हजारीबाग: झारखंड बनने के बाद पूरे राज्य में जमीन की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई. भूमाफिया भी खूब पनपे.आलम यह है कि हजारीबाग में भूमाफिया का इतना खौफ है कि जिला प्रशासन भी सरकारी जमीन बचाने के लिए जगह-जगह नोटिस बोर्ड लगवा रहे हैं. इसके बावजूद भू माफिया बदस्तूर सरकारी जमीन लूट रहे हैं.
ये भी पढ़ें- हजारीबाग में उपायुक्त के साथ पुलिस अधिकारियों की बैठक, अपराध पर नकेल के लिए बनी रणनीति
फर्जी दस्तावेजों से बेचा जा रहा है सरकारी जमीन: हजारीबाग जिला में भूमाफिया काफी सक्रिय हैं. आलम यह है कि बड़े बड़े भूखंड जो सरकारी जमीन थे उन्हें भी फर्जी दस्तावेज बनाकर बेच डाला जा रहा है. आलम यह है कि गैरमजरूआ खास जमीन पर अब बड़े-बड़े आलीशान भवन बन कर खड़े हो रहे हैं. यही नहीं जल स्रोत भी हजारीबाग में बेचा जा रहा है. लेकिन प्रशासन भूमाफिया को पर नकेल कसने में नाकामयाब साबित हो रहे हैं. ऐसे में अब सरकारी जमीन को बचाने के लिए प्रशासन के द्वारा नोटिस बोर्ड लगाया जा रहा है.
सारले मौजा भू माफिया की पहली पसंद: हजारीबाग में सारले मौजा भूमाफियाओं के लिए पहली पसंद बना हुआ है. जहां जमीन 30 लाख से लेकर 40 रूपए प्रति कट्ठा बिक रहा है. सरकारी जमीन होने का बोर्ड लगने के बाद भी भूमाफिया संबंधित अमीन और कर्मचारी की सांठगांठ से जमीन पर कब्जा करने में लगे हुए हैं. सारले में जिला प्रशासन के आदेश से सीओ ने नोटिस बोर्ड लगाया था. लेकिन भूमाफिया नोटिस बोर्ड को ठेंगा दिखाते हुए अपना काम कर रहे हैं. प्रशासन के पदाधिकारी कहते हैं कि हम लोग सरकारी जमीन बचाने के लिए भरपूर कोशिश कर रहे हैं. अगर सूचना मिलती है तो कार्रवाई भी की जाती है.
कई इलाके में सरकारी जमीन की लूट: हजारीबाग में कई क्षेत्रों में सरकारी जमीन की लूट की जा रही है. भूमाफिया धड़ल्ले से मिट्टी भरकर काम कर रहे हैं. कुछ दिन में वहां भवन बनने का काम भी शुरू हो जा रहा है. ऐसे में हजारीबाग के आरटीआई एक्टिविस्ट राजेश मिश्रा कहते हैं कि हजारीबाग में हजारों करोड़ों रुपया के जमीन का बंदरबांट हो गया और सरकारी जमीन लूट लिया गया है. इसमें जिला प्रशासन की मिलीभगत रहती है.जब राजेश मिश्रा ने सरकारी जमीन की लूट पर सवाल खड़ा किया था तो भू माफिया के द्वारा उनके डिक्की में आपत्तिजनक सामान रखकर गिरफ्तार करवा दिया गया. बाद में पुलिस ने स्वीकार किया था कि उन्हें फंसाया गया है. उन्हें 18 दिनों तक जेल में रहने के बाद छोड़ा गया.
फर्जी दस्तावेजों से जमीन की लूट: सरकारी जमीन की लूट कोई नई नहीं है. इसके पहले भी फर्जी दस्तावेज बनाकर सरकारी जमीन की लूट की गई है. अब प्रशासन आम लोगों से अपील भी कर रहा है कि वह वैसे जमीन की खरीदारी ना करें जो सरकारी या फिर गैरमजरूआ खास है. इसके लिए अब नोटिस बोर्ड का भी सहारा लिया जा रहा है.