जमशेदपुर: सरकार की बनाई नई शिक्षा नीति सभी के हित को ध्यान में रखकर बनाई गई है. इस नीति से शिक्षा जगत को एक नया रूप और नई दिशा मिलेगी. भारतीय जनता पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिनेशानंद गोस्वामी ने ये बातें कही. गोस्वामी ने कहा कि 34 वर्षों के बाद देश की शिक्षा व्यवस्था में समयानुकूल और देश अनुकूल बदलाव आया है.
'नई शिक्षा नीति श्रेष्ठ भारत बनाने में कारगर सिद्ध होगी'
दिनेशानंद गोस्वामी ने कहा कि नई शिक्षा नीति श्रेष्ठ भारत बनाने में कारगर सिद्ध होगी. यह शिक्षा नीति विद्यार्थियों को नवीन चुनौतियों का सामना करने की श्रेष्ठता उपलब्ध करवाते हुए एक शिक्षित और समरस समाज के निर्माण में अहम भूमिका अदा करेगी. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति छात्रों के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास के साथ-साथ ज्ञानवान संवेदनशील देशभक्त जिम्मेदार और स्किल्ड नागरिक बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.
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'बच्चों पर पुस्तकों का बोझ कम होगा'
गोस्वामी ने कहा कि शिक्षा नीति के प्रमुख बिंदुओं पर विचार डालते हुए कहा कि नई शिक्षा नीति में घरेलू उत्पाद का 6% खर्च करने का लक्ष्य है, जो कि अभी तक 4.4 3% था. इससे शिक्षा के क्षेत्र में संसाधन बढ़ेंगे. इसके तहत छात्र-छात्राएं 3 वर्ष तक खेलकूद के माध्यम से शिक्षित होंगे. प्राइमरी शिक्षा के बाकी दो वर्ष में कक्षा एक और 2 की शिक्षा विद्यालय में होगी. इससे बच्चों पर पुस्तकों का बोझ कम होगा.
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'प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में दी जाएगी'
गोस्वामी ने बताया कि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में दी जाएगी. माध्यमिक स्तर की पढ़ाई में अन्य भारतीय भाषाओं के अध्ययन का विकल्प रहेगा. 10वीं और 12वीं कक्षा में विद्यार्थियों को बोर्ड परीक्षा देनी पड़ेगी. परीक्षाएं 2 सेमेस्टर में होगी और परीक्षाओं में प्रायोगिक विज्ञान के साथ शिक्षकों का मूल्यांकन भी समाहित होगा.