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महात्मा गांधी का झारखंड से था विशेष लगाव, 1925 में आए थे हजारीबाग - relation of mahatma gandhi with hazaribag

आजादी के आंदोलन के दौरान गांधीजी ने देश के अलग-अलग हिस्सों का दौरा किया था. जहां-जहां भी बापू जाते थे, वे वहां के लोगों पर अमिट छाप छोड़ जाते थे. वहां के लोगों में राष्ट्रीयता की भावना घर कर जाती थी. ईटीवी भारत ऐसे ही जगहों से गांधी से जुड़ी कई यादें आपको प्रस्तुत कर रहा है. पेश है आज 34वीं कड़ी.

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Published : Sep 19, 2019, 1:26 PM IST

हजारीबाग: हजार बागों के शहर हजारीबाग को प्रकृति ने बेशुमार तोहफा दिया है. इसकी खूबसूरती ने अंग्रेजों को भी आकर्षित किया है. जिस तरह से इसकी खूबसूरती अनमोल है तो दूसरी ओर हजारीबाग का ऐतिहासिक महत्व भी है.

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर खास पेशकश

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भी हजारीबाग ने अपनी ओर आकर्षित किया था. इसके कारण ही उन्होंने हजारीबाग आकर इस शहर को इतिहास के पन्नों में अमर कर दिया है. महात्मा गांधी से जुड़ी आज आपको ईटीवी भारत उन पन्नों से रूबरू कराएगा जिसे देखकर आप भी मान जाएंगे कि हजारीबाग वाकई बेहद खास शहर है.

वर्ष 2019 बेहद खास है. इस वर्ष महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती है. ऐसे में महात्मा गांधी से जुड़ी कई रोचक बातें ईटीवी भारत आप लोगों को बता रहा है. झारखंड के हजारीबाग शहर से महात्मा गांधी का विशेष लगाव रहा है .

हजारीबाग से महात्मा गांधी का जुड़ाव रहा है. महात्मा गांधी 18 सितंबर 1925 में यहां आए थे. इस दौरान संत कोलंबस कॉलेज के व्लिटले हॉल में उन्होंने भाषण दिया था.

इस हॉल में उन्होंने अशिक्षा, छुआछूत, पर्दा प्रथा, विधवा विवाह, हरिजन जैसे महत्वपूर्ण बातों पर आवाज बुलंद की थी. महात्मा गांधी मांडू होते हुए हजारीबाग पहुंचे थे. गांधी की अगुवाई करने में कई स्वतंत्र सेनानियों ने अपनी अहम भूमिका निभाई थी. जिसमें सरस्वती देवी, त्रिवेणी प्रसाद और बाबू राम नारायण सिंह प्रमुख थे. आजादी की लड़ाई के समय राष्ट्रीय आंदोलन का हजारीबाग महत्वपूर्ण केंद्र हुआ करता था.

घने जंगलों से आच्छादित और कुदरती सौंदर्य से धनी इस शहर पर शुरू से ही अंग्रेजों की नजर रही थी. जिसका परिणाम हजारीबाग का केंद्रीय कारा भी रहा है. इसी शहर की सरजमी पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 18 सितंबर 1925 को मटवारी मैदान में स्वतंत्रता सेनानियों को संबोधित भी किया था. जो आज गांधी मैदान के रूप में पूरे देश में जाना जाता है. उस वक्त अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ उन्होंने आवाज तो बुलंद की ही थी साथ ही साथ समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ लोगों को जागरूक किया था. बापू का पहला भाषण संत कोलंबस कॉलेज के व्हिटले हॉल में हुआ था.

इसके पश्चात उन्होंने कर्जन मैदान में आम सभा को संबोधित किया था. बापू ने रात्रि विश्राम शहर के प्रतिष्ठित सूरत बाबू के निवास किया था. हजारीबाग के प्रसिद्ध इतिहासकार डॉक्टर विकास कुमार भी कहते हैं कि महात्मा गांधी ने हजारीबाग में आकर लोगों को संबोधित किया था और कई बिंदुओं पर चर्चा की थी. जिनका आज इतिहास के पन्नों में जिक्र है. दूसरी ओर हजारीबाग के विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर रमेश शरण का मानना है कि गांधी कोई व्यक्ति विशेष नहीं बल्कि एक विचारधारा हैं.

आज हमारा देश गांधी जी की 150वीं जयंती मना रहा है. इसी के अवसर पर विनोबा भावे विश्वविद्यालय में चिंतन शिविर बनाया गया है. जिसमें महात्मा गांधी और कई स्वतंत्रता सेनानियों के अनुयायी पहुंचकर उनके आदर्श पर चर्चा करते हैं और उन पर अमल करने की बात करते हैं.

उनका मानना है कि हजारीबाग इसलिए भी बेहद खास है क्योंकि महात्मा गांधी ने यहां के लोगों को अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जगाया था. दूसरी ओर समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने की वकालत की थी.

देश के जाने-माने स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय रामनारायण सिंह से महात्मा गांधी का विशेष लगाव था. आज उनके पोते प्रोफेसर प्रमोद सिंह के पास महात्मा गांधी से जुड़ी ऐसी यादें हैं जो हजारीबाग के प्रति उनके लगाव को जाहिर करता है.

महात्मा गांधी ने राम नारायण सिंह को कई बार खत भी लिखा था. उस खत में आजादी और समाज की कुरीतियों के बारे में जिक्र था. इतना ही नहीं जब राम नारायण सिंह की पत्नी का देहांत हुआ तो उस दुख के समय में भी महात्मा गांधी ने अपनी संवेदना, पत्र के जरिए भेजा था.

आज ईटीवी भारत भी उस पत्र को आपके सामने रख रहा है. जो इस बात को पुष्ट करता है कि हजारीबाग के राम नारायण सिंह से उनका घनिष्ठ संबंध था. उनके पोते भी कहते हैं कि अब यादें पन्नों में दफन में हैं और वह पन्ने हजारीबाग से महात्मा गांधी के संबंध को बयां करते हैं.

यही नहीं हजारीबाग में महात्मा गांधी की अस्थियां भी लाई गई थी. उनकी अस्थि हजारीबाग के कुमार टोली में रखी गयी थी. जहां गांधी के अनुयायियों ने आकर श्रद्धा सुमन अर्पित किया था. आज उस जगह पर गांधी स्मारक बना है.

हजारीबाग: हजार बागों के शहर हजारीबाग को प्रकृति ने बेशुमार तोहफा दिया है. इसकी खूबसूरती ने अंग्रेजों को भी आकर्षित किया है. जिस तरह से इसकी खूबसूरती अनमोल है तो दूसरी ओर हजारीबाग का ऐतिहासिक महत्व भी है.

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर खास पेशकश

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भी हजारीबाग ने अपनी ओर आकर्षित किया था. इसके कारण ही उन्होंने हजारीबाग आकर इस शहर को इतिहास के पन्नों में अमर कर दिया है. महात्मा गांधी से जुड़ी आज आपको ईटीवी भारत उन पन्नों से रूबरू कराएगा जिसे देखकर आप भी मान जाएंगे कि हजारीबाग वाकई बेहद खास शहर है.

वर्ष 2019 बेहद खास है. इस वर्ष महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती है. ऐसे में महात्मा गांधी से जुड़ी कई रोचक बातें ईटीवी भारत आप लोगों को बता रहा है. झारखंड के हजारीबाग शहर से महात्मा गांधी का विशेष लगाव रहा है .

हजारीबाग से महात्मा गांधी का जुड़ाव रहा है. महात्मा गांधी 18 सितंबर 1925 में यहां आए थे. इस दौरान संत कोलंबस कॉलेज के व्लिटले हॉल में उन्होंने भाषण दिया था.

इस हॉल में उन्होंने अशिक्षा, छुआछूत, पर्दा प्रथा, विधवा विवाह, हरिजन जैसे महत्वपूर्ण बातों पर आवाज बुलंद की थी. महात्मा गांधी मांडू होते हुए हजारीबाग पहुंचे थे. गांधी की अगुवाई करने में कई स्वतंत्र सेनानियों ने अपनी अहम भूमिका निभाई थी. जिसमें सरस्वती देवी, त्रिवेणी प्रसाद और बाबू राम नारायण सिंह प्रमुख थे. आजादी की लड़ाई के समय राष्ट्रीय आंदोलन का हजारीबाग महत्वपूर्ण केंद्र हुआ करता था.

घने जंगलों से आच्छादित और कुदरती सौंदर्य से धनी इस शहर पर शुरू से ही अंग्रेजों की नजर रही थी. जिसका परिणाम हजारीबाग का केंद्रीय कारा भी रहा है. इसी शहर की सरजमी पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने 18 सितंबर 1925 को मटवारी मैदान में स्वतंत्रता सेनानियों को संबोधित भी किया था. जो आज गांधी मैदान के रूप में पूरे देश में जाना जाता है. उस वक्त अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ उन्होंने आवाज तो बुलंद की ही थी साथ ही साथ समाज में व्याप्त कुरीतियों के खिलाफ लोगों को जागरूक किया था. बापू का पहला भाषण संत कोलंबस कॉलेज के व्हिटले हॉल में हुआ था.

इसके पश्चात उन्होंने कर्जन मैदान में आम सभा को संबोधित किया था. बापू ने रात्रि विश्राम शहर के प्रतिष्ठित सूरत बाबू के निवास किया था. हजारीबाग के प्रसिद्ध इतिहासकार डॉक्टर विकास कुमार भी कहते हैं कि महात्मा गांधी ने हजारीबाग में आकर लोगों को संबोधित किया था और कई बिंदुओं पर चर्चा की थी. जिनका आज इतिहास के पन्नों में जिक्र है. दूसरी ओर हजारीबाग के विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर रमेश शरण का मानना है कि गांधी कोई व्यक्ति विशेष नहीं बल्कि एक विचारधारा हैं.

आज हमारा देश गांधी जी की 150वीं जयंती मना रहा है. इसी के अवसर पर विनोबा भावे विश्वविद्यालय में चिंतन शिविर बनाया गया है. जिसमें महात्मा गांधी और कई स्वतंत्रता सेनानियों के अनुयायी पहुंचकर उनके आदर्श पर चर्चा करते हैं और उन पर अमल करने की बात करते हैं.

उनका मानना है कि हजारीबाग इसलिए भी बेहद खास है क्योंकि महात्मा गांधी ने यहां के लोगों को अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जगाया था. दूसरी ओर समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने की वकालत की थी.

देश के जाने-माने स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय रामनारायण सिंह से महात्मा गांधी का विशेष लगाव था. आज उनके पोते प्रोफेसर प्रमोद सिंह के पास महात्मा गांधी से जुड़ी ऐसी यादें हैं जो हजारीबाग के प्रति उनके लगाव को जाहिर करता है.

महात्मा गांधी ने राम नारायण सिंह को कई बार खत भी लिखा था. उस खत में आजादी और समाज की कुरीतियों के बारे में जिक्र था. इतना ही नहीं जब राम नारायण सिंह की पत्नी का देहांत हुआ तो उस दुख के समय में भी महात्मा गांधी ने अपनी संवेदना, पत्र के जरिए भेजा था.

आज ईटीवी भारत भी उस पत्र को आपके सामने रख रहा है. जो इस बात को पुष्ट करता है कि हजारीबाग के राम नारायण सिंह से उनका घनिष्ठ संबंध था. उनके पोते भी कहते हैं कि अब यादें पन्नों में दफन में हैं और वह पन्ने हजारीबाग से महात्मा गांधी के संबंध को बयां करते हैं.

यही नहीं हजारीबाग में महात्मा गांधी की अस्थियां भी लाई गई थी. उनकी अस्थि हजारीबाग के कुमार टोली में रखी गयी थी. जहां गांधी के अनुयायियों ने आकर श्रद्धा सुमन अर्पित किया था. आज उस जगह पर गांधी स्मारक बना है.

Intro:हजार बागों का शहर हजारीबाग को प्रकृति में बेशुमार तोहफा दिया है। इसकी खूबसूरती अंग्रेजों को भी आकर्षित किया है। जिस तरह से इसकी खूबसूरती अनमोल है तो दूसरी ओर हजारीबाग का ऐतिहासिक महत्व भी है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को भी हजारीबाग अपनी ओर आकर्षित किया है। इसके कारण ही उन्होंने हजारीबाग आकर इस शहर को इतिहास के पन्नों में अमर कर दिया है। महात्मा गांधी से जुड़ी आज आपको ईटीवी भारत उन पन्नों से रूबरू कराएगा जिसे देखकर आप भी सोचने को विवश हो जाएंगे कि हजारीबाग बेहद खास शहर है।


Body:वर्ष 2019 बेहद खास है ।इस वर्ष महात्मा गांधी का 150 वां जयंती मनाने जा रहा है। ऐसे में महात्मा गांधी से जुड़ी कई रोचक बातें ईटीवी भारत आप लोगों को बता रहा है ।ऐसे में हजारीबाग शहर से महात्मा गांधी का विशेष लगाव रहा है ।

हजारीबाग से महात्मा गांधी का जुड़ाव रहा था। महात्मा गांधी 18 सितंबर 1925 में यहां आए थे ।इस दौरान संत कोलंबस कॉलेज के व्लिटले हॉल में उन्होंने भाषण दिया था ।इस हॉल मे उन्होंने अशिक्षा, छुआछूत ,पर्दा प्रथा, विधवा विवाह, हरिजन जैसे महत्वपूर्ण बातों पर आवाज बुलंद की थी। महात्मा गांधी मांडू होते हुए हजारीबाग पहुंचे थे। गांधी की अगुवाई करने में कई स्वतंत्र सेनानी ने अपनी अहम भूमिका निभाई थी। जिसमें सरस्वती देवी, त्रिवेणी प्रसाद और बाबू राम नारायण सिंह प्रमुख थे।आजादी की लड़ाई के समय राष्ट्रीय आंदोलन का हजारीबाग महत्वपूर्ण केंद्र हुआ करता था। घने जंगलों से आच्छादित और कुदरती सौंदर्य ने अपनी धनी इस शहर पर शुरू से ही अंग्रेजों की नजर रही है थी। जिसका परिणाम हजारीबाग का केंद्रीय कारा भी रहा है। इसी शहर की सर जमी पर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 18 सितंबर 1925 को मटवारी मैदान में स्वतंत्रता सेनानियों को संबोधित भी किया था ।जो आज गांधी मैदान के रूप में पूरे देश में जाना जाता है। उस वक्त अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ उन्होंने आवाज तो बुलंद की ही थी साथ ही साथ समाज में व्याप्त कुर्तियों के खिलाफ लोगों को जागरूक किया था। बापू का पहला भाषण संत कोलंबस कॉलेज के व्हिटले हॉल में हुआ था। इसके पश्चात उन्होंने कर्जन मैदान में आम सभा को संबोधित किया था। बापू की रात्रि विश्राम शहर के प्रतिष्ठित सूरत बाबू के निवास पर हुआ था। हजारीबाग के प्रसिद्ध इतिहासकार डॉक्टर विकास कुमार भी कहते हैं कि महात्मा गांधी ने हजारीबाग में आकर लोगों को संबोधित किया था और कई बिंदुओं पर चर्चा की थी जिनका आज इतिहास के पन्नों में जिक्र है।

byte..... डॉक्टर विकास कुमार इतिहासकार

byte.... आरती गुप्ता स्वर्गीय सूरत बाबू की पुतहो

तो दूसरी ओर हजारीबाग के विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर रमेश सरण का मानना है कि गांधी कोई व्यक्ति विशेष नहीं बल्कि एक विचारधारा है। आज हमारा देश 150 वा जयंती मना रहा है। इसी के अवसर पर विनोबा भावे विश्वविद्यालय में चिंतन शिविर बनाया गया है। जिसमें महात्मा गांधी और कई स्वतंत्र सेनानियों के अनुयाई पहुंचकर उनके आदर्श पर चर्चा करते हैं और उन पर अमल करने की बात करते हैं। उनका मानना है कि हजारीबाग इसलिए भी बेहद खास है क्योंकि महात्मा गांधी ने यहां के लोगों को अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जगाया था। तो दूसरी ओर समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने की वकालत की थी।

byte..... डॉ रमेश शरण कुलपति विनोबा भावे विश्वविद्यालय


देश के जाने-माने स्वतंत्र सेनानी स्वर्गीय रामनारायण सिंह से महात्मा गांधी का विशेष लगाव था। आज उनके पोते प्रोफेसर प्रमोद सिंह के पास महात्मा गांधी से जुड़ी ऐसी यादें हैं जो हजारीबाग के प्रति उनके लगाव को जाहिर करता है। महात्मा गांधी ने स्वर्गीय राम नारायण सिंह को कई एक बार खत भी लिखा था। उस खत में आजादी और समाज की कुर्तियों के बारे में जिक्र थी। इतना ही नहीं जब राम नारायण सिंह की पत्नी का देहांत हुआ तो उस दुख के समय में भी महात्मा गांधी ने अपना संवेदना पत्र के जरिए भेजा था। आज ईटीवी भारत भी उस पत्र को आपके सामने रख रहा है। जो इस बात को पुष्ट करता है कि हजारीबाग के स्वर्गीय राम नारायण सिंह से उनका घनिष्ठ संबंध था। उनके पोते भी कहते हैं कि अब यादें पन्नों में दफन में है और वह पन्ने हजारीबाग से महात्मा गांधी के संबंध को बयां करता है।

byte.... प्रमोद सिंह स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय राम नारायण सिंह के पोते


यही नहीं हजारीबाग में महात्मा गांधी की अस्थियां भी यहा लाई गई थी।उनकी अस्थी हजारीबाग के कुमार टोली मे रखा गया था। जहां गांधी के अनुयायियों आकर अपना श्रद्धा सुमन अर्पित किया था। आज उस जगह पर गांधी स्मारक बना है। गांधी जयंती एवं पुण्यतिथि के अवसर पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। यही नहीं जब भी कोई आंदोलन शुरू होती है तो वहां पुष्पांजलि अर्पित कर हजारीबाग के लोग आंदोलन में उतरते हैं।




Conclusion:कहा जा सकता है कि महात्मा गांधी हजारीबाग से गहरा नाता रहा है। जब वह जीवित हैं तो उन्होंने यहा आकर हजारीबाग के लोगों को आजादी और समाज की कुरीतियों के खिलाफ जगाया था। तो मौत के बाद उनकी अस्थियां हजारीबाग में आकर कई संदेश दिया।

ऐसे में पूरा हजारीबाग महात्मा गांधी के 150 वा जयंती पर नमन करता है

गौरव प्रकाश ईटीवी भारत हजारीबाग




note..... डॉ रमेश शरण, चेंबर में कुर्सी पर बैठे हैं बिनोवा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति

byte.... प्रमोद सिंह स्टेप शर्ट पीछे में महात्मा गांधी की तस्वीर लगी हुई है

byte.... डॉक्टर विकास कुमार इतिहासकार बाइट देते हुए पीछे में अलमीरा है

byte.... आरती गुप्ता महिला
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