हजारीबाग: दीपावली के अवसर पर धन की देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा जहां लोग बड़े धूमधाम से करते हैं वहीं इसी दिन सिद्धि देने वाली श्मशान की देवी मां श्मशान काली की पूजा भी की जाती है. जिले के भूमिगत मंदिर में प्रत्येक साल दीपावली के दिन श्मशान काली की पूजा काफी श्रद्धा और उत्साह के साथ किया जाता है.
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सिद्धि देने वाली है श्मशान काली
मान्यताओं के मुताबिक कार्तिक आमावस्या कि रात सिद्धि की रात होती है. इस दिन श्मशानों में हजारों लोग सिद्धी प्राप्त करने के लिए श्मशान काली की पूजा करते हैं. पूजा का विशेष इंतजाम भूतनाथ मंडली के द्वारा किया जाता है. पूरे मंदिर परिसर को दूधिया रौशनी से नहा दिया जाता है. भूतनाथ मंडली के अध्यक्ष के मुताबिक श्मशान काली की पूजा से लोगों की मुराद पूरी होती है. यहां कई जिलों के लोग पहुंचकर मां से मन्नत मांगते हैं.
मंदिर का पिछला हिस्सा श्मशान
भूमिगत मंदिर का पिछला हिस्सा श्मशान है जहां दूरदराज से भी तांत्रिक सिद्धि करने के लिए पहुंचते हैं. ऐसे में आम लोग श्मशान की ओर रुख भी नहीं करते हैं. भूतनाथ मंडली के सदस्य बताते हैं कि अगर कोई साधक पहुंचता है तो हम लोग उसे परेशान भी नहीं करते हैं. वे चुपचाप आते हैं साधना करते हैं और फिर मंदिर से निकल जाते हैं. क्योंकि यह मंदिर सिद्ध स्थल भी है इसलिए काफी खास है.
श्मशान काली को जानिए
- भयानक अंधकार और श्मशान की देवी को श्मशान काली कहा जाता है.
- श्मशान में ही इनका मंदिर होता है और वहीं इनकी पूजा होती है.
- श्मशान काली की साधना तांत्रिक और अघोर पंथ के लोग ही करते हैं.
महिलाओं का प्रवेश वर्जित
इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह तंत्र पीठ है जहां पंच मुंडी आसन गर्भ गृह के अंदर है. मंदिर की खास बात यह है कि श्मशान परिसर के अंदर भी एक भूमिगत मंदिर है जहां विशेष पूजा की जाती है. इस भूमिगत मंदिर के अंदर सामान्य लोगों को जाना वर्जित है. मंदिर के पुजारी और तंत्र सिद्धि करने वाले व्यक्ति ही यहां सिद्धि करने के लिए प्रवेश करते हैं. साथ ही पुजारी उन भक्तों को भूमिगत मंदिर में ले जाते हैं जो नियम का पालन करते हैं. जबकि महिलाओं का मंदिर में प्रवेश पूर्ण रूप से वर्जित है.अमावस्या की रात इस मंदिर का पट खोला जाता है और इस दिन तंत्र मंत्र के साधक यहां पूजा करते हैं. इस भूमिगत मंदिर के अंदर मूर्ति पूजा नहीं होती है.