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Privatization of Banks: 16 और 17 दिसंबर को देश भर में बैंककर्मियों का हड़ताल, बंद रहेंगे बैंक - banking amendment bill

बैंकिंग संशोधन बिल खिलाफ 16 और 17 दिसंबर को बैंककर्मियों का हड़ताल रहेगा. यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन ने केंद्र के प्रस्तावित कानून को देश विरोधी बताते हुए जनता से इसका विरोध करने की अपील की है.

Bank workers strike
बैंककर्मियों का हड़ताल
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Published : Dec 11, 2021, 6:57 PM IST

जमशेदपुर: केंद्र सरकार के बैंकिंग संशोधन बिल को लेकर विरोध जारी है. संसद में विधेयक पारित कराने की योजना का बैंक यूनियन विरोध कर रही है. यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के संयोजक ने सरकार पर चुनिंदा उधोगपतियों के हाथों बैंक को सौंपने का आरोप लगाया है.

ये भी पढ़ें- Privatization of Banks: 16 और 17 दिसंबर को बैंक बंद रहेंगे, पहले निपटा लें जरूरी काम

बैंकों के निजीकरण का विरोध

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन ने केंद्र सरकार द्वारा बैंकों के निजीकरण को लेकर संसद में विधेयक पारित कराने का विरोध किया है . केंद्र की प्रस्तावित बिल के खिलाफ बैंक यूनियन ने 16 और 17 दिसंबर को देश भर में दो दिवसीय हड़ताल का ऐलान करते हुए देश और आम जनता के खिलाफ बताया और कहा उनके इस बंद विभिन्न राजनीतिक पार्टियों और सेंट्रल ट्रेड यूनियन द्वारा समर्थन दिया जा रहा है.

देखें वीडियो

बचत पर लूट का रास्ता होगा साफ

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन जमशेदपुर के संयोजक आर के रजक ने बताया कि सरकार की इस व्यवस्था से निजी कॉरपोरेट्स और बड़े व्यवसायियों द्वारा बैंकों में जमा लोगों की बचत पर लूट का रास्ता साफ होगा. उन्होंने कहा कि 1969 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण के कारण ही बैंकिंग सेवा देश के दूरदराज क्षेत्रों में स्थापित हो सका है. कई बैंकों को दूसरे बैंक में मर्ज करने से वर्तमान में करीब 40 हजार ब्रांच बंद हो गए जिसका सीधा असर जनता पर पड़ा और बेरोजगारी कई गुणा बढ़ गई.

कई बैंकों में खाली है सीट

बैंक यूनियन जमशेदपुर के संयोजक आर के रजक ने बताया कि देश के बैंकों में व्यापक संख्या में रिक्तियां है. सरकार अगर चाहे तो रोजगार उपलब्ध करा सकती है. उन्होंने बताया कि देश मे एनपीए में चिंताजनक वृद्धि इस सरकार द्वारा अपनाई गई वित्तीय नीति का परिणाम है. डिफॉल्टर मे बड़े कॉरपोरेट घराने का नाम उनसे ऋण वसूल न कर पाना सरकारों की नाकामी है जबकि सरकार उल्टे ही एन सी एल टी और आई बी सी के माध्यम से करोड़ों का लोन लाखों में सेटल कर रही है जो आम जनता के पैसों की खुली लूट है.

जनता से विरोध की अपील

बैंक यूनियन के संयोजक ने जनता से भी सरकार के इस फैसले का विरोध करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि जनता अपना मुंह बंद रखेगी तो खामियाजा उन्हें ही भुगतना पड़ेगा.

जमशेदपुर: केंद्र सरकार के बैंकिंग संशोधन बिल को लेकर विरोध जारी है. संसद में विधेयक पारित कराने की योजना का बैंक यूनियन विरोध कर रही है. यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन के संयोजक ने सरकार पर चुनिंदा उधोगपतियों के हाथों बैंक को सौंपने का आरोप लगाया है.

ये भी पढ़ें- Privatization of Banks: 16 और 17 दिसंबर को बैंक बंद रहेंगे, पहले निपटा लें जरूरी काम

बैंकों के निजीकरण का विरोध

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन ने केंद्र सरकार द्वारा बैंकों के निजीकरण को लेकर संसद में विधेयक पारित कराने का विरोध किया है . केंद्र की प्रस्तावित बिल के खिलाफ बैंक यूनियन ने 16 और 17 दिसंबर को देश भर में दो दिवसीय हड़ताल का ऐलान करते हुए देश और आम जनता के खिलाफ बताया और कहा उनके इस बंद विभिन्न राजनीतिक पार्टियों और सेंट्रल ट्रेड यूनियन द्वारा समर्थन दिया जा रहा है.

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बचत पर लूट का रास्ता होगा साफ

यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन जमशेदपुर के संयोजक आर के रजक ने बताया कि सरकार की इस व्यवस्था से निजी कॉरपोरेट्स और बड़े व्यवसायियों द्वारा बैंकों में जमा लोगों की बचत पर लूट का रास्ता साफ होगा. उन्होंने कहा कि 1969 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण के कारण ही बैंकिंग सेवा देश के दूरदराज क्षेत्रों में स्थापित हो सका है. कई बैंकों को दूसरे बैंक में मर्ज करने से वर्तमान में करीब 40 हजार ब्रांच बंद हो गए जिसका सीधा असर जनता पर पड़ा और बेरोजगारी कई गुणा बढ़ गई.

कई बैंकों में खाली है सीट

बैंक यूनियन जमशेदपुर के संयोजक आर के रजक ने बताया कि देश के बैंकों में व्यापक संख्या में रिक्तियां है. सरकार अगर चाहे तो रोजगार उपलब्ध करा सकती है. उन्होंने बताया कि देश मे एनपीए में चिंताजनक वृद्धि इस सरकार द्वारा अपनाई गई वित्तीय नीति का परिणाम है. डिफॉल्टर मे बड़े कॉरपोरेट घराने का नाम उनसे ऋण वसूल न कर पाना सरकारों की नाकामी है जबकि सरकार उल्टे ही एन सी एल टी और आई बी सी के माध्यम से करोड़ों का लोन लाखों में सेटल कर रही है जो आम जनता के पैसों की खुली लूट है.

जनता से विरोध की अपील

बैंक यूनियन के संयोजक ने जनता से भी सरकार के इस फैसले का विरोध करने की अपील की है. उन्होंने कहा कि जनता अपना मुंह बंद रखेगी तो खामियाजा उन्हें ही भुगतना पड़ेगा.

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