों को सबसे ज्यादा चिंता उनके छोटे-छोटे स्कूली बच्चो की होती है, जो इस पुलिया से होकर गुजरते हैं. बरसात के समय तो स्कूल जाना भी बंद हो जातै है. लकडी़ का पुल बरसात पर इतना चिकना हो जाता है कि कई बार लोग फिसल कर नदी में गिर गए हैं.

वीडियो में देखें ये स्पेशल खबर

ग्रामीणों की जय नदी पर पुल निर्माण की मांग
ग्रामीणों ने पुल निर्माण को लेकर कई बार आंदोलन किए. प्रखंड विकास पदाधिकारी से लेकर उपायुक्त तक पुल निर्माण को लेकर ज्ञापन सौंपा. हालांकि अभी तक इसका समाधान नहीं हुआ. जय नदी में पानी भर जाने से यहां के ग्रामीणों को 3 महीने तक सबसे अधिक परेशानी होती है.

10 गांव को जोड़ता है पुल

ग्रामीण बताते हैं कि वो हर साल लकड़ी का पुल बनाते हैं. नदी में पानी के तेज बहाव की वजह से कई बार पुल टूटकर बह जाता है. ग्रामीणों ने कहा कि चट्टानीपानी गांव ओडिशा सीमावर्ती इलाके में बसा है. यह रास्ता मुख्य रूप से झारखंड और ओडिशा को जोड़ता है. पुल बन जाने पर 10 गांवों को फायदा होगा. झारखंड के चट्टानीपानी, जोजोगोडा, सुनूडोर, दामडीडदाही, गुरूटोला और ओडिशा के ताहुतुका, डाहपानी, जारही और कुसमघाटी गांव के ग्रामीणों को इस पुल के निर्माण का बेहद ही बेसब्री से इंतजार है.

घाटशिला/पूर्वी सिंहभूम: डुमरिया प्रखंड के चट्टानीपानी गांव के ग्रामीण आजादी के समय से ही जय नदी पर लकड़ी के पुल पर से आना-जाना करते हैं. ग्रामीणों को सबसे अधिक दिक्कत बरसात के समय होती है. इन दिनों चट्टानीपानी गांव अन्य गांव से कट जाता है. जय नदी में पानी भर जाने से यहां के ग्रामीणों को तीन माह तक सबसे अधिक खासी परेशानी होती है.

ग्रामीणों को सबसे ज्यादा चिंता उनके छोटे-छोटे स्कूली बच्चो की होती है, जो इस पुलिया से होकर गुजरते हैं. बरसात के समय तो स्कूल जाना भी बंद हो जातै है. लकडी़ का पुल बरसात पर इतना चिकना हो जाता है कि कई बार लोग फिसल कर नदी में गिर गए हैं.

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ग्रामीणों की जय नदी पर पुल निर्माण की मांग
ग्रामीणों ने पुल निर्माण को लेकर कई बार आंदोलन किए. प्रखंड विकास पदाधिकारी से लेकर उपायुक्त तक पुल निर्माण को लेकर ज्ञापन सौंपा. हालांकि अभी तक इसका समाधान नहीं हुआ. जय नदी में पानी भर जाने से यहां के ग्रामीणों को 3 महीने तक सबसे अधिक परेशानी होती है.

10 गांव को जोड़ता है पुल

ग्रामीण बताते हैं कि वो हर साल लकड़ी का पुल बनाते हैं. नदी में पानी के तेज बहाव की वजह से कई बार पुल टूटकर बह जाता है. ग्रामीणों ने कहा कि चट्टानीपानी गांव ओडिशा सीमावर्ती इलाके में बसा है. यह रास्ता मुख्य रूप से झारखंड और ओडिशा को जोड़ता है. पुल बन जाने पर 10 गांवों को फायदा होगा. झारखंड के चट्टानीपानी, जोजोगोडा, सुनूडोर, दामडीडदाही, गुरूटोला और ओडिशा के ताहुतुका, डाहपानी, जारही और कुसमघाटी गांव के ग्रामीणों को इस पुल के निर्माण का बेहद ही बेसब्री से इंतजार है.

Intro:घाटशिला/पूर्वी सिंहभूम

डुमरिया प्रखंड के चट्टानीपानी गांव के ग्रामीण आजादी के समय से ही जय नदी पर लकड़ी के पुल पर से आना-जाना करते हैं. ग्रामीणों को सबसे अधिक दिक्कत बरसात के समय होती है. इन दिनों चट्टानीपानी गांव अन्य गांव से कट जाता है. जय नदी में पानी भर जाने से यहां के ग्रामीणों को तीन माह तक सबसे अधिक खासी परेशानी होती है. यहां के ग्रामीणों को सबसे ज्यादा चिंता उनके छोटे छोटे स्कूली बच्चे जो इसी पुलिया से पार होते हैं बरसात के समय तो स्कूल जाने भी बंद हो जाते हैं कभी कभी क्योंकि लकडी़ का पुल बरसात पर इतना चिकना बन जाता है कि कभी भी कोई भी नदी में गिर सकता है


ग्रामीणों ने जय नदी पर पुल निर्माण मांग
को लेकर कई बार आंदोलन किए तो प्रखंड विकास पदाधिकारी से लेकर उपायुक्त तक पुल निर्माण की मांग को लेकर ज्ञापन सौंप चुके हैं. लेकिन अभी तक कोई इसका समाधान नहीं निकल पाया हैBody:चट्टानीपानी गांव के ग्रामीण आजादी के समय से ही जय नदी पर लकड़ी के पुल पर से आना-जाना करते हैं. ग्रामीणों को सबसे अधिक दिक्कत बरसात के समय होती है. इन दिनों चट्टानीपानी गांव अन्य गांव
से कट जाता है. जय नदी में पानी भर जाने से यहां के ग्रामीणों को तीन माह तक सबसे अधिक खासी परेशानी होती है. इन दिनों गांव के बच्चों का भी स्कूल बंद हो जाता है. ग्रामीण बताते हैं कि प्रत्येक साल वे
लकड़ी का पुल बनाते हैं. नदी में पानी का तेज बहाव होने पर लकड़ी का पुल टूटकर बह जाता है. उन्हें फिर से मरम्मत करनी पड़ती है या पुल बनानी पड़ती है.Conclusion:ग्रामीणों ने कहा कि चट्टानीपानी गांव ओडिसा सीमावर्ती इलाके में बसा है. यह रास्ता मुख्य रूप से झारखंड और ओडिसा को जोड़ता है. पुल बन जाने पर दस गांवों को फायदा होगा. झारखंड के चट्टानीपानी, जोजोगोडा, सुनूडोर, दामडीडदाही, गुरूटोला और ओडिसा के ताहुतुका, डाहपानी, जारही और कुसमघाटी गांव के ग्रामीणों को इस पुल का काफी बेसब्री से इंतजार है. पुल टूटने या डूब जाने से पानी भर जाने से इन गांवों का संपर्क भी कट जाता है.

1- बाईट- ग्रामीण, बरसा मुर्मू
2- बाईट- ग्रामीण, लक्ष्मी मुर्मू
3- बाईट- ग्रामीण, मंगल

रिपोर्ट
कन्हैया हेंब्रम
घाटशिला
9279289270
9304805270
JHC10017
Last Updated : Aug 17, 2019, 9:24 PM IST
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