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टाटा मोटर्स पर मंदी का बुरा असर, 14 और 15 फरवरी को ब्लॉक क्लोजर

जमशेदपुर टाटा मोटर्स के उत्पादन में आई कमी के बाद कंपनी को बार-बार क्लोजर लेना पड़ रहा है. एक बार फिर टाटा मोटर्स में 14 और 15 फरवरी को ब्लॉक क्लोजर की घोषणा की गई है.

Block closure in tata motors
टाटा मोटर्स में ब्लॉक क्लोजर
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Published : Feb 13, 2020, 2:08 AM IST

Updated : Feb 13, 2020, 3:00 AM IST

जमशेदपुर: ऑटोमोबाइल सेक्टर में छाई मंदी की मार का टाटा मोटर्स पर बुरा असर पड़ा है. एक बार फिर टाटा मोटर्स में 14 और 15 फरवरी को ब्लॉक क्लोजर की घोषणा की गई है. हालांकि, रविवार को अवकाश की वजह से कंपनियां सीधे 17 फरवरी को खुलेगी.

देखिए पूरी खबर

13 से 15 हजार तक प्रति महीने बनाने वाली टाटा मोटर्स आज कल तीन से चार हजार वाहन ही बना रही है. टाटा मोटर्स पर पूरी तरह निर्भर आदित्यपुर से हजारों छोटे और मझोले उद्योग भी बुरे दौर से गुजर रहे हैं. यह उद्योग टाटा मोटर्स के लिए पार्ट्स बनाते हैं.

ये भी पढ़ें: हत्यारा JCB! दुमका में सबूत के तौर पर हत्या में प्रयोग जेसीबी को न्यायालय में पेश किया गया

टाटा मोटर्स के उत्पादन में आई कमी के बाद कंपनी को बार-बार क्लोजर लेना पड़ रहा है. टाटा मोटर्स के लिए टाटा कमिंस इंजन बनाता है. हालांकि, अस्थायी मजदूरों के भविष्य का संकट भी मंडराने लगा है. पांच से छः सालों के अंतराल में छोटी-मोटी मंदी आती है. चार दिन के ब्लॉक क्लोजर में कंपनी दो दिनों का पैसा देती है और दो दिनों की छुट्टी काटती है. इसमें कंपनी और मजदूरों को इसका वहन करना पड़ता है. औद्योगिक कंपनी से ज्यादा परेशानी मजदूरों को होती है. इसमें अस्थायी मजदूरों का वेतन कट जाता है. कुछ अस्थायी मजदूरों को बैठा भी दिया जाता है.

जमशेदपुर: ऑटोमोबाइल सेक्टर में छाई मंदी की मार का टाटा मोटर्स पर बुरा असर पड़ा है. एक बार फिर टाटा मोटर्स में 14 और 15 फरवरी को ब्लॉक क्लोजर की घोषणा की गई है. हालांकि, रविवार को अवकाश की वजह से कंपनियां सीधे 17 फरवरी को खुलेगी.

देखिए पूरी खबर

13 से 15 हजार तक प्रति महीने बनाने वाली टाटा मोटर्स आज कल तीन से चार हजार वाहन ही बना रही है. टाटा मोटर्स पर पूरी तरह निर्भर आदित्यपुर से हजारों छोटे और मझोले उद्योग भी बुरे दौर से गुजर रहे हैं. यह उद्योग टाटा मोटर्स के लिए पार्ट्स बनाते हैं.

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टाटा मोटर्स के उत्पादन में आई कमी के बाद कंपनी को बार-बार क्लोजर लेना पड़ रहा है. टाटा मोटर्स के लिए टाटा कमिंस इंजन बनाता है. हालांकि, अस्थायी मजदूरों के भविष्य का संकट भी मंडराने लगा है. पांच से छः सालों के अंतराल में छोटी-मोटी मंदी आती है. चार दिन के ब्लॉक क्लोजर में कंपनी दो दिनों का पैसा देती है और दो दिनों की छुट्टी काटती है. इसमें कंपनी और मजदूरों को इसका वहन करना पड़ता है. औद्योगिक कंपनी से ज्यादा परेशानी मजदूरों को होती है. इसमें अस्थायी मजदूरों का वेतन कट जाता है. कुछ अस्थायी मजदूरों को बैठा भी दिया जाता है.

Last Updated : Feb 13, 2020, 3:00 AM IST
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