हजारीबागः मेडिकल कॉलेज अस्पताल इन दिनों मूलभूत सुविधा से कोसों दूर है. आलम यह है कि रात के अंधेरे में भी मोबाइल की रोशनी से मरीजों का इलाज हो रहा है. यही नहीं सर्जरी वार्ड का भी हाल बेहाल है. ऐसे में भगवान भरोसे ही यह मेडिकल अस्पताल चल रहा है.
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सदर अस्पताल हजारीबाग (Sadar Hospital Hazaribag) को अपग्रेड करके मेडिकल कॉलेज अस्पताल (Medical College Hospital) का दर्जा दिया गया. लेकिन सुविधा के नाम पर यहां सिर्फ खानापूर्ति हो रही है. एक तरह अस्पताल में डॉक्टर्र की घोर कमी है तो दूसरी ओर स्वास्थ्यकर्मियों की संख्या भी पर्याप्त नहीं है. ऐसे में मरीजों को बेहतर इलाज देना किसी चुनौती से कम नहीं है. अव्यवस्था का आलम यह है कि देर रात शहर में जैसे ही बिजली गुल होती है, वैसे ही मेडिकल कॉलेज अस्पताल भी अंधेरा में छा जाता है. उसके बाद मोबाइल की रोशनी से मरीजों का इलाज (Treatment on Mobile light) किया जाता है.
यहां ट्रॉमा सेंटर में जहां इमरजेंसी में मरीज पहुंचते हैं, वहां भी मोबाइल की लाइट से ही डॉक्टर इलाज करते हुए देखे गए हैं. दूसरी ओर सर्जिकल वार्ड में जहां ऑपरेशन होता है वहां भी मोमबत्ती में इलाज करने की शिकायत मिली है. ऐसे में हजारीबाग मेडिकल कॉलेज अस्पताल (Hazaribag Medical College Hospital) के सुप्रिटेंडेंट डॉ. विनोद ने जानकारी दी कि हम लोगों के पास जनरेटर की सुविधा है. बिजली कटने के बाद जनरेटर चलाया जाता है. लाइट काटने के समय 5 से 7 मिनट तक हम लोगों को समस्या होती है, इसके बाद स्थिति सामान्य हो जाती है. उनका यह भी कहना है कि हम लोग अब इमरजेंसी समेत कई अन्य वार्ड में इनवर्टर की सुविधा देंगे. जिससे वहां अंधेरा ना हो 5 से 7 मिनट के गैप को भरा जा सके.
चरमरायी स्थिति को देखते हुए हजारीबाग सदर विधायक मनीष जायसवाल (MLA Manish Jaiswal) भी मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे और घंटों अधीक्षक से समस्याओं पर चर्चा की. उनका कहना है कि हमारे शासनकाल में सदर अस्पताल से मेडिकल कॉलेज तो बन गया, उस वक्त अस्पताल की स्थिति अच्छी थी. लेकिन अब फिर से वही पुरानी स्थिति में अस्पताल पहुंचता जा रहा है. उनका आरोप है कि यहां दलाली प्रथा शुरू हो गयी है. लाइट नहीं रहती, एंबुलेंस का हाल खराब है, डॉक्टर वार्ड में नहीं मिलते और पोस्टमार्टम हाउस तक की स्थिति गड़बड़ है. उन्होंने कहा कि ऐसे में अगर प्रबंधन अपना रवैया नहीं सुधारा तो हम लोग सुधार देंगे.