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जमशेदपुर पूर्वी सीट पर रघुवर-सरयू के बीच घुसे ओवैसी, सिख को बनाया उम्मीदवार - jharkhand assembly election

झारखंड विधानसभा चुनाव में सबसे कड़े, दिलचस्प और एक बेहद रोमांचक मुकाबले की जमीन तैयार हो गई है. देखते-देखते कोल्हान प्रमंडल का जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र प्रदेश का हॉट सीट बन गया है. मुख्यमंत्री रघुवर दास उनके कैबिनेट के मंत्री सरयू राय और असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम के सुरजीत सिंह इस सीट पर आमने-सामने होंगे.

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Published : Nov 19, 2019, 7:16 PM IST

जमशेदपुर: झारखंड में जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सबसे हॉट सीट बन चुका है. यहां से पांच बार लगातार जीत के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री रघुवर दास अपनी छठी पारी खेलने जा रहे हैं. इसी बीच उनके ही कैबिनेट में मंत्री रहे सरयू राय ने टिकट कटने पर बगावत कर दी है. सरयू राय जमशेदपुर पश्चिम के साथ जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट से भी निर्दलीय चुनावी मैदान में कूद पड़े हैं. इस रोमांचक मुकाबले में एक और तड़का लगाया है असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने.

देखिए स्पेशल स्टोरी

AIMIM ने सुरजीत को बनाया उम्मीदवार
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने पहली झारखंड यात्रा के दौरान ही अपने इरादे बता दिए थे. इसी साल 24 सितंबर को रांची के बरियातू में एक सभा में ओवैसी ने कहा था कि राज्य की आबादी में अल्पसंख्यकों की बड़ी हिस्सेदारी है, लेकिन सत्ता में नहीं. अब विधानसभा चुनाव में ओवैसी ने सिख समुदाय के सुरजीत सिंह को उम्मीदवार बनाया है.

राजनीतिक अनदेखी के शिकार हुए सिख
सुरजीत सिंह का ये भी कहना है कि सिख समुदाय को यहां 25 सालों से कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला. सिख हर जगह लोगों की मदद के लिए तैयार रहते हैं, लेकिन खुद सिख राजनीतिक अनदेखी के शिकार हो गए हैं. यहां बड़ा सवाल ये है कि असदुद्दीन ओवैसी ने आखिर एक सिख को उम्मीदवार क्यों बनाया है. साल 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर नजर डालें तो पूर्वी सिंहभूम जिले की आबादी 22 लाख 93 हजार से ज्यादा है.

इसमें 67.57 फीसदी हिंदू हैं. मुस्लिमों की आबादी 8.89 फीसदी, सिख 1.68 फीसदी और ईसाई 1.31 फीसदी है. शेष 20.53 जनंसख्या दूसरे धर्म के लोगों की है. जानकारों का मानना है कि टाटा स्टील की वजह से इस क्षेत्र में वैसे लोग बड़ी संख्या में हैं जो दूसरे राज्यों से आकर यहां बस गए हैं. हिंदू वोटों को छोड़ दें तो मुस्लिम, सिखों और ईसाई मतदाताओं का समीकरण यहां जीत को प्रभावित कर सकता है. यही वजह है कि ओवैसी ने किसी मुस्लिम उम्मीदवार की जगह एक सिख पर भरोसा जताया है.

Jamshedpur East Assembly, जमशेदपुर पूर्वी सीट
पूर्वी सिंहभूम की आबादी

रघुवर दास यहां से 5 बार बने विधायक
कोल्हान की राजनीति में जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा पर सबकी निगाहें रहती हैं. इस सीट पर1977 से जनता पार्टी का कब्जा रहा है. 1980 में जनता पार्टी का नाम बदलकर भारतीय जनता पार्टी कर दिया गया. 1985 में एक बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की इसके बाद से लगातार बीजेपी ही इस सीट पर जीत हासिल करती रही है. जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट से रघुवर दास बीजेपी की टिकट पर 1995 से अब तक 5 बार विधायक चुने गए हैं. बीते विधानसभा चुनाव में रघुवर दास को कुल 1 लाख 3 हजार 427 यानी 61.48 फीसदी वोट मिले थे जो 2009 के मुकाबले 11.19 फीसदी ज्यादा हैं.

ये भी पढ़ें: झारखंड में सक्रिय हुए राजनीतिक दलों के छात्र विंग, अपनी पार्टी की जीत के लिए कसी कमर
दूसरा स्थान कांग्रेस के आनंद बिहारी दुबे को मिला था. जेवीएम तीसरे और जेएमएम चौथे नंबर पर सिमट गई थी. खास बात ये भी है कि 70 हजार से ज्यादा के वोटों के अंतर से जीत के बावजूद इस सीट पर एक फीसदी वोट नोटा के खाते में भी गए. इन आंकड़ों और उम्मीदवारों के समीकरण से ये तो साफ है कि इस बार जमशेदपुर पूर्वी सीट पर मुकाबला बेहद दिलचस्प रहने वाला है.

जमशेदपुर: झारखंड में जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सबसे हॉट सीट बन चुका है. यहां से पांच बार लगातार जीत के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री रघुवर दास अपनी छठी पारी खेलने जा रहे हैं. इसी बीच उनके ही कैबिनेट में मंत्री रहे सरयू राय ने टिकट कटने पर बगावत कर दी है. सरयू राय जमशेदपुर पश्चिम के साथ जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट से भी निर्दलीय चुनावी मैदान में कूद पड़े हैं. इस रोमांचक मुकाबले में एक और तड़का लगाया है असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने.

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AIMIM ने सुरजीत को बनाया उम्मीदवार
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने पहली झारखंड यात्रा के दौरान ही अपने इरादे बता दिए थे. इसी साल 24 सितंबर को रांची के बरियातू में एक सभा में ओवैसी ने कहा था कि राज्य की आबादी में अल्पसंख्यकों की बड़ी हिस्सेदारी है, लेकिन सत्ता में नहीं. अब विधानसभा चुनाव में ओवैसी ने सिख समुदाय के सुरजीत सिंह को उम्मीदवार बनाया है.

राजनीतिक अनदेखी के शिकार हुए सिख
सुरजीत सिंह का ये भी कहना है कि सिख समुदाय को यहां 25 सालों से कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला. सिख हर जगह लोगों की मदद के लिए तैयार रहते हैं, लेकिन खुद सिख राजनीतिक अनदेखी के शिकार हो गए हैं. यहां बड़ा सवाल ये है कि असदुद्दीन ओवैसी ने आखिर एक सिख को उम्मीदवार क्यों बनाया है. साल 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर नजर डालें तो पूर्वी सिंहभूम जिले की आबादी 22 लाख 93 हजार से ज्यादा है.

इसमें 67.57 फीसदी हिंदू हैं. मुस्लिमों की आबादी 8.89 फीसदी, सिख 1.68 फीसदी और ईसाई 1.31 फीसदी है. शेष 20.53 जनंसख्या दूसरे धर्म के लोगों की है. जानकारों का मानना है कि टाटा स्टील की वजह से इस क्षेत्र में वैसे लोग बड़ी संख्या में हैं जो दूसरे राज्यों से आकर यहां बस गए हैं. हिंदू वोटों को छोड़ दें तो मुस्लिम, सिखों और ईसाई मतदाताओं का समीकरण यहां जीत को प्रभावित कर सकता है. यही वजह है कि ओवैसी ने किसी मुस्लिम उम्मीदवार की जगह एक सिख पर भरोसा जताया है.

Jamshedpur East Assembly, जमशेदपुर पूर्वी सीट
पूर्वी सिंहभूम की आबादी

रघुवर दास यहां से 5 बार बने विधायक
कोल्हान की राजनीति में जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा पर सबकी निगाहें रहती हैं. इस सीट पर1977 से जनता पार्टी का कब्जा रहा है. 1980 में जनता पार्टी का नाम बदलकर भारतीय जनता पार्टी कर दिया गया. 1985 में एक बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की इसके बाद से लगातार बीजेपी ही इस सीट पर जीत हासिल करती रही है. जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट से रघुवर दास बीजेपी की टिकट पर 1995 से अब तक 5 बार विधायक चुने गए हैं. बीते विधानसभा चुनाव में रघुवर दास को कुल 1 लाख 3 हजार 427 यानी 61.48 फीसदी वोट मिले थे जो 2009 के मुकाबले 11.19 फीसदी ज्यादा हैं.

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दूसरा स्थान कांग्रेस के आनंद बिहारी दुबे को मिला था. जेवीएम तीसरे और जेएमएम चौथे नंबर पर सिमट गई थी. खास बात ये भी है कि 70 हजार से ज्यादा के वोटों के अंतर से जीत के बावजूद इस सीट पर एक फीसदी वोट नोटा के खाते में भी गए. इन आंकड़ों और उम्मीदवारों के समीकरण से ये तो साफ है कि इस बार जमशेदपुर पूर्वी सीट पर मुकाबला बेहद दिलचस्प रहने वाला है.

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जमशेदपुर: झारखंड में जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सबसे हॉट सीट बन चुका है. यहां से पांच बार लगातार जीत के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री रघुवर दास अपनी छठी पारी खेलने जा रहे हैं. इसी बीच उनके ही कैबिनेट में मंत्री रहे सरयू राय ने टिकट कटने पर बगावत कर दी है. सरयू राय जमशेदपुर पश्चिम के साथ जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट से भी निर्दलीय चुनावी मैदान में कूद पड़े हैं. इस रोमांचक मुकाबले में एक और तड़का लगाया है असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने.

AIMIM ने सुरजीत को बनाया उम्मीदवार

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन के राष्ट्रीय अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने पहली झारखंड यात्रा के दौरान ही अपने इरादे बता दिए थे. इसी साल 24 सितंबर को रांची के बरियातू में एक सभा में ओवैसी ने कहा था कि राज्य की आबादी में अल्पसंख्यकों की बड़ी हिस्सेदारी है, लेकिन सत्ता में नहीं. अब विधानसभा चुनाव में ओवैसी ने सिख समुदाय के सुरजीत सिंह को उम्मीदवार बनाया है.

राजनीतिक अनदेखी के शिकार हुए सिख

सुरजीत सिंह का ये भी कहना है कि सिख समुदाय को यहां 25 सालों से कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला. सिख हर जगह लोगों की मदद के लिए तैयार रहते हैं, लेकिन खुद सिख राजनीतिक अनदेखी के शिकार हो गए हैं. यहां बड़ा सवाल ये है कि असदुद्दीन ओवैसी ने आखिर एक सिख को उम्मीदवार क्यों बनाया है. साल 2011 की जनगणना के आंकड़ों पर नजर डालें तो पूर्वी सिंहभूम जिले की आबादी 22 लाख 93 हजार से ज्यादा है. 

इसमें 67.57 फीसदी हिंदू हैं. मुस्लिमों की आबादी 8.89 फीसदी, सिख 1.68 फीसदी और ईसाई 1.31 फीसदी है. शेष 20.53 जनंसख्या दूसरे धर्म के लोगों की है. जानकारों का मानना है कि टाटा स्टील की वजह से इस क्षेत्र में वैसे लोग बड़ी संख्या में हैं जो दूसरे राज्यों से आकर यहां बस गए हैं. हिंदू वोटों को छोड़ दें तो मुस्लिम, सिखों और ईसाई मतदाताओं का समीकरण यहां जीत को प्रभावित कर सकता है. यही वजह है कि ओवैसी ने किसी मुस्लिम उम्मीदवार की जगह एक सिख पर भरोसा जताया है.

रघुवर दास यहां से 5 बार बने विधायक

कोल्हान की राजनीति में जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा पर सबकी निगाहें रहती हैं. इस सीट पर1977 से जनता पार्टी का कब्जा रहा है. 1980 में जनता पार्टी का नाम बदलकर भारतीय जनता पार्टी कर दिया गया. 1985 में एक बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की इसके बाद से लगातार बीजेपी ही इस सीट पर जीत हासिल करती रही है. जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा सीट से रघुवर दास बीजेपी की टिकट पर 1995 से अब तक 5 बार विधायक चुने गए हैं. बीते विधानसभा चुनाव में रघुवर दास को कुल 1 लाख 3 हजार 427 यानी 61.48 फीसदी वोट मिले थे जो 2009 के मुकाबले 11.19 फीसदी ज्यादा हैं. 

दूसरा स्थान कांग्रेस के आनंद बिहारी दुबे को मिला था. जेवीएम तीसरे और जेएमएम चौथे नंबर पर सिमट गई थी. खास बात ये भी है कि 70 हजार से ज्यादा के वोटों के अंतर से जीत के बावजूद इस सीट पर एक फीसदी वोट नोटा के खाते में भी गए. इन आंकड़ों और उम्मीदवारों के समीकरण से ये तो साफ है कि इस बार जमशेदपुर पूर्वी सीट पर मुकाबला बेहद दिलचस्प रहने वाला है. 




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