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मुख्यमंत्री रघुवर दास कोनार सिंचाई परियोजना का 28 अगस्त को करेंगे उद्घाटन, 42 साल बाद किसानों की पूरी हुई ख्वाहिश

सूबे के मुख्यमंत्री रघुवर दास 28 अगस्त को बिल्हनडी में कोनार सिंचाई परियोजना का उद्घाटन करेंगे. अंडरग्राउंड नहर की कुल लंबाई लगभग 6 किलोमीटर है, जबकि चौड़ाई साढ़े 6 मीटर और ऊंचाई भी साढ़े 6 मीटर है. 28 अगस्त हजारीबाग, बोकारो और गिरिडीह के 400 गांवों के किसानों के जीवन में हरित क्रांति लाएगी.

कोनार परियोजना का 28 अगस्त को होगा उद्घाटन
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Published : Aug 27, 2019, 6:32 PM IST

हजारीबाग: किसानों को स्वावलंबी बनाने की योजना जो 1978 से शुरू हुई आज 2019 में पूरी हो गई. किसानों के खेत में 28 अगस्त से सिंचाई का पानी पहुंचेगा. मुख्यमंत्री रघुवर दास कोनार सिंचाई परियोजना स्थल पर पहुंचकर इसकी विधिवत शुरुआत करेंगे. 28 अगस्त हजारीबाग बोकारो और गिरिडीह के 400 गांवों के किसानों के जीवन में हरित क्रांति लाएगी.

वीडियो में देखें ये स्पेशल स्टोरी

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने जिस योजना की आधारशिला 1976 में रखी थी, वो योजना 40 साल बाद झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में पूरी होने जा रही है. यह सिंचाई परियोजना दामोदर घाटी कॉरपोरेशन का ही अंग है. एकीकृत झारखंड बिहार की यह पहली बहुउद्देशीय परियोजना थी, लेकिन समय बितता चला गया और योजना धरातल पर नहीं उतरी. आखिरकार केंद्र और राज्य सरकार के प्रयास के बाद यह योजना धरातल पर उतर आई है.

ये भी पढ़ें- विधानसभा चुनाव 2019: JPCC के नए नेतृत्व से एकजुट होगी पार्टी! चुनाव में बेहतर परिणाम की जताई जा रही उम्मीदें

योजना के धरातल पर उतरने के बाद यहां के किसान काफी खुश हैं. उनका कहना है कि बचपन में उन्होंने इसकी आधारशिला देखी थी और अब बुढ़ापा आने को है योजना की शुरुआत हो रही है. उनका कहना है कि इस योजना के धरातल पर आने से खेती में गुणात्मक सुधार होगा.

यहां के स्थानीय पत्रकार बताते हैं कि इस योजना को धरातल उतारने के लिए काफी परिश्रम करना पड़ा. कई बार योजना शुरू हुई और बंद हुई. इस योजना के आने से किसानों को फायदा होगा, लेकिन सबसे अहम बात है कि स्थानीय किसान जिनकी जमीन के अंदर से यह टनल गुजरा है, वहां के किसानों को लाभ नहीं मिलेगा. क्योंकि वहां सिंचाई की व्यवस्था नहीं की गई है. अगर लिफ्ट इरिगेशन किया जाए तो स्थानीय किसानों को भी इसका फायदा मिलेगा.

इस बाबत हजारीबाग उपायुक्त भुवनेश प्रताप सिंह ने कहा कि यह सरकार और प्रशासन के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. प्रधानमंत्री ने जो सपना देखा था कि हर खेत हरा भरा हो, यह उसका अंग है. हजारीबाग बोकारो गिरिडीह के गांव को इसका फायदा मिलेगा.

ये भी पढ़ें- स्कूल प्रबंधन की लापरवाही, शौचालय के गड्ढे में गिरने से पहली क्लास के छात्र की मौत

क्या है कोनार सिंचाई योजना

झारखंड की महत्वाकांक्षी कोनार सिंचाई परियोजना दक्षिण दिशा से बहकर उत्तर की तरफ प्रवाहित होकर 3 जिले में 62,895 हेक्टेयर जमीन सिंचित करेगी. जिसमें खरीफ फसल 49 हजार 270 रवि फसल 13626 हेक्टेयर है. इसमें हजारीबाग के विष्णुगढ़ प्रखंड का 20 गांव, गिरिडीह जिले का प्रखंड डुमरी का 31 गांव, गिरिडीह जिला का ही बगोदर का 31 गांव शामिल हैं. वहीं, बोकारो का नावाडीह प्रखंड के 3 गांव इस परियोजना का लाभ उठा पाएंगे.

कोनार सिंचाई परियोजना का कार्य 1978 में प्रारंभ हुआ था. इस समय बिहार के तत्कालीन राज्यपाल जगन्नाथ कौशल ने आधारशिला रखी थी. कार्य पूरा करने के लिए 12 करोड़ रुपये की राशि तय की गई थी. जो आज बढ़कर 2,176 सौ करोड़ हो गई. 1978 से काम शुरू हुआ और 1989 तक चला. लंबे अंतराल के बाद 2003 में झारखंड में भाजपा की सरकार बनी, तो तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने बंद टनल का कार्य शुरू कराने की अनुमति दी. इसके बाद फिर उस दिन काम चला और काम बंद हो गया.

2012 में फिर से योजना को लेकर निविदा निकाली गई. मुंबई के बालीचा कंपनी को कार्य दिया गया. कंपनी ने काम 2018 के अक्टूबर में समाप्त किया. सूबे के मुख्यमंत्री रघुवर दास 28 अगस्त को बिल्हनडी में कोनार सिंचाई परियोजना का उद्घाटन करेंगे. अंडरग्राउंड नहर की कुल लंबाई लगभग 6 किलोमीटर है, जबकि चौड़ाई साढ़े 6 मीटर और ऊंचाई भी साढ़े 6 मीटर है. इसके बाद रखवा गांव के पास टनल ओपन होकर नहर बन जाता है. नहर की कुल लंबाई 404 किलोमीटर है, जो जगह-जगह पर पानी देगा. वर्तमान में कोनार टनल में पानी छोड़े जाने से कोनार सिंचाई परियोजना के अंतर्गत 26 गांव के 3401 हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी.

हजारीबाग: किसानों को स्वावलंबी बनाने की योजना जो 1978 से शुरू हुई आज 2019 में पूरी हो गई. किसानों के खेत में 28 अगस्त से सिंचाई का पानी पहुंचेगा. मुख्यमंत्री रघुवर दास कोनार सिंचाई परियोजना स्थल पर पहुंचकर इसकी विधिवत शुरुआत करेंगे. 28 अगस्त हजारीबाग बोकारो और गिरिडीह के 400 गांवों के किसानों के जीवन में हरित क्रांति लाएगी.

वीडियो में देखें ये स्पेशल स्टोरी

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने जिस योजना की आधारशिला 1976 में रखी थी, वो योजना 40 साल बाद झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में पूरी होने जा रही है. यह सिंचाई परियोजना दामोदर घाटी कॉरपोरेशन का ही अंग है. एकीकृत झारखंड बिहार की यह पहली बहुउद्देशीय परियोजना थी, लेकिन समय बितता चला गया और योजना धरातल पर नहीं उतरी. आखिरकार केंद्र और राज्य सरकार के प्रयास के बाद यह योजना धरातल पर उतर आई है.

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योजना के धरातल पर उतरने के बाद यहां के किसान काफी खुश हैं. उनका कहना है कि बचपन में उन्होंने इसकी आधारशिला देखी थी और अब बुढ़ापा आने को है योजना की शुरुआत हो रही है. उनका कहना है कि इस योजना के धरातल पर आने से खेती में गुणात्मक सुधार होगा.

यहां के स्थानीय पत्रकार बताते हैं कि इस योजना को धरातल उतारने के लिए काफी परिश्रम करना पड़ा. कई बार योजना शुरू हुई और बंद हुई. इस योजना के आने से किसानों को फायदा होगा, लेकिन सबसे अहम बात है कि स्थानीय किसान जिनकी जमीन के अंदर से यह टनल गुजरा है, वहां के किसानों को लाभ नहीं मिलेगा. क्योंकि वहां सिंचाई की व्यवस्था नहीं की गई है. अगर लिफ्ट इरिगेशन किया जाए तो स्थानीय किसानों को भी इसका फायदा मिलेगा.

इस बाबत हजारीबाग उपायुक्त भुवनेश प्रताप सिंह ने कहा कि यह सरकार और प्रशासन के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. प्रधानमंत्री ने जो सपना देखा था कि हर खेत हरा भरा हो, यह उसका अंग है. हजारीबाग बोकारो गिरिडीह के गांव को इसका फायदा मिलेगा.

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क्या है कोनार सिंचाई योजना

झारखंड की महत्वाकांक्षी कोनार सिंचाई परियोजना दक्षिण दिशा से बहकर उत्तर की तरफ प्रवाहित होकर 3 जिले में 62,895 हेक्टेयर जमीन सिंचित करेगी. जिसमें खरीफ फसल 49 हजार 270 रवि फसल 13626 हेक्टेयर है. इसमें हजारीबाग के विष्णुगढ़ प्रखंड का 20 गांव, गिरिडीह जिले का प्रखंड डुमरी का 31 गांव, गिरिडीह जिला का ही बगोदर का 31 गांव शामिल हैं. वहीं, बोकारो का नावाडीह प्रखंड के 3 गांव इस परियोजना का लाभ उठा पाएंगे.

कोनार सिंचाई परियोजना का कार्य 1978 में प्रारंभ हुआ था. इस समय बिहार के तत्कालीन राज्यपाल जगन्नाथ कौशल ने आधारशिला रखी थी. कार्य पूरा करने के लिए 12 करोड़ रुपये की राशि तय की गई थी. जो आज बढ़कर 2,176 सौ करोड़ हो गई. 1978 से काम शुरू हुआ और 1989 तक चला. लंबे अंतराल के बाद 2003 में झारखंड में भाजपा की सरकार बनी, तो तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने बंद टनल का कार्य शुरू कराने की अनुमति दी. इसके बाद फिर उस दिन काम चला और काम बंद हो गया.

2012 में फिर से योजना को लेकर निविदा निकाली गई. मुंबई के बालीचा कंपनी को कार्य दिया गया. कंपनी ने काम 2018 के अक्टूबर में समाप्त किया. सूबे के मुख्यमंत्री रघुवर दास 28 अगस्त को बिल्हनडी में कोनार सिंचाई परियोजना का उद्घाटन करेंगे. अंडरग्राउंड नहर की कुल लंबाई लगभग 6 किलोमीटर है, जबकि चौड़ाई साढ़े 6 मीटर और ऊंचाई भी साढ़े 6 मीटर है. इसके बाद रखवा गांव के पास टनल ओपन होकर नहर बन जाता है. नहर की कुल लंबाई 404 किलोमीटर है, जो जगह-जगह पर पानी देगा. वर्तमान में कोनार टनल में पानी छोड़े जाने से कोनार सिंचाई परियोजना के अंतर्गत 26 गांव के 3401 हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी.

Intro:किसान को स्वावलंबी बनाने की योजना जो 1978 से शुरू हुई आज 2019 में पूरी हो गई। किसानों के खेत में 28 अगस्त से सिंचाई का पानी पहुंचेगा। मुख्यमंत्री रघुवर दास कुमार सिंचाई परियोजना स्थल पर पहुंचकर इस योजना का विधिवत शुरुआत भी करेंगे। कहा जाए तो 28 अगस्त हजारीबाग बोकारो और गिरिडीह के 400 गांवों के किसानों का जीवन में हरित क्रांति लाएगी। जिसका दूरगामी परिणाम देखने को मिलेगा।


Body:देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने जिस योजना की आधारशिला रखी थी उस पर योजना को 40 साल बाद झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास के कार्यकाल में पूरा होने जा रहा है। यह सिंचाई परियोजना दामोदर घाटी कॉरपोरेशन का ही अंग है ।परियोजना की आधारशिला 1976 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने रखी थी। एकीकृत झारखंड बिहार का यह पहला बहुउद्देशीय परियोजना था। लेकिन समय बितता चला गया और योजना धरातल पर नहीं उतरी। अंततः केंद्र और राज्य सरकार के अथक प्रयास के बाद यह योजना धरातल पर उतर आई है।

योजना के धरातल पर उतरने के बाद यहां के किसान काफी खुश है। उनका कहना है कि बचपन में उन्होंने इसकी आधारशिला देखी थी और अब बुढ़ापा आने को है योजना की शुरुआत हो रही है ।उनका कहना है कि इस योजना के धरातल पर आने से खेती में गुणात्मक सुधार होगा और खेत भी लाल आएंगे जिससे किसानों की आय दोगुनी होगी।

यहां के स्थानीय पत्रकार ही बताते हैं कि इस योजना को धरातल उतारने के लिए काफी परिश्रम करना पड़ा और कई बार योजना शुरू हुई और बंद हुई। इस योजना के आने से किसानों को तो फायदा होगा ही। लेकिन सबसे अहम बात है कि स्थानीय किसान जिनकी जमीन के अंदर से या टनल गुजरी है वहां की किसानों को लाभ नहीं मिलेगा। क्योंकि वहां सिंचाई की व्यवस्था नहीं की गई है। अगर लिफ्ट इरिगेशन किया जाए तो स्थानीय किसानों को भी इसका फायदा मिलेगा।

इस बाबत हजारीबाग के उपायुक्त भुवनेश प्रताप सिंह ने भी कहां है कि यह सरकार और प्रशासन के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। प्रधानमंत्री ने जो सपना देखा था कि हर खेत में हरा भरा हो, यह उसका अंग है । हजारीबाग बोकारो गिरिडीह के गांव को इसका फायदा मिलेगा।

byte.... भुवनेश प्रताप सिंह, उपायुक्त, हजारीबाग
byte... तालु महतो, स्थानीय किसान, लाल पगड़ी
byte.... महेंद्र महतो, स्थानीय किसान ,सफेद गंजी में
byte.... शिव पांडे, स्थानीय पत्रकार, चश्मा लगाए हुए


योजना....

झारखंड का महत्वाकांक्षी कोनार सिंचाई परियोजना दक्षिण दिशा से बहकर उत्तर की तरह प्रवाहित होकर 3 जिले में 62895 हेक्टेयर जमीन सिंचित करेगा। जिसमें खरीफ फसल 49 हजार 270 रवि फसल 13626 हेक्टेयर है ।जिसमें हजारीबाग के बिष्णुगढ़ प्रखंड का 20 गांव, गिरिडीह जिले का प्रखंड डुमरी का 31 गांव, गिरिडीह जिला का ही बगोदर का 31 गांव शामिल है। वही बोकारो का नावाडीह प्रखंड के 3 गांव इस परियोजना का लाभ उठा पाएंगे।

कुनार सिंचाई परियोजना का कार्य प्रारंभ 1978 में हुआ था। इस समय बिहार के तत्कालीन राज्यपाल जगन्नाथ कौशल ने आधारशिला रखी थी। कार्य पूर्ण करने के लिए ₹12 करोड की प्राकृत राशि तय की गई थी। जो आज बढ़कर 2176 सौ करोड़ हो गई।

1978 से काम शुरू हुआ और 1989 तक काम चला। इसके बाद लंबे अंतराल के बाद 2003 में झारखंड में भाजपा की सरकार बनी तो तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने बंद टनल का कार्य शुरू करवाने की अनुमति दी। इसके बाद फिर उस दिन काम चला और काम बंद हो गया। 2012 में फिर से निविदा निकाली गई। मुंबई के बालीचा कंपनी को कार्य दिया गया। जो काम 2019 के अक्टूबर में समाप्त किया। सूबे के मुख्यमंत्री रघुवर दास 28 अगस्त को बिल्हनडी में और इसका उद्घाटन करेंगे।

अंडरग्राउंड नहर की कुल लंबाई लगभग 6 किलोमीटर है जबकि चौड़ाई साडे 6 मीटर और ऊंचाई भी साडे 6 मीटर है इसके बाद रखवा गांव के पास टनल ओपन होकर नहर बन जाती है नहर की कुल लंबाई 404 किलोमीटर है जो जगह जगह पर पानी देगा

वर्तमान में कुणाल टनल में पानी छोड़े जाने से कुणाल सिंचाई परियोजना के अंतर्गत 26 गांव के 3401 हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी।





Conclusion:कहा जाए तो 40 साल का सफर आज समाप्त हुआ और योजना धरातल पर आई। भले ही योजना आने में काफी विलंब हुआ लेकिन इसका फायदा जब किसानों को मिलेगा तो वह दुख भी किसान जरूर भूल जाएंगे।

गौरव प्रकाश ईटीवी भारत हजारीबाग
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