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जान जोखिम में डालकर सोने को शुद्ध रूप दे रहे कामगार, हॉल मार्क बनाते वक्त होती है सांस संबंधी परेशानियां - hallmark in jewellery

अब सोने की शुद्धता की पहचान उसमें बने हॉल मार्क से ही होती है. केंद्र सरकार के पूर्व मंत्री रामविलास पासवन के निर्देश पर देश भर में 15 जनवरी 2021 से हॉल मार्क को अनिवार्य कर दिया जाएगा. ऐसे में सोने की शुद्धता का प्रमाण तो मिल जाएगा लेकिन इसे बनाने वाले कामगारों के स्वास्थ्य में जो असर पड़ रहा है यह चिंता का विषय है. पढ़ें पूरी खबर.

making of hall mark causes health problems
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Published : Nov 30, 2020, 5:19 PM IST

Updated : Dec 16, 2020, 5:51 PM IST

जमशेदपुरः केंद्र सरकार ने सोने के आभूषणों की शुद्धता के लिए हॉल मार्क की शुरुआत की है. ऐसे में हॉल मार्क बनाने वाले कामगार तिल-तिलकर मर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार के पूर्व मंत्री रामविलास पासवन के निर्देश पर देश भर में 15 जनवरी 2021 से हॉल मार्क को अनिवार्य कर दिया जाएगा. इसके लिए 15 जनवरी 2020 को अधिसूचना पारित कर दी गई है. वहीं, सोने की शुद्धता की पहचान के लिए बीआईएस हॉल मार्क युक्त गहने एक साल के भीतर पूरे देश में अनिवार्य कर दिए जाएंगे. ऐसे में हॉल मार्क बनाने वाले कामगार अपनी जान जोखिम में डालकर सोने को शुद्ध रूप दे रहे हैं.

देखें पूरी खबर

शुद्धता की पुष्टि करता है बीआईएस हॉल मार्क

बीआईएस हॉल मार्क सोना और चांदी आभूषणों की शुद्धता की पुष्टि करता है. हॉल मार्क का चिह्न यह प्रमाणित करता है कि यह आभूषण भारतीय मानक ब्यूरो स्टैंडर्ड की जांच में खरा उतरा है.

ये भी पढ़ें-खूंटी: एनआईए ने की पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप की संपत्ति जब्त

हॉल मार्क का चिन्ह लगाना कामगारों के लिए खतरनाक

बुजुर्गों का कहना था कि हाथों में हुनर होने से इंसान कभी भूखा नहीं सोता, लेकिन ऐसा हुनर होने के बाद भी कभी-कभार भूखे सोना पड़ता है. मौत से भी बड़ी बात भूख होती है. दो वक्त की रोटी के कारण ही इन लोगों को सोने की चमक के लिए ऐसे कामों को करना पड़ता है. हॉल मार्क बनाते वक्त सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं होते हैं. आग और गैस की लपटों के कारण कई बार चेहरे पर दाग भी पड़ जाते हैं, लेकिन पैसों के लिए ऐसे कामों को करना पड़ता है, दूसरा कोई काम आता भी नहीं है. हॉल मार्क बनाने वाले कामगार अपने पचास वर्ष की उम्र में आंशिक रूप से बीमार होने लगते हैं. हॉल मार्क बनाने में एसिड और अन्य केमिकल के उपयोग के कारण कामगारों को सांस संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

क्या कहते हैं डॉक्टर

सोने की शुद्धता को प्रमाणित करने वाले बीआईएस हॉल मार्क लगाने वाले कामगारों को हर दिन मौत के मुंह से गुजरना पड़ता है, जिस तरह से एक्सरे करने वाली मशीनें शरीर के अंग-अंग में घुसती है. इसी तरीके से हॉल मार्क बनाने वाले कारीगरों के शरीर में जहरीली गैस हर मिनट घुसती है. इस मामले में जमशेदपुर के बिस्टुपुर स्थित टाटा मुख्य अस्पताल के ईएनटी विशेषज्ञ डॉक्टर का मानना है कि हॉल मार्क बनाते वक्त कार्बन डाइऑक्साइड गैस निकलती है, जिसके कारण आंखों की झिल्ली, आंखों से पानी आना, सर भारी रहना, ऐसी समस्यों का शिकार कामगार हो सकते हैं. हॉल मार्क के निशान बनाते वक्त कामगार किसी बंद कमरे में काम करते हैं तो कार्बन डाइऑक्साइड की अत्यधिक मात्रा शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है.

जमशेदपुरः केंद्र सरकार ने सोने के आभूषणों की शुद्धता के लिए हॉल मार्क की शुरुआत की है. ऐसे में हॉल मार्क बनाने वाले कामगार तिल-तिलकर मर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार के पूर्व मंत्री रामविलास पासवन के निर्देश पर देश भर में 15 जनवरी 2021 से हॉल मार्क को अनिवार्य कर दिया जाएगा. इसके लिए 15 जनवरी 2020 को अधिसूचना पारित कर दी गई है. वहीं, सोने की शुद्धता की पहचान के लिए बीआईएस हॉल मार्क युक्त गहने एक साल के भीतर पूरे देश में अनिवार्य कर दिए जाएंगे. ऐसे में हॉल मार्क बनाने वाले कामगार अपनी जान जोखिम में डालकर सोने को शुद्ध रूप दे रहे हैं.

देखें पूरी खबर

शुद्धता की पुष्टि करता है बीआईएस हॉल मार्क

बीआईएस हॉल मार्क सोना और चांदी आभूषणों की शुद्धता की पुष्टि करता है. हॉल मार्क का चिह्न यह प्रमाणित करता है कि यह आभूषण भारतीय मानक ब्यूरो स्टैंडर्ड की जांच में खरा उतरा है.

ये भी पढ़ें-खूंटी: एनआईए ने की पीएलएफआई सुप्रीमो दिनेश गोप की संपत्ति जब्त

हॉल मार्क का चिन्ह लगाना कामगारों के लिए खतरनाक

बुजुर्गों का कहना था कि हाथों में हुनर होने से इंसान कभी भूखा नहीं सोता, लेकिन ऐसा हुनर होने के बाद भी कभी-कभार भूखे सोना पड़ता है. मौत से भी बड़ी बात भूख होती है. दो वक्त की रोटी के कारण ही इन लोगों को सोने की चमक के लिए ऐसे कामों को करना पड़ता है. हॉल मार्क बनाते वक्त सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं होते हैं. आग और गैस की लपटों के कारण कई बार चेहरे पर दाग भी पड़ जाते हैं, लेकिन पैसों के लिए ऐसे कामों को करना पड़ता है, दूसरा कोई काम आता भी नहीं है. हॉल मार्क बनाने वाले कामगार अपने पचास वर्ष की उम्र में आंशिक रूप से बीमार होने लगते हैं. हॉल मार्क बनाने में एसिड और अन्य केमिकल के उपयोग के कारण कामगारों को सांस संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.

क्या कहते हैं डॉक्टर

सोने की शुद्धता को प्रमाणित करने वाले बीआईएस हॉल मार्क लगाने वाले कामगारों को हर दिन मौत के मुंह से गुजरना पड़ता है, जिस तरह से एक्सरे करने वाली मशीनें शरीर के अंग-अंग में घुसती है. इसी तरीके से हॉल मार्क बनाने वाले कारीगरों के शरीर में जहरीली गैस हर मिनट घुसती है. इस मामले में जमशेदपुर के बिस्टुपुर स्थित टाटा मुख्य अस्पताल के ईएनटी विशेषज्ञ डॉक्टर का मानना है कि हॉल मार्क बनाते वक्त कार्बन डाइऑक्साइड गैस निकलती है, जिसके कारण आंखों की झिल्ली, आंखों से पानी आना, सर भारी रहना, ऐसी समस्यों का शिकार कामगार हो सकते हैं. हॉल मार्क के निशान बनाते वक्त कामगार किसी बंद कमरे में काम करते हैं तो कार्बन डाइऑक्साइड की अत्यधिक मात्रा शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है.

Last Updated : Dec 16, 2020, 5:51 PM IST
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