जमशेदपुरः बीजेपी से पार्टी का विरोध करने के आरोप में सरयू राय सहित छह लोगों का निष्कासित करने का मामला अब तूल पकड़ने लगा है. इसी के मद्देनजर पार्टी से निष्कासित नेताओं ने बिष्टुपुर स्थित सरयू राय के आवास में बैठक की. बैठक के बाद नेताओं ने सामूहिक रूप से निलंबन नहीं मानने का निर्णय लिया है.
निष्कासन, पार्टी के संविधान का उल्लंघन
बैठक में भाजपा के वरीय नेताओं ने झारखंड प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा के सीएम रघुवर दास के निर्देश पर जमशेदपुर महानगर के वरीय नेताओं का एकतरफा निर्णय लेकर निष्कासन किए जाने को लेकर विभिन्न बिंदुओं पर चर्चा की गई. चर्चा के बाद निष्कर्ष निकला कि सीएम के निर्देश पर पार्टी से वरीय नेताओं का निष्कासन पार्टी संविधान का घोर उल्लंघन है.
निष्कासित नेताओं ने कहा कि बिना अनुशासन समिति की बैठक किए और बिना पूर्व नोटिस दिए निष्कासन सीएम की तानाशाही का प्रतीक है. नेताओं ने कहा कि बीजेपी की विचारधारा सुदृढ़ और धरातल पर काम करने वाली संगठन बनाना है.
तानाशाह की भेंट चढ़ा पूर्वी विधानसभा
अपना पक्ष रखते हुए नेताओं ने कहा सालों से पार्टी के कार्यों में तन मन धन से लगे हैं और भाजपा को शीर्ष तक पहुंचाया है. लेकिन पिछले एक दशक से झारखंड में संगठन कागज के पन्नों पर सिमटता चला गया है. हद तो तब हो गई जब संगठन एक व्यक्ति की तानाशाही की भेंट चढ़ गया और कार्यकर्ताओं की बात तक नहीं सुनी गई. पार्टी के मूल और वरीय कार्यकर्ताओं ने सीएम के इस फैसले पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि कार्यकर्ता तो संगठन तक सीमित है, लेकिन जनता लोकतंत्र की मालिक और रक्षक दोनों हैं.
जनता चाहती है बदलाव
नेताओं ने कहा पूर्वी विधानसभा में तानाशाह और उनके परिवार से कार्यकर्ता सहित जनता भी परेशान थी और बदलाव चाहती थी. इसलिए इस बार पूर्वी विधानसभा से जनता चुनाव लड़ रही थी. उन्होंने कहा कि सीएम रघुवर को अपनी हार का अंदेशा हो गया है इसलिए अपनी हार की हताशा से घबराकर आनन-फानन में निर्णय लेकर दल का सत्यानाश करने की ओर कदम बढ़ाया है. वहीं, सभी नेताओं ने सामूहिक रूप से निर्णय लिया कि 23 दिसंबर को होने वाले रिजल्ट के बाद केंद्रीय नेतृत्व से मिलकर सभी अपनी बातों को सामने रखेंगे.