जमशेदपुर: झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने स्वर कोकिला लता मंगेशकर की निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि दी है. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि आज सुर की साधना का एक इतिहास समाप्त हो गया है. उनकी आवाज हमारे दिलों में सदैव जीवंत रहेगी.
जमशेदपुर दौरे पर पहुचे झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री मंत्री बन्ना गुप्ता ने स्वर कोकिला लता मंगेशकर की निधन पर गहरा शोक प्रकट किया है. जमशेदपुर के कदमा स्थित अपने आवासीय कार्यालय में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने स्वर कोकिला लता मंगेशकर की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी और एक मिनट का मौन रखा. इस दौरान उनके समर्थक भी मौजूद रहे. यहां स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि लता जी का निधन संगीत जगत में एक अपूरणीय क्षति है. उनकी आवाज में जीवंत रूप था. लता जी के निधन से संगीत प्रेमियों को निराशा मिली है. जिसे कभी पूरा नहीं किया जा सकता है. भारत ही नहीं बल्कि पूरा विश्व लता जी की आवाज का दीवाना था. लता जी के निधन से सुर की साधना का एक इतिहास समाप्त हो गया है.
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रविवार सुबह करीब 8 बजे वह हम सबको हमेशा के लिए अलविदा कह गईं. लता के निधन पर पूरा देश शोक व्यक्त कर रहा है. लता हमारे लिए अपनी मखमली और मनोरम आवाज के वे नग्मे छोड़ चली हैं, जो रह-रहकर हमें उनकी याद दिलाते रहेंगे. उनमें से एक देशभक्ति गाना 'ऐ मेरे वतन के लोगों' भी शामिल है, जिसे लता ने गाने से इनकार कर दिया था, लेकिन जैसे-तैसे गाया तो इस गाने पर देश ही नहीं बल्कि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने भी जब इसे सुना तो उनके भी आंसू नहीं रुक पाए थे. आइए जानते हैं आखिर लता ने देशभक्ति सॉन्ग 'ऐ मेरे वत्न के लोगों' को गानें से क्यों किया था इनकार?
27 जनवरी 1963 का दिन लता मंगेशकर और देश के लिए एक ऐतिहासिक दिन साबित हुआ. साल 1962 में चीन से युद्ध में मिली हार से देश टूट रहा था. इन दिनों मशहूर कवि प्रदीप मुंबई में माहिम बीच पर टहल रहे थे, तभी उनके जहन में यह शब्द आए, उन्होंने देर ना करते हुए उन्हें देश के शहीदों की याद में गमगीन कर देने वाले इन शब्दों को कागज पर सजा दिया.