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जमशेदपुरः कोरोना के कहर से कुम्हार परेशान, शादी के सीजन में भी कारोबार रहा फीका - pottery buisness in jamshedpur

कोरोना महामारी के संकट का असर जमशेदपुर में कुम्हारों के व्यवसाय पर भी देखने को मिला है. दरअसल लग्न के समय में ये कुम्हार मिट्टी के कलश, हाथी और अन्य सामान काफी संख्या में बनाते हैं. इस कोरोना काल में उनके सामान की बिक्री ना के बराबर हो रही है.

bad effect of lockdown in potter buisness in jamshedpur
मिट्टी के कलश
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Published : Jun 11, 2020, 1:17 PM IST

जमशेदपुर: कोविड 19 में देश की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है. बड़े उद्योग के साथ छोटे लघु सूक्ष्म उद्योग की स्थित चरमरा गई है. वहीं, जमशेदपुर में मिट्टी के सामान बनाकर बेचने वाले कुम्हारों पर सीधा असर देखने को मिल रहा है. पूर्वी सिंहभूम जिला में 7 सौ के करीब कुम्हार परिवार हैं, जिन्हें साल भर खास मौके के अलावा शादी के सीजन का विशेष तौर पर इंतजार रहता है. इस दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले मिट्टी के कलश, हाथी और अन्य सामान ज्यादा संख्या में बनायी जाती है.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें-SKMU की कुलपति पद पर सोनाझरिया मिंज ने दिया योगदान, ईटीवी भारत से की खास बातचीत

शादी में इस्तेमाल होने वाले मिट्टी के हाथी कलश के सेट की कीमत 7 सौ से लेकर 12 सौ तक की होती है, लेकिन 2020 में मार्च से अब तक लग्न में इस्तेमाल मिट्टी के सामान नहीं बिके हैं. जमशेदपुर के बाजार में मिट्टी के सामान के दुकानों में रंग-बिरंगे आकर्षक डिजाइन में बने हाथी कलश दुकान की शोभा बढ़ा रहे हैं. वहीं, दुकानदारों को ग्राहक का इंतजार है.

जिले के साकची बाजार में मिट्टी का सामान बेचने वाले बसंत की आर्थिक स्थिति दयनीय हो चुकी है. उनका कहना है कि उन्हें शादी के मौसम का इंतजार रहता है, जिसमें उन्हें अच्छी आमदनी हो जाती है लेकिन इस बार लग्न में मिट्टी के हाथी कलश की बिक्री नहीं हुई है. वे बताते हैं कि एक लग्न में 50 से 1 लाख का कारोबार हो जाता है, लेकिन कोरोना के कारण इस बार बाजार में सन्नाटा है. उनका मानना है कि कोविड 19 के गाइडलाइन के कारण लोग सीमित संशाधन में काम कर रहे हैं. जिसके कारण बाजार पर असर पड़ा है ऐसे में हमारी स्थिति काफी दयनीय हो चुकी है.

जमशेदपुर: कोविड 19 में देश की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा है. बड़े उद्योग के साथ छोटे लघु सूक्ष्म उद्योग की स्थित चरमरा गई है. वहीं, जमशेदपुर में मिट्टी के सामान बनाकर बेचने वाले कुम्हारों पर सीधा असर देखने को मिल रहा है. पूर्वी सिंहभूम जिला में 7 सौ के करीब कुम्हार परिवार हैं, जिन्हें साल भर खास मौके के अलावा शादी के सीजन का विशेष तौर पर इंतजार रहता है. इस दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले मिट्टी के कलश, हाथी और अन्य सामान ज्यादा संख्या में बनायी जाती है.

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जिले के साकची बाजार में मिट्टी का सामान बेचने वाले बसंत की आर्थिक स्थिति दयनीय हो चुकी है. उनका कहना है कि उन्हें शादी के मौसम का इंतजार रहता है, जिसमें उन्हें अच्छी आमदनी हो जाती है लेकिन इस बार लग्न में मिट्टी के हाथी कलश की बिक्री नहीं हुई है. वे बताते हैं कि एक लग्न में 50 से 1 लाख का कारोबार हो जाता है, लेकिन कोरोना के कारण इस बार बाजार में सन्नाटा है. उनका मानना है कि कोविड 19 के गाइडलाइन के कारण लोग सीमित संशाधन में काम कर रहे हैं. जिसके कारण बाजार पर असर पड़ा है ऐसे में हमारी स्थिति काफी दयनीय हो चुकी है.

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