हजारीबागः पर्यावरण दिवस के अवसर पर जगह-जगह कार्यक्रम आयोजित किए गए और पौधारोपण किया गया, ताकि पर्यवरण और वातारण को संरक्षित किया जा सके. आजकल यह परंपरा बन गई है कि किसी भी कार्यक्रम की शुरुआत में पौधारोपण किया जाता है. लेकिन आपने कभी गौर किया है कि जो पौधा कार्यक्रम या फिर विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर लगाए गए उसका क्या हाल है. तो हम आपको उसके बारे में बताते हैं. हजारीबाग के नवनिर्मित समाहरणालय भवन के पीछे, कई मौके पर मंत्री और पदाधिकारी मिलकर बड़े उत्साह से पौधारोपण किया और तस्वीरें खिंचावाई, लेकिन आज एक भी पौधा जीवित नहीं है.
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अब कोई आगंतुक पहुंचते भी हैं तो उनका स्वागत भी पौधा देकर किया जाता है. हजारीबाग में नवनिर्मित समाहरणालय के पीछे कार्यक्रम के दौरान पौधरोपण किया गया. जब समाहरणालय का उद्घाटन हुआ तो झारखंड सरकार के मंत्री भी पहुंचे. इन लोगों ने पौधा लगाया और अपनी तस्वीर खिंचवाई. पदाधिकारियों ने भी पौधे लगाए, लेकिन एक भी पौधा जीवित नहीं है. इसकी वजह है कि समुचित देखरेख नहीं की गई.
इतना ही नहीं, समाहरणालय सुंदर दिखे. इसे लेकर लाखों रुपये खर्च कर पौधारोपण करवाया गया. इसमें एक से बढ़कर एक पेड़-पौधे लगाए गए. लेकिन कोई भी पौधा आज दिखता नहीं है. गर्मी की वहज से सभी पौधे सूख चुके हैं. इसका सुध लेने वाला कोई नहीं है. मिली जाकनारी के अनुसार किसी बड़े फर्म को इसकी जिम्मेदारी दी गई थी. लेकिन किसी ने अपनी जिम्मेदारी नहीं निभाई. समाहरणालय के अगले हिस्से में उपायुक्त से लेकर सभी वरीय पदाधिकारियों का दफ्तर है. इस लिए अगला हिस्सा हरा-भरा दिखता है. लेकिन पिछले हिस्से में ना अधिकारी आते हैं और ना ही उसकी जानकारी लेते हैं. इस कारण पटवन नहीं होता और पौधे मर रहे हैं.
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर उपायुक्त नैंसी सहाय ने समाहरणालय परिसर में पौधरोपण किया. लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि भवन के पिछले ना जाने कितने पौधे मर रहे हैं. ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि अगर आप पौधे लगाते हैं तो उनकी रक्षा करें. तभी आपका पौधारोपण का उद्देश्य पूरा होगा.