हजारीबाग: जिला प्रशासन किसान को मूलभूत सुविधा और उनके खेती के स्तर को बढ़ाने के लिए कई प्रयास कर रहे हैं. इसी कड़ी में अब जिला प्रशासन दो बड़े स्वयंसेवी संगठन टाटा और सपोर्ट की भी मदद लेने जा रही है. ताकि खेती की गुणवत्ता में सुधार लाया जा सके और जो जमीन धान की खेती के बाद परती पड़ी रहती है उसका उपयोग किया जा सके.
टाटा और सपोर्ट की ली जा रही मदद
भारत कृषि प्रधान देश है ऐसे में किसानों की आय दोगुनी करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं. अब जिला प्रशासन भी किसानों की आय को कैसे बढ़ाया जा सके इसे लेकर तैयारी नए नए तरीके से शुरू कर दी है. जिसमें टाटा और सपोर्ट का मदद किया जा रहा है. जिला प्रशासन चाहती है कि धान की खेती के बाद खेत खाली पड़ा रहता है. ऐसे में मलचींग और ड्रिप इरिगेशन के जरिए उन खेतों में भी खेती की जा सके.
विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों की ली जा रही मदद
प्रशासन का कहना है कि चुरचू ब्लॉक में इस तरह के प्रयोग चलाए जा रहे हैं. अब कोशिश किया जा रहा है कि अन्य पंचायत में भी इसी अंदाज पर खेती की जा सके और इसके लिए विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों को भी मदद लिया जाएगा, ताकि किसानों को सुविधा दी जा सके. जिसमें सांसद ग्राम, प्रधान मंत्री आदर्श ग्राम नक्सल प्रभावित क्षेत्र में भी काम किया जा सके. प्रशासन का मानना है कि एक ब्लॉक में न होकर ये कई पंचायतों में साथ होगा तो लाभ भी अधिक मिलेगा.
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पलायन भी समस्या होगी दूर
सपोर्ट और टाटा की मदद इसलिए ली जा रही है कि गांव के किसानों का आमदनी में बढ़ोतरी हो सके. इसके साथ ही जब कोई योजनाएं एक ब्लॉक में चलती है उसका लाभ भी उसी ब्लॉक के लोगों को मिलता है. प्रशासन चाहती है कि अब दूसरे पंचायत के लोगों को भी मदद मिले. हजारीबाग उप विकास आयुक्त का कहना है कि गांवों में पलायन भी एक समस्या है अगर किसानों को अच्छी सुविधा देगी तो पलायन की समस्या भी दूर होगा.
लोकल स्तर पर जेनरेट होगा इनकम
वहीं, लोकल स्तर पर इनकम जनरेट होगा. जिससे स्थानीय बाजार में ही किसान अपने फलों को और सब्जियों को बेच पाएंगे. जिला प्रशासन का यह भी कहना है कि काम एक ही है. लेकिन कई एजेंसियों से जब मदद ली जाती है तो पैमाना भी उसका बढ़ जाता है और परिणाम भी सार्थक आते हैं.