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जल संरक्षण की जमीनी सच्चाई, सरकारी भवनों में ही नहीं हैं इंतजाम

दावे बहुत होते हैं. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और होती है. ऐसे ही दावों को जब हमने खंगाला तो जिस सच्चाई से हम रुबरू हुए वो वाकई सोचने को मजबूर करते हैं.

जल संरक्षण की सच्चाई
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Published : Jul 8, 2019, 9:33 AM IST

जमशेदपुरः पूरे देश में जल संचयन को लेकर मुहिम चल रही है. तरह-तरह के कार्यक्रम चल रहे हैं. लेकिन कई जगह जमीनी हकीकत कुछ और है. पूर्वी सिंहभूम के सरकारी दफ्तरों में वर्षा जल के संरक्षण के लिए किसी प्रकार का ठोस इंतजाम नहीं किया गया है. बारिश के मौसम की शुरुआत हो चुकी है. हर रोज यहां हजारों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है.

वीडियो में देखिए पूरी खबर
पूर्वी सिंहभूम में जुलाई महीने के शुरुआत होते ही 155मिमी बारिश की संभावना रहती है. जल ही जीवन है, ईटीवी भारत की मुहिम पर ईटीवी की टीम ने बहुमंजिला इमारतों और सरकारी दफ्तरों के छतों के ऊपर का मुयायना किया. बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त कार्यालय की तस्वीर भी अलग नहीं है. यहां प्रतिदिन हजारों लीटर पानी नालियों के जरिए नदियों में ऐसे ही बर्बाद हो रहा है. यहां पर भी पानी को संरक्षित रखने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

शहर के एमजीएम अस्पताल और एमजीएम मेडिकल कॉलेज हालत भी ज्यादा इतर नहीं है. यहां पानी के संरक्षण के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. लगभग आठ एकड़ में फैले एमजीएम कॉलेज में हजारों लीटर बारिश का पानी यूहीं बर्बाद हो जाता है.

बहरहाल सरकारी योजनाएं तो बहुत आती हैं, लेकिन सरकारी कार्यालयों में इस तरह की अनदेखी यही बताती है कि हम वाकई में इस समस्या को लेकर कितने संजीदा हैं.

जमशेदपुरः पूरे देश में जल संचयन को लेकर मुहिम चल रही है. तरह-तरह के कार्यक्रम चल रहे हैं. लेकिन कई जगह जमीनी हकीकत कुछ और है. पूर्वी सिंहभूम के सरकारी दफ्तरों में वर्षा जल के संरक्षण के लिए किसी प्रकार का ठोस इंतजाम नहीं किया गया है. बारिश के मौसम की शुरुआत हो चुकी है. हर रोज यहां हजारों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है.

वीडियो में देखिए पूरी खबर
पूर्वी सिंहभूम में जुलाई महीने के शुरुआत होते ही 155मिमी बारिश की संभावना रहती है. जल ही जीवन है, ईटीवी भारत की मुहिम पर ईटीवी की टीम ने बहुमंजिला इमारतों और सरकारी दफ्तरों के छतों के ऊपर का मुयायना किया. बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त कार्यालय की तस्वीर भी अलग नहीं है. यहां प्रतिदिन हजारों लीटर पानी नालियों के जरिए नदियों में ऐसे ही बर्बाद हो रहा है. यहां पर भी पानी को संरक्षित रखने के लिए कोई व्यवस्था नहीं की गई है.

शहर के एमजीएम अस्पताल और एमजीएम मेडिकल कॉलेज हालत भी ज्यादा इतर नहीं है. यहां पानी के संरक्षण के लिए कोई व्यवस्था नहीं है. लगभग आठ एकड़ में फैले एमजीएम कॉलेज में हजारों लीटर बारिश का पानी यूहीं बर्बाद हो जाता है.

बहरहाल सरकारी योजनाएं तो बहुत आती हैं, लेकिन सरकारी कार्यालयों में इस तरह की अनदेखी यही बताती है कि हम वाकई में इस समस्या को लेकर कितने संजीदा हैं.

Intro:एंकर--पूर्वी सिंहभूम के सरकारी दफ्तरों में वर्षा के जल को संरक्षण रखने के लिए किसी प्रकार का ठोस इंतजाम नहीं किया गया है.बरसात शुरु हो चुका है.प्रतिदिन हजारों लीटर पानी नाली,सड़कों पर युहीं बर्बाद हो रहा है।एक रिपोर्ट


Body:वीओ1--पूर्वी सिंहभूम में जुलाई महीने के शुरुवात होते ही 155मिमी बारिश की संभावना रहती है.जल ही जीवन है ईटीवी भारत की मुहिम पर ईटीवी की टीम ने बहुमंजिला ईमारतों और सरकारी दफ्तरों के छतों के ऊपर का मुयायना किया.बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिए कोई व्यस्था नहीं कि गई है.
बाइट--वॉक थ्रू(एसएसपी कार्यलय)
वीओ2--यह तस्वीर है पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त कार्यालय की जहाँ प्रतिदिन हजारों लीटर पानी नालियों के ज़रिए नदियों में ऐसे ही बर्बाद हो रहा है.यहाँ पर भी पानी को संरक्षित रखने के लिए कोई व्यस्था नहीं कि गई है।
बाइट--वॉक थ्रू(उपायुक्त कार्यलय)
वीओ3--यह तस्वीर है एमजीएम अस्पताल व एमजीएम मेडिकल कॉलेज की जहाँ पानी के संरक्षण के लिए कोई व्यस्था नहीं है.लगभग आठ एकड़ में फैले एमजीएम कॉलेज में हज़ारों लीटर बारिश का पानी यूहीं बर्बाद हो रहा है।
बाइट--वॉक थ्रू(एमजीएम अस्पताल व एमजीएम कार्यालय)


Conclusion:बहरहाल मीडिया के किसी पन्नों में जल बचाव के लिए कोई मुहिम शुरू नहीं कि गई है.भविष्य में ऐसे ही चलता रहा तो जल्द ही पानी इतिहास का रूप ले लेगा।
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