जमशेदपुर: बिष्टुपुर स्थित तुलसी भवन के सभागार में स्वर्णरेखा क्षेत्र विकास ट्रस्ट की ओर से विकास की अवधारणा के विषय पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया. जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के संस्थापक, संरक्षक और चिंतक केएन गोविंदाचार्य मौजूद रहे.
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संगोष्ठी को संबोधित करते हुए केएन गोविंदाचार्य ने कहा कि 200 साल पहले भारत के खेतिहर किसानों की समृद्धि यूरोप से बेहतर थी. उन्होंने कहा कि यूरोप भौतिक विकास को आधार मानता है. भारत में विकास का संबंध नैतिकता से है. उन्होंने कहा विकास का अर्थ खुशहाली और इसके विपरीत बदहाली विकास का मापदंड, मनुष्य और प्रकृति के समन्वय का है, दोहन का नहीं.
केएन गोविंदाचार्य ने कहा कि विकास के जीडीपी वाली तथाकथित विकास की थोपी गई. परिभाषा का परिणाम यह है कि पूरा विश्व परिवार धूल चाटती रह गई और विकास के कारण दो विश्व युद्धों में लाखों लोग मारे गए. नतीजा यह हुआ है कि आज के आधुनिक परिवेश में आधुनिक समाज और उसकी पीढियां आज भी उसका परिणाम भोग रही है.
उन्होंने कहा कि जरूरत है लोगों को एक साथ सामूहिक इच्छाशक्ति से प्रकृति के भक्षण और भक्षक के आदर्श अनुपात का सिद्धांत की ओर लौटना होगा, जिसे केवल मनुष्य ने ही प्रकृति के मुख्य सिद्धांत को तोड़ मरोड़ कर अपनी सुविधा अनुसार मानव केंद्रित विकास की अवधारणा साकार रूप देने की सनक लिए बैठा है. जिसका परिणाम यह है कि मनुष्य ने प्रकृति के भक्षण और बच्चे के आदर्श सिद्धांत को अंकिता के साथ बदलकर भौतिक इच्छा केंद्रित विकास को अपने पूर्ण विकास का आधार पैमाना बना रखा है.
इस अवसर पर जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने भी उपस्थित लोगों को संबोधित किया. इस दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के महानगर संघचालक वी नटराजन पर्यावरणविद् डॉ दिनेश मिश्र पूर्व भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिनेश आनंद गोस्वामी और जुगसलाई नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष मुरलीधर केडिया मौजूद थे.