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2009 में लगाया था काजू का पेड़, लॉकडाउन में बना ग्रामीणों का सहारा - employment in lockdown

पूर्वी सिंहभूम जिले का मानपुर पंचायत का गोबराडीह गांव में लॉकडाउन के दौरान लोगों को काजू की खेती से लाभ मिल रहा है. जो काजू के पेड़ 2009 में ही लगाए गए थे, वे अब फल देने लगे हैं. स्थानीय प्रतिनिधि भी इसे लेकर सहयोग देने की बात कही है.

Villagers cultivating cashew
काजू का पेड़
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Published : May 19, 2020, 4:55 PM IST

Updated : May 19, 2020, 6:29 PM IST

जमशेदपुर: शहर से करीब 50 किलोमीटर दूर ओडिसा और झारखंड बॉर्डर पर बसा है पोटका प्रखंड का मानपुर पंचायत का गोबराडीह गांव. यह गांव इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि इस गांव के ग्रामीणों ने लॉकडाउन का सदुपयोग करते हुए काजू की खेती शुरू कर दी हैं और जिसके परिणाम भी काफी अच्छा निकले हैं. इस काम में जो भी ग्रामीण लगे हैं. सभी लॉकडाउन के पहले टाटा जाकर काम करते थे, लेकिन लॉकडाउन में बेरोजगारी दूर करने का रास्ता निकाल लिया है.

वीडियो में देखिए पूरी रिपोर्ट

गोबराडीह से टाटा तक बस चलाने वाले सरदार ने बताया कि वह पेशे से बस चालक हैं, लेकिन लॉकडाउन होने के कारण उन्होंने काजू की खेती शुरु कर दी है. दरअसल, 2009 में लोगों ने काजू का पेड़ लगाया था लेकिन किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया था. अब उन पेड़ों में काजू लगने लगे हैं तो गांव के लोग उन्हीं पेड़ों से अपनी जीविका चला रहे हैं. गांव वालों ने एक टीम बनाकर बारी-बारी से काजू बागान की रक्षा करने की योजना बनाई है.

6 एकड़ में है काजू बगान

यही नहीं काजू की चोरी करने वालों पर जुर्माना भी तय किया गया है. अगर कोई भी व्यक्ति काजू चोरी करते पकड़ा जाएगा तो उसे जुर्माने के तौर पर 2 हजार रूपया समिति को देना होगा. यह काजू का बागान 6 एकड़ में फैला हुआ है.

ये भी पढ़ें- ओडिशा : प्रवासी श्रमिकों को ले जा रही बस की टैंकर से टक्कर, एक की मौत, 10 घायल

यहां के स्थानीय प्रतिनिधि भी मानते हैं कि इन लोगों को अगर अच्छा सहयोग मिल जाए तो रोजगार के अच्छा साधन बन सकता है. इस सबंध में सासंद विद्युतवरण महतो ने बताया कि उनके लोकसभा क्षेत्र में कई जगहों पर काजू बागान हैं, लेकिन प्रोसेसिंग प्लांट न होने के कारण इन्हें अपने प्रोडक्ट बेचने में काफी परेशानी होती है. उन्होंने कहा कि वे प्रयासरत है कि यहा प्रोसेसिंग प्लांट बने.

लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूरों का आगमन हो रहा है अगर जिला प्रशासन काजू प्रोसेसिंग प्लांट तैयार कर दे तो प्रवासी मजदूरों के लिए एक अच्छा रोजगार का साधन हो सकता है और यह मजदूर किसी भी हालत में अपनी जमीन को छोड़कर बाहर नहीं जाएंगे.

जमशेदपुर: शहर से करीब 50 किलोमीटर दूर ओडिसा और झारखंड बॉर्डर पर बसा है पोटका प्रखंड का मानपुर पंचायत का गोबराडीह गांव. यह गांव इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है, क्योंकि इस गांव के ग्रामीणों ने लॉकडाउन का सदुपयोग करते हुए काजू की खेती शुरू कर दी हैं और जिसके परिणाम भी काफी अच्छा निकले हैं. इस काम में जो भी ग्रामीण लगे हैं. सभी लॉकडाउन के पहले टाटा जाकर काम करते थे, लेकिन लॉकडाउन में बेरोजगारी दूर करने का रास्ता निकाल लिया है.

वीडियो में देखिए पूरी रिपोर्ट

गोबराडीह से टाटा तक बस चलाने वाले सरदार ने बताया कि वह पेशे से बस चालक हैं, लेकिन लॉकडाउन होने के कारण उन्होंने काजू की खेती शुरु कर दी है. दरअसल, 2009 में लोगों ने काजू का पेड़ लगाया था लेकिन किसी ने उस पर ध्यान नहीं दिया था. अब उन पेड़ों में काजू लगने लगे हैं तो गांव के लोग उन्हीं पेड़ों से अपनी जीविका चला रहे हैं. गांव वालों ने एक टीम बनाकर बारी-बारी से काजू बागान की रक्षा करने की योजना बनाई है.

6 एकड़ में है काजू बगान

यही नहीं काजू की चोरी करने वालों पर जुर्माना भी तय किया गया है. अगर कोई भी व्यक्ति काजू चोरी करते पकड़ा जाएगा तो उसे जुर्माने के तौर पर 2 हजार रूपया समिति को देना होगा. यह काजू का बागान 6 एकड़ में फैला हुआ है.

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यहां के स्थानीय प्रतिनिधि भी मानते हैं कि इन लोगों को अगर अच्छा सहयोग मिल जाए तो रोजगार के अच्छा साधन बन सकता है. इस सबंध में सासंद विद्युतवरण महतो ने बताया कि उनके लोकसभा क्षेत्र में कई जगहों पर काजू बागान हैं, लेकिन प्रोसेसिंग प्लांट न होने के कारण इन्हें अपने प्रोडक्ट बेचने में काफी परेशानी होती है. उन्होंने कहा कि वे प्रयासरत है कि यहा प्रोसेसिंग प्लांट बने.

लॉकडाउन के कारण प्रवासी मजदूरों का आगमन हो रहा है अगर जिला प्रशासन काजू प्रोसेसिंग प्लांट तैयार कर दे तो प्रवासी मजदूरों के लिए एक अच्छा रोजगार का साधन हो सकता है और यह मजदूर किसी भी हालत में अपनी जमीन को छोड़कर बाहर नहीं जाएंगे.

Last Updated : May 19, 2020, 6:29 PM IST
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