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कोल साइडिंग के विरोध में महाआंदोलन, थम गए हजारों हाइवा के पहिये, प्रशासन मूकदर्शक

हजारीबाग के बानादाग कोल साइडिंग को लेकर विरोध प्रदर्शन का दौर आज से शुरू हुआ है. किसानों के इस आंदोलन से कोयला ढुलाई ठप है. किसानों और रैयतों का साफ कहना है कि कंपनी हम पर अंग्रेजों की तरह शासन करना चाहती है.

protest against coal siding in hazaribag
कोल साइडिंग के विरोध में महाआंदोलन
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Published : Oct 5, 2021, 1:49 PM IST

Updated : Oct 5, 2021, 2:18 PM IST

हजारीबागः जिले के कटकमदाग कोल साइडिंग को लेकर विरोध प्रदर्शन का दौर आज से शुरू हुआ है. अब 5 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन ट्रेन रोको अभियान ग्रामीण करने का एलान किया है. प्रभावित किसानों ने बेरोजगार संघर्ष समिति के बैनर तले बड़े स्तर पर विरोध करने की रणनीति बना ली है. पहले दिन बानादाग कोल साइडिंग पर किसान, रैयत और राजनेता धरना पर हैं, तो दूसरी ओर कुसुंभा के ग्रामीणों ने सड़क पर उतर कर यातायात प्रभावित कर दिया है. जिससे हजारों की संख्या में कोयला लदा हुआ हाइवा सड़क पर खड़े हो गए हैं.

ये भी पढ़ेंः हजारीबाग में कोल स्लाइडिंग को लेकर बढ़ा राजनीतिक पारा, सांसद ने इस्तीफा देने तक की कही बात

हजारीबाग बानादाग कोल साइडिंग इन दिनों काफी सुर्खियों में है. आलम यह है कि इस साइडिंग में सांसद जयंत सिन्हा का नाम ग्रामीणों के द्वारा लेने पर सांसद ने संलिप्तता साबित होने पर राजनीति से संन्यास लेने की बात तक कह दी थी. ग्रामीणों ने 5 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन महाआंदोलन की शुरुआत की है. प्रभावित किसान, बेरोजगार संघर्ष समिति बानादाग, कुसुंभा, कटकमदाग, बाका के रैयत, किसान और राजनेता बानादाग कोल साइडिंग पर धरने में हैं. वही कुसुंम्भा के ग्रामीण ने सड़क जाम कर विरोध के आवाज को बुलंद किया है. कोयला रैक लगना भी प्रभावित हुआ है. हजारीबाग से कई ऊर्जा संयंत्र को कोयला आपूर्ति की जाती है. हजारीबाग में महाआंदोलन के दौरान यह ऐलान किया गया है कि कोयला यहां से नहीं जाने दिया जाएगा, जब तक मांग पूरी नहीं होती है.

जानकारी देते संवाददाता
महत्वपूर्ण बात यह है कि पिछले 5 दिन पहले ही इस आंदोलन की रूपरेखा तैयार की गई थी. लेकिन इसके बावजूद प्रशासन के द्वारा कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई. प्रखंड विकास पदाधिकारी कटकमदाग शालिनी खलखो इस अव्यवस्था पर कुछ भी कहने को तैयार नहीं हुई और कहती रही कि मैं ऑन ड्यूटी हूं.वहीं ग्रामीणों का कहना है कि पिछले 6 सालों से हम लोग काफी परेशान हैं. आलम यह है कि पदाधिकारी से लेकर कंपनी के लोगों के पास आवेदन देकर थक गए हैं. लेकिन हमारी सुनने वाला कोई नहीं है. हमारे खेत अब बंजर हो जा रहे हैं. कोल साइडिंग से निकला पानी खेतों में पहुंच रहा है. जिससे क्षेत्र में अब खेती करना संभव नहीं है. जो भी फसल तैयार होता है वह काला हो जाता है. वहीं बड़े-बड़े हाइवा हमारे गांव से होकर गुजरते हैं. जिससे प्रदूषण भी फैल रहा है. आए दिन दुर्घटना भी हो रही है. यही नहीं हम लोगों को उचित मुआवजा भी नहीं मिला है और ना ही कंपनी ने जो आश्वासन दिया था कि नौकरी दी जाएगी वह भी मिली. कंपनी अब हम लोगों की बची हुई जमीन अधिग्रहित करना चाहती है. ऐसे में कंपनी अंग्रेज की तरह हम लोगों पर शासन करना चाहती है. इस कारण हम लोग सड़क पर उतर कर विरोध दर्ज करा रहे हैं.

हजारीबागः जिले के कटकमदाग कोल साइडिंग को लेकर विरोध प्रदर्शन का दौर आज से शुरू हुआ है. अब 5 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन ट्रेन रोको अभियान ग्रामीण करने का एलान किया है. प्रभावित किसानों ने बेरोजगार संघर्ष समिति के बैनर तले बड़े स्तर पर विरोध करने की रणनीति बना ली है. पहले दिन बानादाग कोल साइडिंग पर किसान, रैयत और राजनेता धरना पर हैं, तो दूसरी ओर कुसुंभा के ग्रामीणों ने सड़क पर उतर कर यातायात प्रभावित कर दिया है. जिससे हजारों की संख्या में कोयला लदा हुआ हाइवा सड़क पर खड़े हो गए हैं.

ये भी पढ़ेंः हजारीबाग में कोल स्लाइडिंग को लेकर बढ़ा राजनीतिक पारा, सांसद ने इस्तीफा देने तक की कही बात

हजारीबाग बानादाग कोल साइडिंग इन दिनों काफी सुर्खियों में है. आलम यह है कि इस साइडिंग में सांसद जयंत सिन्हा का नाम ग्रामीणों के द्वारा लेने पर सांसद ने संलिप्तता साबित होने पर राजनीति से संन्यास लेने की बात तक कह दी थी. ग्रामीणों ने 5 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन महाआंदोलन की शुरुआत की है. प्रभावित किसान, बेरोजगार संघर्ष समिति बानादाग, कुसुंभा, कटकमदाग, बाका के रैयत, किसान और राजनेता बानादाग कोल साइडिंग पर धरने में हैं. वही कुसुंम्भा के ग्रामीण ने सड़क जाम कर विरोध के आवाज को बुलंद किया है. कोयला रैक लगना भी प्रभावित हुआ है. हजारीबाग से कई ऊर्जा संयंत्र को कोयला आपूर्ति की जाती है. हजारीबाग में महाआंदोलन के दौरान यह ऐलान किया गया है कि कोयला यहां से नहीं जाने दिया जाएगा, जब तक मांग पूरी नहीं होती है.

जानकारी देते संवाददाता
महत्वपूर्ण बात यह है कि पिछले 5 दिन पहले ही इस आंदोलन की रूपरेखा तैयार की गई थी. लेकिन इसके बावजूद प्रशासन के द्वारा कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई. प्रखंड विकास पदाधिकारी कटकमदाग शालिनी खलखो इस अव्यवस्था पर कुछ भी कहने को तैयार नहीं हुई और कहती रही कि मैं ऑन ड्यूटी हूं.वहीं ग्रामीणों का कहना है कि पिछले 6 सालों से हम लोग काफी परेशान हैं. आलम यह है कि पदाधिकारी से लेकर कंपनी के लोगों के पास आवेदन देकर थक गए हैं. लेकिन हमारी सुनने वाला कोई नहीं है. हमारे खेत अब बंजर हो जा रहे हैं. कोल साइडिंग से निकला पानी खेतों में पहुंच रहा है. जिससे क्षेत्र में अब खेती करना संभव नहीं है. जो भी फसल तैयार होता है वह काला हो जाता है. वहीं बड़े-बड़े हाइवा हमारे गांव से होकर गुजरते हैं. जिससे प्रदूषण भी फैल रहा है. आए दिन दुर्घटना भी हो रही है. यही नहीं हम लोगों को उचित मुआवजा भी नहीं मिला है और ना ही कंपनी ने जो आश्वासन दिया था कि नौकरी दी जाएगी वह भी मिली. कंपनी अब हम लोगों की बची हुई जमीन अधिग्रहित करना चाहती है. ऐसे में कंपनी अंग्रेज की तरह हम लोगों पर शासन करना चाहती है. इस कारण हम लोग सड़क पर उतर कर विरोध दर्ज करा रहे हैं.
Last Updated : Oct 5, 2021, 2:18 PM IST
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