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सरकारी उदासीनता के कारण सूख रहे तालाब, जलस्तर लगातार जा रहा नीचे

सरकारी उदासीनता के कारण जमशेदपुर के ग्रामीण इलाकों के लोग इन दिनों काफी परेशान हैं. मदद के अभाव में तालाब पूरी तरीके से सूखे चुके हैं.

सूखे तालाब की तस्वीर
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Published : Jul 2, 2019, 11:31 PM IST

जमशेदपुर: जिले के बोड़ाम प्रखंड के लायलम पंचायत का तालाब अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. सरकारी बाबुओं की अनदेखी के कारण तालाब बदहाल होता जा रहा है. सरकार द्वारा लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी तालाब की स्थिति बदतर है. ऐसे में इलाके के ग्रामीण भी काफी चिंतित हैं.

देखें पूरी खबर

पहाड़ों और जंगलों की तलहटियों पर बसा प्राकृतिक संसाधनों और खूबसूरती से भरपूर लायलम पंचायत से सटे राहरगोड़ा,पुंसा गांव में तालाब और डोभा दोनों सूख चुके हैं. कृषि कार्यालय के मुताबिक जिले में वर्ष 2018 तक 540 तालाब थे. बोड़ाम प्रखंड में 21 तालाब और 34 डोभा थे. जिसमें से कई तालाब समतल हो चुके हैं. सही तरीके से गहरी नहीं होने के कारण भी तालाब में पानी जमा नहीं हो पाता है. तालाब के खत्म होने से क्षेत्र का जलस्तर काफी नीचे चला गया है.

ये भी पढ़ें- झारखंड कैबिनेट की बैठक में 15 प्रस्तावों पर लगी मुहर, 22 जुलाई से विधानसभा का मानसून सेशन

यहां के ग्रामीण तालाब पर निर्भर हैं. फसलों और पशुओं के लिए भी तालाब का पानी उपयोग में लाया जाता है. तालाब में खुदाई भी आधी की गई है. वर्षा होने के बाद इसमें थोड़ा पानी भरता है, सरकारी बाबू तालाब की स्थिति भी नहीं देखने आते हैं. तालाब हमेशा से सूखा ही रहता है, जिससे ग्रामीणों को पानी की समस्या होती है.सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में कई ऐसे डोभा मिले जो अब तक सूख गए हैं. पहाड़ों से बहने वाले पानी के लिए पानी को संचय करने के लिए डोभा में कोई व्यस्था नहीं की गई है. वर्षों से डोभा की स्थिति ऐसी ही है.

जमशेदपुर: जिले के बोड़ाम प्रखंड के लायलम पंचायत का तालाब अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है. सरकारी बाबुओं की अनदेखी के कारण तालाब बदहाल होता जा रहा है. सरकार द्वारा लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी तालाब की स्थिति बदतर है. ऐसे में इलाके के ग्रामीण भी काफी चिंतित हैं.

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पहाड़ों और जंगलों की तलहटियों पर बसा प्राकृतिक संसाधनों और खूबसूरती से भरपूर लायलम पंचायत से सटे राहरगोड़ा,पुंसा गांव में तालाब और डोभा दोनों सूख चुके हैं. कृषि कार्यालय के मुताबिक जिले में वर्ष 2018 तक 540 तालाब थे. बोड़ाम प्रखंड में 21 तालाब और 34 डोभा थे. जिसमें से कई तालाब समतल हो चुके हैं. सही तरीके से गहरी नहीं होने के कारण भी तालाब में पानी जमा नहीं हो पाता है. तालाब के खत्म होने से क्षेत्र का जलस्तर काफी नीचे चला गया है.

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यहां के ग्रामीण तालाब पर निर्भर हैं. फसलों और पशुओं के लिए भी तालाब का पानी उपयोग में लाया जाता है. तालाब में खुदाई भी आधी की गई है. वर्षा होने के बाद इसमें थोड़ा पानी भरता है, सरकारी बाबू तालाब की स्थिति भी नहीं देखने आते हैं. तालाब हमेशा से सूखा ही रहता है, जिससे ग्रामीणों को पानी की समस्या होती है.सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में कई ऐसे डोभा मिले जो अब तक सूख गए हैं. पहाड़ों से बहने वाले पानी के लिए पानी को संचय करने के लिए डोभा में कोई व्यस्था नहीं की गई है. वर्षों से डोभा की स्थिति ऐसी ही है.

Intro:एंकर--जमशेदपुर के बोड़ाम प्रखंड के लायलम पंचायत का तालाब, ख़ुद की बदहाली पर आँसू बहा रहा है. सरकारी बाबुओं के अनदेखी के कारण तालाब बदहाल होता जा रहा है.सरकार के द्वारा लाखों रुपए ख़र्च होने के बावजूद भी तालाब की स्थिति बदतर है।पेश है एक रिपोर्ट


Body:वीओ1--पहाड़ों और जंगलों की तलहटियों पर बसा प्राकृतिक संसाधनों और खूबसूरती से भरपूर लायलम पंचायत से सटे राहरगोड़ा,पुंसा गावँ में तालाब व डोभा दोनों सुख चुका है.कृषि कार्यालय के मुताबिक जिले में वर्ष 2018 तक 540 तालाब थें.बोड़ाम प्रखंड में 21 तालाब व 34 डोभा थें. जिसमें से कई तालाब समतल हो चुके हैं. व अधिकतर तालाब सुख चुके हैं.
सही तरीके से गहरी नहीं होने के कारण भी तालाब में पानी जमा नहीं हो पाता है.तालाब के खत्म होने से छेत्र का जलस्तर काफी नीचे चला गया है. यहाँ के ग्रामीण तालाब पर निर्भर हैं.फसलों तथा पशुओं के लिए भी तालाब का पानी उपयोग में लाया जाता है.तालाब में ख़ुदाई आधा ही कि गई है.वर्षा होने के बाद इसमें थोड़ा पानी भरता है.सरकारी बाबु तालाब की स्थिति भी नहीं देखने आते हैं.तालाब हमेशा से सूखा ही रहता है.जिससे ग्रामीणों को पानी की समस्या होती है।
बाइट-- ख़ासिराम टुडू(ग्रामीण)
वीओ2--ईटीवी भारत की टीम ने सुदूर ग्रामीण छेत्रों में जाकर डोभा और तालाब का मुयायना किया जहाँ सरकारी बाबुओं के कारनामे की खुली तस्वीर सामने आई.फसलों के लिए महत्वपूर्ण ऐसे डोभा मिले जो अब तक सूखे हुए थें. पहाड़ों से बहने वाले पानी के लिए पानी को संचय करने के लिए डोभा में कोई व्यस्था नहीं की गई है. वर्षों से डोभा की स्थिति ऐसी ही है.गर्मी के मौसम में खेती करने के लिए पानी नहीं रहता है.डोभा सुख जाते हैं.यहाँ के सरकारी बाबुओं ने कहा ये बीते वर्ष की बात है यहाँ मेरी ड्यूटी नहीं थी.और कैमरे के सामने बात करने से भी इन्कार कर दिया।
बाइट--चुनाराम मुर्मू(पंचायत समिति सदस्य)


Conclusion:बहरहाल सुदूर ग्रामीण छेत्रों में कई ऐसे तालाब और डोभा देखने को मिले जहाँ तालाब खुद की बदहाली पर आँसू बहा रहा है.
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