ETV Bharat / city

हजारीबाग के दो दोस्तों की खास कहानी, 'लाश और रोटी' है अटूट दोस्ती की निशानी - मोहम्मद खालिद

हजारीबाग में मोहम्मद खालिद और तापस चक्रवर्ती की दोस्ती खास है. इसके पीछे की वजह भी काफी अलग है. इन दोनों की दोस्ती की कहानी 1995 से शुरू होती है और इस दोस्ती के मजबूत रिश्ते की वजह बनती है लावारिस लाश और रोटी.

दोस्ती को सलाम
author img

By

Published : Aug 4, 2019, 7:23 PM IST

हजारीबाग: जिले में एक दोस्ती जो एक बेहतरीन मिसाल है. जिसका कनेक्शन जुड़ा है लावारिस लाश और रोटी की वजह से. इनकी दोस्ती धर्म और जात रक्त संबंध से भी ऊपर है. हम बात कर रहे हैं मोहम्मद खालिद और तापस चक्रवर्ती की. मजहब भले ही अलग हैं, लेकिन दिल एक है.

देखें पूरी खबर

दोस्ती सारे रिश्तों से ऊपर
इन दोनों की दोस्ती की कहानी 1995 से शुरू होती है. जब हजारीबाग में लावारिस लाश का अंतिम संस्कार करने का बीड़ा मोहब्बत खालिद ने उठाया और उनका साथ दिया तापस चक्रवर्ती ने. तब से दोनों की दोस्ती सारे रिश्तों से ऊपर हो गया.


परवान चढ़ा दोस्ती
तापस चक्रवर्ती कहते हैं कि हम लोगों की दोस्ती की वजह कोई तीसरा है. वह तीसरा है लावारिस लाश. हमने बीड़ा उठाया कि किसी को भी लावारिस घोषित नहीं होने देंगे. उसका अंतिम संस्कार दोनों मिलकर करेंगे. इसी सोच ने हमारी दोस्ती को परवान चढ़ाया. लावारिस लाश के बाद दोनों ने मिलकर रोटी बैंक बनाया. अब दोनों मिलकर शहर के कोने-कोने से रोटी जमा करते हैं और गरीबों को खिलाते हैं.

इनकी दोस्ती की अलग पहचान

तापस चक्रवर्ती रिटायर्ड प्रोफेसर हैं और मोहम्मद खालिद लैब टेक्नीशियन. किसी जमाने में मोहम्मद खालिद तापस चक्रवर्ती के छात्र हुआ करते थे. उस वक्त दोनों के बीच गुरु और छात्र का संबंध था. लेकिन समय बितता गया और समय के उस दौर में दोनों जब मिले तो कारण बना लावारिस लाश. इसी के कारण इनकी दोस्ती पूरे झारखंड में अलग पहचान बनाई है.

ये भी पढ़ें- फ्रेंडशिप डे पर राजधानी में दिखा युवाओं का उत्साह, गिफ्ट और चॉकलेट देकर एक-दूसरे को दी बधाई

दोनों ने मिलकर 'रोटी बैंक' बनाया

लावारिस लाश के बाद दोनों ने मिलकर 'रोटी बैंक' बनाया. अब दोनों मिलकर शहर के कोने-कोने से रोटी दान में जमा करते हैं और गरीबों को रोटी खिलाते हैं. हजारीबाग के कोने-कोने में जाकर वह सड़क के किनारे वैसे लोग जो मानसिक रूप से परेशान हैं, या फिर अस्पताल में इलाज करा रहे हैं और उनके परिजन नहीं हैं, उन्हें रोटी खिलाने का काम करते हैं.

दोस्ती का कोई मजहब नहीं

दोस्ती का कोई मजहब नहीं. क्योंकि दोस्ती खुद में ही इबादत है. कुछ ऐसा ही जज्बा है तापस और खालिद की यारी में. जिनके लिए ईद, होली समान हैं. हम यह कह सकते हैं कि ये हमारे सभ्य समाज के लिए बेहद खास संदेश है.

हजारीबाग: जिले में एक दोस्ती जो एक बेहतरीन मिसाल है. जिसका कनेक्शन जुड़ा है लावारिस लाश और रोटी की वजह से. इनकी दोस्ती धर्म और जात रक्त संबंध से भी ऊपर है. हम बात कर रहे हैं मोहम्मद खालिद और तापस चक्रवर्ती की. मजहब भले ही अलग हैं, लेकिन दिल एक है.

देखें पूरी खबर

दोस्ती सारे रिश्तों से ऊपर
इन दोनों की दोस्ती की कहानी 1995 से शुरू होती है. जब हजारीबाग में लावारिस लाश का अंतिम संस्कार करने का बीड़ा मोहब्बत खालिद ने उठाया और उनका साथ दिया तापस चक्रवर्ती ने. तब से दोनों की दोस्ती सारे रिश्तों से ऊपर हो गया.


परवान चढ़ा दोस्ती
तापस चक्रवर्ती कहते हैं कि हम लोगों की दोस्ती की वजह कोई तीसरा है. वह तीसरा है लावारिस लाश. हमने बीड़ा उठाया कि किसी को भी लावारिस घोषित नहीं होने देंगे. उसका अंतिम संस्कार दोनों मिलकर करेंगे. इसी सोच ने हमारी दोस्ती को परवान चढ़ाया. लावारिस लाश के बाद दोनों ने मिलकर रोटी बैंक बनाया. अब दोनों मिलकर शहर के कोने-कोने से रोटी जमा करते हैं और गरीबों को खिलाते हैं.

इनकी दोस्ती की अलग पहचान

तापस चक्रवर्ती रिटायर्ड प्रोफेसर हैं और मोहम्मद खालिद लैब टेक्नीशियन. किसी जमाने में मोहम्मद खालिद तापस चक्रवर्ती के छात्र हुआ करते थे. उस वक्त दोनों के बीच गुरु और छात्र का संबंध था. लेकिन समय बितता गया और समय के उस दौर में दोनों जब मिले तो कारण बना लावारिस लाश. इसी के कारण इनकी दोस्ती पूरे झारखंड में अलग पहचान बनाई है.

ये भी पढ़ें- फ्रेंडशिप डे पर राजधानी में दिखा युवाओं का उत्साह, गिफ्ट और चॉकलेट देकर एक-दूसरे को दी बधाई

दोनों ने मिलकर 'रोटी बैंक' बनाया

लावारिस लाश के बाद दोनों ने मिलकर 'रोटी बैंक' बनाया. अब दोनों मिलकर शहर के कोने-कोने से रोटी दान में जमा करते हैं और गरीबों को रोटी खिलाते हैं. हजारीबाग के कोने-कोने में जाकर वह सड़क के किनारे वैसे लोग जो मानसिक रूप से परेशान हैं, या फिर अस्पताल में इलाज करा रहे हैं और उनके परिजन नहीं हैं, उन्हें रोटी खिलाने का काम करते हैं.

दोस्ती का कोई मजहब नहीं

दोस्ती का कोई मजहब नहीं. क्योंकि दोस्ती खुद में ही इबादत है. कुछ ऐसा ही जज्बा है तापस और खालिद की यारी में. जिनके लिए ईद, होली समान हैं. हम यह कह सकते हैं कि ये हमारे सभ्य समाज के लिए बेहद खास संदेश है.

Intro:दोस्ती का नाम जिंदगी जिंदगी का नाम दोस्ती ।इस फिल्मी गीत में दोस्ती की सबसे अच्छी परिभाषा छुपी है ।सचमुच अच्छा दोस्त हमारे जिंदगी की तरह होता है। जिसके बिना जिंदगी बेमानी लगती है ।मनुष्य जन्म लेने के बाद मां, पिता, भाई ,बहन, पत्नी भाभी, चाची, मामा, मामी, बेटी समेत कई रक्त संबंधों से जुड़ा होता है। पर मित्रता मतलब दोस्ती इन सबसे इतर और रक्त संबंध से भी परे रूहानी रिश्ता का नाम है। हजारीबाग में ही एक ऐसी दोस्ती पूरे सूबे समेत देश के लिए मिसाल है। जिसके पीछे का कारण "लावारिस लाश "है। आज आपको हम दो ऐसे दोस्तों की कहानी बताने जा रहे हैं जिसके बारे में सुनकर आप भी हैरान हो जाएंगे की दोस्ती का कारण क्या लावारिस लाश और रोटी हो सकती है।

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट..।।


Body:हजारीबाग में दो ऐसे इंसान की दोस्ती मिसाल है ।जो धर्म और जात रक्त संबंध से भी ऊपर है। हम बात कर रहे हैं मोहम्मद खालिद और तापस चक्रवर्ती की। दोनों का मजहब अलग है लेकिन दिल एक।

इन दोनों की दोस्ती की कहानी 1995 से शुरू होती है। जब हजारीबाग में लावारिस लाश का अंतिम संस्कार करने का बीड़ा मोहब्बत खालिद ने उठाया और उनका साथ दिया तापस चक्रवर्ती ने ।तब से दोनों की दोस्ती सारे संबंध से ऊपर उठ गया। जब मोहम्मद खालिद के घर दर्द होता है तो उस दर्द की पीड़ा तापस चक्रवर्ती के घर में सुनने को मिलती है, जब तक तापस चक्रवर्ती के घर में खुशी होती है तो मिठाईयां मोहम्मद खालिद के घर में बढ़ती है। यह दोस्ती की वह मिसाल है ।

इस पर तापस चक्रवर्ती भी कहते हैं कि हम लोगों के बीच दोस्ती का जड़ तीसरे व्यक्ति के जरिए बना है। वह तीसरा व्यक्ति है लावारिस लाश। हम दोनों ने बीड़ा उठाया कि किसी भी व्यक्ति को लावारिस घोषित नहीं होने देंगे और उसका अंतिम संस्कार दोनों मिल कर करेंगे । इसी काम ने आज हम लोगों की दोस्ती को परवान दिया है।

तापस चक्रवर्ती रिटायर्ड प्रोफेसर है और मोहम्मद खालिद लैब टेक्नीशियन। किसी जमाने में मोहम्मद खालिद तापस चक्रवर्ती के छात्र हुआ करते थे। उस वक्त दोनों के बीच गुरु और छात्र का संबंध था। लेकिन समय बिता गया और समय के उस दौर में दोनों जब यह जगह मिले तो कारण बना लावारिस लाश। इसी के कारण आज ही दोस्ती पूरे झारखंड में अलग पहचान बनाई है।

लावारिस लाश के बाद दोनों ने मिलकर रोटी बैंक बनाया। अब दोनों मिलकर शहर के कोने-कोने से रोटी दान में जमा करते हैं और गरीबों को रोटी खिलाते हैं। हजारीबाग के कोने कोने में जाकर वह सड़क के किनारे वैसे लोग जो मानसिक रूप से परेशान हैं या फिर अस्पताल में इलाज करा रहे हैं और उनके परिजन नहीं है उन्हें रोटी खिलाने का काम करते हैं ।उनका कहना है कि यह रोटी खिलाकर वह समाज सेवा नहीं कर रहे हैं बल्कि अपने मन की शांति के लिए ऐसा काम कर रहे हैं। उनका यह भी कहना है कि समाज सेवा यह शब्द उनके शब्दकोश में नहीं है ।हर एक इंसान को अपना काम दिल से करना चाहिए चाहे वह किसी भी तरह का काम क्यों ना हो।

दूसरी ओर तापस चक्रवर्ती और मोहम्मद खालिद दोनों अलग-अलग धर्म से भी आते हैं। ऐसे में मोहम्मद खालिद का कहना है कि हम दोनों के संबंध में धर्म कभी बीच में नहीं आया। ईद हम लोग एक साथ मनाते हैं तो होली हम तापस चक्रवर्ती के घर में जाकर मनाते हैं। दोनों का काम करने का उद्देश्य यह है कि समाज के लिए कुछ करें और जब इस दुनिया से रुखसत हो तो लोग हमें अलग नजर से याद करें।


byte..... मोहम्मद खालिद
byte.... तपस चक्रवर्ती


Conclusion:निसंदेह कहा जा सकता है तापस और खालिद दो अलग नाम नहीं बल्कि एक पहचान है दोस्ती के लिए। ऐसे दोस्त के जज्बे और हौसले को हम भी सलाम करते हैं । उनकी दोस्ती से सबक लेने की कोशिश भी करते हैं जहां आज मनुष्य स्वार्थ की जीवन में जी रहा है। वही फ्रेंडशिप डे के दिन यह दोस्त समाज को पैगाम दे रहे हैं।

गौरव प्रकाश ईटीवी भारत हजारीबाग
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.