जमशेदपुर: पूरी दुनिया में इस वक्त सभी के जुबान पर केवल कोरोना वायरस का नाम है. दहशत ऐसी की कई सप्ताह से लोग घरों के अंदर बैठे हैं. ऐसे में लोगों के जहन में कई तरह के सवाल आते हैं. आखिर कोरोना वायरस है क्या, ये कैसे फैलता है, इसकी जांच कैसे की जाती है. चीन के वुहान शहर से पूरी दुनिया में फैली कोरोना संक्रमण की जांच आखिर कैसे की जाती है. इन सभी सवालों के जवाब ईटीवी भारत की टीम ने डॉ. प्याली गुप्ता से जानने की कोशिश की.
जमशेदपुर के एमजीएम कॉलेज में डॉक्टरों के द्वारा कोरोना संक्रमण का जांच किया जा रहा है. कोरोना महामारी में डॉक्टरों के द्वारा स्वाब टेस्ट से कोरोना का चेकअप किया जाता है. इस टेस्ट में लैब में एक कॉटन स्वाब से गले या नाक के अंदर से स्वाद लेकर टेस्ट किया जाता है.
नेजल एसिपरेट के द्वारा वायरस की जांच करने वाला लैब नाक में एक सलूशन डालने के बाद सैंपल कलेक्ट करके जांच की जाती है.
स्पटम टेस्ट से गले में जमा मैटेरियल या नाक से स्वाब के जरिए निकाले जाने वाले सैंपल का टेस्ट किया जाता है. इसके बाद इसे अलग-अलग तरीकों से माइक्रोबायोलॉजी के विभाग में जांच किया जाता है.
पुणे से अप्रुवड किट का इस्तेमाल
कोरोना संक्रमण की जांच के लिए केवल पुणे के किट का इस्तेमाल किया जा रहा है. नमूनों के परीक्षण के लिए नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे से सत्यापन के बाद ही जांच किट का उपयोग किया जाता है. आईसीएमआर की रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस के स्क्रीनिंग टेस्ट में पंद्रह सौ रुपए और कंफर्ममेट्री टेस्ट में तीन हजार रुपए तक की खर्च आती है. जिसका वहन सरकार के द्वारा किया जा रहा है.
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कैसे जांच की प्रक्रिया होती है
कोरोना टेस्ट सैंपल को पूरी तरह से प्रोसेस होने में 6 से 7 घंटे तक का समय लगता है. सभी टेस्ट बैच के मुताबिक किया जाता है. एक साथ 20 से 25 लोगों का टेस्ट किया जाता है. रिवर्स ट्रांसकीप्टिंग पॉलीमर चैन रिएक्शन के द्वारा टेस्ट किया जाता है. यह एक स्पेसिफिक टेस्ट है, जिससे शरीर में एक भी वायरस होने से उसे पिकअप कर लेता है.
इसके प्रोसेस होने में तकरीबन 2 घंटे तक का समय लगता है. उसके बाद कुछ रीजन के साथ मिलाकर के रिपेयर पर एक मास्टर में बनाया जाता है. उसके बाद पीसीआर मशीन में इसे डाला जाता है, जिसमें 2 घंटे तक का समय लगता है. एक व्यक्ति के चेकअप के लिए दो स्वाब का टेस्ट किया जाता है. वीटीएम यानी वायरल ट्रांसपोर्ट मीडिया में टेस्ट किया जाता है. इसे टेस्ट करने के लिए माइनस 20 डिग्री के तापमान में रखा जाता है. चिकित्सक मुख्य रूप से कोरोना जांच करते समय पीपीई कपड़े पहन कर जांच करते हैं.