हजारीबागः किसान अपने खेतों को मां का दर्जा देते हैं, जो उसका लालन-पालन करती हैं. हर किसान अपने खून-पसीने से खेत को सींचता है, तब जाकर उसमें फसल लहलहाती है. हजारीबाग का लुपुंग कृषि प्रधान गांव है. यहां के बच्चे भले ही दूर देश जाकर नौकरी कर रहे हैं, आखिर वो अपनी मिट्टी की ओर ही खींचे चले आ रहे हैं.
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हजारीबाग के लुपुंग जैसे कृषि प्रधान गांव की मिट्टी में पले-बढ़े नरेश मेहता के पुत्र धीरज कुमार. पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर धीरज आज अपने खेतों उतरकर बड़े उत्साह के साथ खेती कर रहे हैं. इस काम में उन्हें मजा भी आ रहा है और बड़े मजे से वो पिता के साथ खेती कर रहे हैं. धीरज की मंशा है कि वो खेती करने की नई-नई तकनीक से यहां के किसानों को गुर सिखाएं और उन्हें लाभान्वित करें.
इस गांव के कुछ किसान ऐसे भी हैं जो अपने बच्चे को कड़ी मेहनत कर उच्च शिक्षा दिलाया और आज वह देश-विदेश में नाम कमा रहे हैं. लेकिन वो बच्चे भी अब खेत की ओर खींचे चले आ रहे हैं. धीरज कुमार अपने फ्री समय में खेती की जानकारी भी ले रहे हैं और खेती का तरीका भी सीख रहे हैं. साथ ही साथ यह कोशिश कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में टेक्नोलॉजी गांव में लाएं ताकि किसान और भी अधिक उन्नत हो पाए.
खेत के मेढ़ पर बैठा युवक कंप्यूटर में काम करता दिख रहा है. यह युवक मल्टीनेशनल कंपनी में लाखों रुपए का वेतन पाने वाला किसान का बेटा है. पिता ने कड़ी मेहनत की और अपने बेटे को उच्य शिक्षा प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय से पढ़ाई करवाया, पुत्र ने भी कड़ी मेहनत की और बड़ी कंपनी में काम भी मिला. आज अमेरिका सहित कई देशों से उसे नौकरी के लिए बुलावा आ चुका है. लॉकडाउन के कारण इन दिनों कंपनी ने वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दे रखी है.
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अपने काम के बीच में जब समय मिलता है तो उसे दुरुपयोग ना कर करते हुए खेतों में जाकर खेती सीखते हैं. उसका कहना है कि बचपन से लेकर अब तक मैं घर से बाहर ही रहा, पर पहली बार ऐसा समय मिला है कि मैं घर पर इतने लंबे समय से रह रहा हूं. मैं इस समय का सदुपयोग भी करना चाहता हूं, काम भी करता हूं और खेती भी सीखना चाहता हीं. खेती हमलोगों को विरासत मे मिली है. यह मेरी मिट्टी है और इसी मिट्टी के बदौलत मैं आज बड़े कंपनी में काम कर रहा हूं, इस कारण में इसे छोड़ नहीं सकता.
![software engineer Dheeraj Kumar learning agriculture in Hazaribag](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/jh-haz-01-farmer-son-pkg-7204102_02082021235154_0208f_1627928514_118.jpg)
उसकी तमन्ना है कि वह कृषि से जुड़े तकनीक की जानकारी जुटाकर गांव के किसानों को जानकारी दें, जिससे गांव के किसानों की पैदावार बढ़ सके. उनका कहना है कि खेती भी एक तरह का प्रोफेशन है और इसे अगर व्यापारिक दृष्टिकोण से किया जाए तो इसका लाभ भी मिलेगा. आज लोग अंतरिक्ष की यात्रा कर रहे हैं, पर हमारे किसान पारंपरिक ढंग से ही खेती कर रहे हैं, इससे उन्हें लाभ नहीं मिल पाता है. कभी मौसम की बेरुखी तो कभी बाजार का उतार-चढ़ाव, ऐसे में किसानों को चाहिए कि वह उच्च तकनीक का उपयोग खेती में करें तभी उनका जीवनस्तर ऊंचा हो पाएगा.
![software engineer Dheeraj Kumar learning agriculture in Hazaribag](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/jh-haz-01-farmer-son-pkg-7204102_02082021235154_0208f_1627928514_534.jpg)
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सॉफ्टवेयर इंजीनियर धीरज कुमार वर्तमान समय में धान रोपनी की जानकारी ले रहे हैं. कैसे खेत बनाया जाता है, मेढ़ तैयार किया जाता है, बिहन बोने का तरीका क्या है. धीरज बताते हैं कि खेती करने में बड़ा ही मजा आता है. माता-पिता, भाई और गांव की महिलाएं मुझे खेती के बारे में बहुत कुछ बताती भी हैं. ऐसे में अच्छा भी लगता है कि अभी-भी गांव में रिश्ता जीवित है. धीरज की शादी नहीं हुई है. लेकिन जब धीरज से पूछा गया कि इंजीनियर अगर खेती करेगा तो शादी कैसे होगी. ऐसे में उन्होंने मुस्कुराहट के साथ जवाब दिया कि किसान का बेटा खेती के बारे में नहीं जानेगा तो कौन जानेगा, यह मेरी पहचान है.
![software engineer Dheeraj Kumar learning agriculture in Hazaribag](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/jh-haz-01-farmer-son-pkg-7204102_02082021235154_0208f_1627928514_892.jpg)
धीरज के पिता नरेश भी कहते हैं कि भले ही धीरज इन दिनों देश-विदेश में जाकर काम कर रहा है. लेकिन एक दिन उसे इसी गांव में आना है. पंछी कितना भी ऊपर क्यों ने उड़े उसे घोसला में ही लौटना होता है. ऐसे में एक समय ऐसा आएगा वह इसी खेत में खेती करते हम सबको दिखेगा. यही कारण है कि हम लोगों से खेती के बारे में जानकारी दे रहे हैं. पिता कहते है हमारे लिए यह बहुत गर्व की बात है कि किसान का बेटा आज अपना परचम देश-विदेश में लहरा रहा है. यह सिर्फ और सिर्फ उसकी मेहनत का ही नतीजा है.