हजारीबाग: संघ लोक सेवा आयोग(UPSC) के फाइनल परीक्षा परिणामों की घोषणा कर दी गई है. यूपीएससी की परीक्षा में झारखंड के छात्रों ने भी परचम लहराया है. हजारीबाग के रहने वाले उत्कर्ष कुमार ने जहां इस परीक्षा में 55वां रैंक हासिल किया है वहीं देवघर मधुपुर के शुभम मोहन 196 रैंक पर हैं. देवघर की रहने वाली भावना कुमारी को 376वां स्थान मिला है.
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हजारीबाग के उत्कर्ष को मिला 55वां रैंक
हजारीबाग के उत्कर्ष ने यह साबित कर दिखाया है कि कोई इंसान अगर सपने देखे और उसे पूरा करने की कोशिश करे तो सफलता उसके कदम चूमती है. सुरेश कॉलोनी के गिरिजा नगर में रहने वाले उत्कर्ष की मां सुषमा वर्णवाल शिक्षिका हैं जबकि पिता महेश कुमार पीडब्ल्यूडी में इंजीनियर हैं. उत्कर्ष की प्रारंभिक शिक्षा डीएवी पब्लिक स्कूल में हुई. इसके बाद उन्होंने उच्चतर शिक्षा कोटा से प्राप्त किया और फिर आईआईटी जैसे प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता हासिल की. उत्कर्ष यहीं नहीं रूके 3 साल की कड़ी मेहनत के बाद यूपीएससी में 55वां रैंक लाकर आखिरकार उन्होंने बड़ी सफलता हासिल की.
दूसरे अटेम्पट में मिली सफलता
आईआईटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद उत्कर्ष मल्टीनेशनल कंपनी में काम कर रहे थे. सालाना उन्हें बड़ा पैकेज भी मिल रहा था. लेकिन देश सेवा की चाहत में उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी. पहले अटेम्पट में वे असफल रहे लेकिन दूसरी बार में उन्होंने इतिहास रच दिया.
शॉर्टकट से रहें दूर
यूपीएससी क्रैक करने वाले उत्कर्ष ने अपनी सफलता का राज बताया है. उन्होंने कहा कि लाइफ में कभी भी शॉर्टकट नहीं होती है. गोल बनाकर मेहनत किया जाए तो सफलता जरूर मिलती है. उत्कर्ष का यह भी कहना है कि दोस्ती हमेशा अच्छे लोगों से की जानी चाहिए. उन्होंने अपनी सफलता के लिए अपने दोस्तों, शिक्षकों और परिवार का आभार जताया. उनका यह भी कहना है कि छात्रों को खुद को जज करने की जरूरत है कि वह क्या कर सकते हैं. उन्होंने सोशल मीडिया पर भी अपने नजरिए को सबके सामने रखा. उन्होंने कहा सोशल मीडिया के दो स्वरूप है. एक अच्छा और दूसरा बुरा. ऐसे में हर एक व्यक्ति को यह सोचना चाहिए कि वह अच्छाई को अपनाए. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि वे खुद सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखे.
बचपन से मेहनती थे उत्कर्ष
उत्कर्ष की सफलता के बाद मां सुषमा वर्णवाल ने बताया कि बेटा बचपन से ही मेहनती था. कभी पढ़ाई को लेकर उस पर दबाव नहीं बनाया. उसने जो भी कहा मैंने उसका साथ दिया. इसकी वजह से आज उसने कामयाबी हासिल की. पिता महेश कुमार ने भी अपने बेटे की प्रशंसा की और कहा कि उन्हें विश्वास था कि उनका बेटा अपने लक्ष्य में जरूर सफल होगा. उत्कर्ष के माता-पिता ने दूसरे छात्रों को सफल होने के लिए हमेशा सही रास्ता अपनाने की सलाह दी है.