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हजारीबागः लॉकडाउन में वट सावित्री पूजा, महिलाओं ने की सोशल डिस्टेंसिंग के साथ पूजा

हाजारीबाग में लॉकडाउन होने के कारण महिलाएं अपने घर में ही वट सावित्री पूजा कर अपने पति की लंबी आयु की कामना कर रही हैं. वहीं इक्का-दुक्का महिलाएं सड़क किनारे वट वृक्ष में पूजा करती नजर आईं. घर से बाहर पूजा के दौरान महिलाओं ने लॉकडाउन का बखूबी पालन किया.

Vat Savitri Puja during lockdown
कोरोना महामारी में वट सावित्री पूजा
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Published : May 22, 2020, 1:23 PM IST

हजारीबाग: हिंदू धर्म में महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए कई व्रत रखती हैं. ऐसे ही व्रत में से एक है वट सावित्री पूजा है. विवाहित महिलाएं इस दिन अपने सुहाग की दीर्घायु होने के लिए उपासना करती हैं. यह पूजा हर साल जेष्ठ माह की अमावस्या के दिन मनाया जाता है. लेकिन इस बार लॉकडाउन होने के कारण पूजा करने में थोड़ा समझौता करना पड़ रहा है.

देखें पूरी खबर

लॉकडाउन के दौरान शुक्रवार को बहुत सी महिलाओं ने वृक्ष की डाली को घर में लगाकर विधि विधान से पूजा की. महिलाओं का कहना है कि यह पूजा सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण होता है. हम अपने पति की लंबी आयु के लिए पूजा करते हैं. इस बार लॉकडाउन है, इस कारण मंदिर या फिर सड़क किनारे वट वृक्ष में पूजा नहीं कर, घर में ही डाली लगाकर पूजा की.

ये भी पढ़ें- सखी मंडल की ये महिलाएं हैं आत्मनिर्भर, सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कर रही हैं खेती

शुक्रवार को हर जगह वट सावित्री की पूजा की जा रही है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता सावित्री अपने पति के प्राणों को रामराज से छुड़ाकर ले आईं थी. इसलिए महिलाओं के बीच इस पर्व का विशेष महत्व है. इस दिन स्त्रियां अखंड सौभाग्यवती होने की मंगल कामना करती हैं. हजारीबाग के बड़ा अखाड़ा के महंत भी कहते हैं कि यह व्रत प्रकृति पूजा है. महिलाएं वृक्ष की पूजा करती हैं और पति की लंबी आयु की कामना करती हैं.

परिवर्तन ही संसार का नियम है. महिलाएं इस पूजा को काफी उमंग के साथ करती थी, लेकिन आज के समयानुसार महिलाओं ने खुद को ढाला है और अधिकतर महिलाएं घर में पूजा कर रही हैं. अब जरूरत है समाज को भी खुद को बदलने की.

हजारीबाग: हिंदू धर्म में महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए कई व्रत रखती हैं. ऐसे ही व्रत में से एक है वट सावित्री पूजा है. विवाहित महिलाएं इस दिन अपने सुहाग की दीर्घायु होने के लिए उपासना करती हैं. यह पूजा हर साल जेष्ठ माह की अमावस्या के दिन मनाया जाता है. लेकिन इस बार लॉकडाउन होने के कारण पूजा करने में थोड़ा समझौता करना पड़ रहा है.

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लॉकडाउन के दौरान शुक्रवार को बहुत सी महिलाओं ने वृक्ष की डाली को घर में लगाकर विधि विधान से पूजा की. महिलाओं का कहना है कि यह पूजा सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण होता है. हम अपने पति की लंबी आयु के लिए पूजा करते हैं. इस बार लॉकडाउन है, इस कारण मंदिर या फिर सड़क किनारे वट वृक्ष में पूजा नहीं कर, घर में ही डाली लगाकर पूजा की.

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शुक्रवार को हर जगह वट सावित्री की पूजा की जा रही है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माता सावित्री अपने पति के प्राणों को रामराज से छुड़ाकर ले आईं थी. इसलिए महिलाओं के बीच इस पर्व का विशेष महत्व है. इस दिन स्त्रियां अखंड सौभाग्यवती होने की मंगल कामना करती हैं. हजारीबाग के बड़ा अखाड़ा के महंत भी कहते हैं कि यह व्रत प्रकृति पूजा है. महिलाएं वृक्ष की पूजा करती हैं और पति की लंबी आयु की कामना करती हैं.

परिवर्तन ही संसार का नियम है. महिलाएं इस पूजा को काफी उमंग के साथ करती थी, लेकिन आज के समयानुसार महिलाओं ने खुद को ढाला है और अधिकतर महिलाएं घर में पूजा कर रही हैं. अब जरूरत है समाज को भी खुद को बदलने की.

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