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दिल्ली से सम्मान पाकर लौटी विधवा महिला, बनी हैं पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत

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Published : Jan 15, 2020, 7:50 PM IST

सफलता किसी की मोहताज नहीं होती है बल्कि सही दिशा और परिश्रम से किए गए काम को समाज भी प्रतिष्ठा देता है. ऐसा ही कुछ हजारीबाग में दिख रहा है, जहां 10 विधवा महिलाओं ने खुद को स्थापित किया है, जिसे सरकार और विभाग ने सम्मान दिया है.

Didi Cafe in Hazaribag
डिजाइन इमेज

हजारीबाग: राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत महिला समूह का निर्माण कर महिला सशक्तिकरण के लिए चलाए गए कार्यक्रम हजारीबाग में एक ऐसा उदाहरण बन कर सामने आया है कि यह पूरे समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है. इसकी सराहना अब देश स्तर पर भी होने लगी है.

देखिए स्पेशल स्टोरी

दीदी कैफे कैंटीन
दरअसल, हजारीबाग समहरणालय परिसर में जिला प्रशासन से उपलब्ध कराए गए एक छोटे से कमरे में दीदी कैफे के नाम से कैंटीन संचालित है. इस कैंटीन को 10 विधवा महिलाओं ने शुरू किया था, जिसकी चर्चा पूरे देश स्तर पर हो रही है. इन महिलाओं ने समृद्धि महिला स्वयं सहायता समूह का निर्माण किया और कैंटीन की शुरुआत की.

चुनौती से कम नहीं था जीवन-यापन करना
प्रारंभिक दौर में हजारीबाग नगर निगम ने इन्हें सहायता राशि भी मुहैया कराई. यह सहायता समूह अपने कैंटीन में पहले नाश्ता बेचा करती थीं. धीरे-धीरे पैसा जमा कर समूह खाना बनाकर लोगों को खिला रही है और अपना जीवन-यापन कर रही हैं. समूह बनाने के पहले इन महिलाओं का जीवन-यापन करना चुनौती से कम नहीं था, लेकिन धीरे-धीरे सब ने काम करना शुरू किया और स्थितियां बदलते गईं.

ये भी पढे़ं: रांचीः शहर के बदले गए पांच थानेदार, जगन्नाथपुर प्रभारी का भी हुआ तबादला
2017 में हुआ था उद्घाटन
दीदी कैफे नाम से इस कैंटीन का उद्घाटन 13 जुलाई 2017 को तत्कालीन वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने किया था, लेकिन उन्हें भी इस बात का पता नहीं था कि यह समूह एक दिन इतिहास रच देगा. आज यह महिला अपने मेहनत के बदौलत पूरे परिवार का भरण पोषण कर रही हैं. स्वयं सहायता समूह की महिला भी कहती हैं कि हमें विश्वास भी नहीं था कि हम उस मुकाम पर पहुंच पाएंगे, जहां चुनौती ही चुनौती थी. अब दिल्ली में जाकर अपनी संघर्ष की कहानी वो दुनिया को बता रही हैं.

झारखंड से दो समूह का चयन
दिल्ली से लौटने के बाद नगर निगम के नगर आयुक्त ने बताया कि हमारे लिए गौरव की बात है कि पूरे झारखंड से दो समूह का चयन किया गया था, जिसमें एक समूह हजारीबाग की महिलाएं हैं. जो अपने अथक प्रयास से खुद को समाज में प्रतिष्ठित किया है. अब हम और भी वैसे समूह बनाएंगे जो दूसरे महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगी.

दिल्ली में हुई सम्मानित
वहीं, कार्यक्रम को शुरू कराने वाली सिटी मैनेजर कुमारी कृष्णन भी कहती हैं कि हम भी महिलाओं के साथ दिल्ली गए थे, जहां देश के कोने कोने से स्वयं सहायता समूह चलाने वाली महिला पहुंची थी और उन्होंने अपनी सफलता की कहानी पूरी देश को बताया है. हजारीबाग की महिलाओं ने भी अपने बारे में बताया कि उन्होंने कैसे संघर्ष किया और संघर्ष के बदौलत आज पूरा परिवार का लालन-पालन खुद कर रही हैं. इस कैफे का सोच आज समाज के लिए आदर्श बन गया है.

ये भी पढे़ं: पलामू में सड़क दुर्घटना में हर सप्ताह 5 लोगों की जाती है जान, ज्यादातर युवा हो रहे शिकार
देश स्तर पर विभिन्न राज्यों से चयनित महिला समूह की सफलता पर आधारित कार्यक्रम के लिए झारखंड से दो समूह का चयन किया गया है, जिसमें हजारीबाग की समृद्धि समूह है और दूसरा साहिबगंज की एक महिला समूह शामिल है. जो पूरे महिला समाज को आज सीख दे रही है कि अगर हम सच्चाई और निष्ठा के साथ काम करें तो समाज में सम्मान भी और प्रतिष्ठा दोनों मिलती है.

हजारीबाग: राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत महिला समूह का निर्माण कर महिला सशक्तिकरण के लिए चलाए गए कार्यक्रम हजारीबाग में एक ऐसा उदाहरण बन कर सामने आया है कि यह पूरे समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है. इसकी सराहना अब देश स्तर पर भी होने लगी है.

देखिए स्पेशल स्टोरी

दीदी कैफे कैंटीन
दरअसल, हजारीबाग समहरणालय परिसर में जिला प्रशासन से उपलब्ध कराए गए एक छोटे से कमरे में दीदी कैफे के नाम से कैंटीन संचालित है. इस कैंटीन को 10 विधवा महिलाओं ने शुरू किया था, जिसकी चर्चा पूरे देश स्तर पर हो रही है. इन महिलाओं ने समृद्धि महिला स्वयं सहायता समूह का निर्माण किया और कैंटीन की शुरुआत की.

चुनौती से कम नहीं था जीवन-यापन करना
प्रारंभिक दौर में हजारीबाग नगर निगम ने इन्हें सहायता राशि भी मुहैया कराई. यह सहायता समूह अपने कैंटीन में पहले नाश्ता बेचा करती थीं. धीरे-धीरे पैसा जमा कर समूह खाना बनाकर लोगों को खिला रही है और अपना जीवन-यापन कर रही हैं. समूह बनाने के पहले इन महिलाओं का जीवन-यापन करना चुनौती से कम नहीं था, लेकिन धीरे-धीरे सब ने काम करना शुरू किया और स्थितियां बदलते गईं.

ये भी पढे़ं: रांचीः शहर के बदले गए पांच थानेदार, जगन्नाथपुर प्रभारी का भी हुआ तबादला
2017 में हुआ था उद्घाटन
दीदी कैफे नाम से इस कैंटीन का उद्घाटन 13 जुलाई 2017 को तत्कालीन वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने किया था, लेकिन उन्हें भी इस बात का पता नहीं था कि यह समूह एक दिन इतिहास रच देगा. आज यह महिला अपने मेहनत के बदौलत पूरे परिवार का भरण पोषण कर रही हैं. स्वयं सहायता समूह की महिला भी कहती हैं कि हमें विश्वास भी नहीं था कि हम उस मुकाम पर पहुंच पाएंगे, जहां चुनौती ही चुनौती थी. अब दिल्ली में जाकर अपनी संघर्ष की कहानी वो दुनिया को बता रही हैं.

झारखंड से दो समूह का चयन
दिल्ली से लौटने के बाद नगर निगम के नगर आयुक्त ने बताया कि हमारे लिए गौरव की बात है कि पूरे झारखंड से दो समूह का चयन किया गया था, जिसमें एक समूह हजारीबाग की महिलाएं हैं. जो अपने अथक प्रयास से खुद को समाज में प्रतिष्ठित किया है. अब हम और भी वैसे समूह बनाएंगे जो दूसरे महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगी.

दिल्ली में हुई सम्मानित
वहीं, कार्यक्रम को शुरू कराने वाली सिटी मैनेजर कुमारी कृष्णन भी कहती हैं कि हम भी महिलाओं के साथ दिल्ली गए थे, जहां देश के कोने कोने से स्वयं सहायता समूह चलाने वाली महिला पहुंची थी और उन्होंने अपनी सफलता की कहानी पूरी देश को बताया है. हजारीबाग की महिलाओं ने भी अपने बारे में बताया कि उन्होंने कैसे संघर्ष किया और संघर्ष के बदौलत आज पूरा परिवार का लालन-पालन खुद कर रही हैं. इस कैफे का सोच आज समाज के लिए आदर्श बन गया है.

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देश स्तर पर विभिन्न राज्यों से चयनित महिला समूह की सफलता पर आधारित कार्यक्रम के लिए झारखंड से दो समूह का चयन किया गया है, जिसमें हजारीबाग की समृद्धि समूह है और दूसरा साहिबगंज की एक महिला समूह शामिल है. जो पूरे महिला समाज को आज सीख दे रही है कि अगर हम सच्चाई और निष्ठा के साथ काम करें तो समाज में सम्मान भी और प्रतिष्ठा दोनों मिलती है.

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सफलता किसी की मोहताज नहीं होती है बल्कि सही दिशा और परिश्रम से किया गया काम को समाज प्रतिष्ठा भी देता है। ऐसा ही कुछ हुआ है हजारीबाग में ।जहां सात विधवा महिलाओं के स्वयं सहायता समूह ने खुद को स्थापित किया है । जिसे सरकार और विभाग ने सम्मान दिया है । दिल्ली में हुए कार्यक्रम में महिलाओं को सम्मान भी दिया गया है। जिन्होंने दूरदर्शन में अपने किए गए के के काम को बताया। कौन है यह महिला और उन्होंने क्या किया है जिससे इस रिपोर्ट के जरिए....


Body:राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत महिला समूह का निर्माण कर महिला सशक्तिकरण के लिए चलाए गए कार्यक्रम हजारीबाग में एक ऐसा उदाहरण बन कर सामने आया है कि यह पूरे समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है। जिसकी सराहना अब देश स्तर पर भी होने लगी है। उसी का परिणाम है कि दिल्ली दूरदर्शन ने महिला सशक्तिकरण को लेकर अपने कार्यक्रमों की श्रृंखला में हजारीबाग के सफल स्टोरी का चयन किया है । जिसका लाइव प्रसारण दिल्ली से किया गया।

दरअसल हजारीबाग समरणालय परिसर मे जिला प्रशासन द्वारा उपलब्ध कराए गए एक छोटे से कमरे में दीदी कैफे के नाम से कैंटीन संचालित है। यह कैंटीन 10 विधवा महिलाओं के द्वारा शुरू किया गया। जिसकी चर्चा पूरे देश स्तर में हो रही है। इन महिलाओं ने समृद्धि महिला स्वयं सहायता समूह का निर्माण किया और कैंटीन की शुरुआत की। प्रारंभिक दौर में हजारीबाग नगर निगम के द्वारा इन्हें सहायता राशि भी मुहैया कराया गया। यह सहायता समूह पहले नाश्ता अपने कैंटीन में बेचा करती थी। धीरे-धीरे पैसा जमा कर समूह खाना बनाकर लोगों को खिला रही है और अपना जीवन यापन कर रही है। समूह बनाने के पहले इन महिलाओं का जीवन यापन करना चुनौती से कम नहीं था। लेकिन धीरे-धीरे सब ने काम करना शुरू किया और स्थितियां बदलते गई। दीदी कैफे नाम से इस कैंटीन का उद्घाटन 13 जुलाई 2017 को तत्कालीन वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने किया था ।लेकिन उन्हें भी यह बात का पता नहीं था कि यह समूह एक दिन इतिहास रच देगी। आज यह महिला अपने मेहनत के बदौलत पूरे परिवार का भरण पोषण कर रही है । जो पैसा कमाई के द्वारा होता है वह आपस में बांटती है। स्वयं सहायता समूह की महिला भी कहती है कि हमें विश्वास भी नहीं था कि हम उस मुकाम पर पहुंच पाएंगे जहां चुनौती ही चुनौती थी। अब दिल्ली में जाकर अपनी संघर्ष की कहानी वो दुनिया को बताया।

दिल्ली से लौटने के बाद नगर निगम के नगर आयुक्त ने बताया कि हमारे लिए गौरव की बात है कि पूरे झारखंड से दो समूह का चयन किया गया था। जिसमें एक समूह हजारीबाग की महिलाएं हैं ।जो अपने अथक प्रयास से खुद को समाज में प्रतिष्ठित किया है ।अब हम और भी वैसे समूह बनाएंगे जो दूसरे महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेंगी।

वही कार्यक्रम को शुरू कराने वाली सिटी मैनेजर कुमारी कृष्णन भी कहती हैं कि हम भी महिलाओं के साथ दिल्ली गए थे। जहां देश के कोने कोने से स्वयं सहायता समूह चलाने वाली महिला पहुंची थी और उन्होंने अपनी सफलता की कहानी पूरी देश को बताया है। हजारीबाग की महिलाएं ने भी अपने बारे में बताया कि उन्होंने कैसे संघर्ष किया और संघर्ष के बदौलत आज पूरा परिवार का लालन पालन खुद कर रही हैं। इस कैफे का सोच आज समाज के लिए आदर्श बन गया है। देश स्तर पर विभिन्न राज्यों से चयनित महिला समूह की सफलता पर आधारित कार्यक्रम के लिए झारखंड से दो समूह का चयन किया गया है। जिसमें हजारीबाग की समृद्धि समूह है और दूसरा साहिबगंज की एक महिला समूह शामिल है। जो पूरे महिला समाज को आज सीख दे रही है ,कि अगर हम सच्चाई और निष्ठा के साथ काम करें तो समाज में सम्मान भी और प्रतिष्ठा दोनों मिलती है। सिटी मैनेजर का कहना है कि आज इन महिलाओं के साथ साथ पूरे हजारीबाग का नाम देश पटेल में सामने आया है। यह खुशी भरा पल है हम इन महिलाओं के उज्जवल भविष्य के लिए भी कामना करते हैं।

byte.... साको देवी समृद्धि महिला स्वयं सहायता समूह की सदस्य
byte.... कमलेश्वर प्रसाद सिंह नगर आयुक्त हजारीबाग नगर निगम
byte.... कुमारी कृष्णा सिटी मैनेजर हजारीबाग नगर निगम


Conclusion: सात विधवा महिलाए आज पूरे समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है। जरूरत है ऐसी महिलाओं को प्रोत्साहित करने की ताकि अन्य महिलाएं भी इनसे सीख ले और अपने पैरों पर खड़ा हो सके। ईटीवी भारत भी ऐसी महिला के जज्बे को सलाम करता है।

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