हजारीबाग: झारखंड का शहर हजारीबाग सिर्फ अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए ही नहीं बल्कि साहित्यिक दृष्टिकोण से भी उर्वरा है. जिसकी ताजा मिसाल 22 साल की बेटी शिवांजलि है. उनकी 19 कविताओं का संग्रह 'ब्लेजिंग सोल' आज देश विदेश में धूम मचा रहा है. शिवांजलि ने इस कविता संग्रह की रचना लॉकडाउन के दौरान खाली समय में की थी.
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'ब्लेजिंग सोल' में मानवीय भावनाओं का प्रदर्शन
19 कविताओं के संग्रह 'ब्लेजिंग सोल' में वर्तमान समय में मानवीय भावनाओं का वर्णन किया गया है. शिवांजलि बताती हैं कि उनकी कविताओं में समाज की कई घटनाओं का जिक्र है. जैसे कोई व्यक्ति जवान से बूढ़ा होता है तो तब उसकी भावनाओं और चिंताओं को वर्तमान समय की वास्तिवकताओं के साथ प्रदर्शित करते हुए कविता लिखी गई है. इसके साथ ही भागमभाग की जिंदगी में रिश्तों के छूट जाने का जो दर्द लोगों को सताता है उसके बारे में बताया गया है. युवा मन के दर्द से लेकर पति-पत्नी के रिश्ते और उतार चढ़ाव वाली भावनाओं के चिंतन के बारे में भी बखूबी चित्रण किया गया है. शिवांजलि कहती हैं कि 19 कविता लिखने में उसे लगभग डेढ़ वर्षो का समय लगा. आज पुस्तक ऑनलाइन अमेजॉन पर उपलब्ध है जो देश विदेश में धूम मचा रहा है.
साहित्य से है लगाव
वर्तमान समय में जब युवा पीढ़ी साहित्य से दूर होती जा रही है और इंटरनेट और सोशल मीडिया उनकी पहली पसंद बनी हुई है. ऐसे समय में शिवांजलि अपना मन इन सबसे हटकर साहित्य में लगाती हैं. उन्हें 'ब्लेजिंग सोल' काव्य संग्रह लिखकर लोगों को ये संदेश दिया है कि रचनात्मक कार्यों में समय लगाकर काफी कुछ हासिल किया जा सकता है. उनके इसी सोच का परिणाम है कि आज उस पर न केवल उसके माता-पिता गर्व कर रहे हैं बल्कि पूरी दुनिया में उनका नाम रोशन हो रहा है.
शिवांजलि का युवाओं को संदेश
शिवांजली कहती हैं कि उनकी हॉबी यात्रा करना ,दोस्त बनाना, बातें करना और नृत्य में है. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया में भी कई दोस्त बनाए हैं. सोशल मीडिया पर उनका कहना है कि यह हर एक व्यक्ति पर निर्भर करता है कि वह उसका सकारात्मक या नकारात्मक पहलू को अपनाएं. आज के युवा अधिकतर सोशल मीडिया के नकारात्मक बातों पर केंद्रित हो गए हैं. इस कारण सोशल मीडिया पर भी सवाल उठाया जा रहा है. शिवांजलि भविष्य में प्रोफ़ेसर बनकर युवा पीढ़ी को पढ़ाना चाहती हैं. ताकि राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दिया जा सके.
पढ़ा लिखा है पूरा परिवार
शिवांजली के पिता उदय शंकर पासवान हजारीबाग रजिस्ट्री ऑफिस में बड़ा बाबू हैं और मां सीमा देवी हाउसवाइफ हैं. उनकी दो बहन और एक भाई है. छोटी बहन कुमारी दीपांजलि दिल्ली यूनिवर्सिटी से बिजनेस इन इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन कर रही हैं. वहीं बड़े भाई शिवासिस शंकर यूनिवर्सिटी ऑफ हैदराबाद से एमफिल की पढ़ाई कर रहे हैं. शिवांजलि भी 2014 में हजारीबाग में मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए दिल्ली चली गई थी. वर्तमान में वे केरल के सेंटर फॉर डेवलपमेंट स्टडीज से अर्थशास्त्र में स्नातकोत्तर की पढ़ाई कर रही हैं. कोरोना काल के दौरान वे अपने घर में थी इसी दौरान उन्होंने अपने काव्य संग्रह की रचना की.