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जानिए आखिर छात्र कैसे करते हैं बौद्धिक चोरी, सजा को लेकर ये हैं प्रावधान

छात्र पीएचडी करता है और रिसर्च जमा करता है. बाद में जब थीसिस पर विचार किया जाता है, तो पता चलता है यह चोरी किया हुआ है. आखिर इसे कैसे रोका जाए. इस विषय को लेकर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और छात्रों ने तमाम बिंदुओं पर चर्चा की. इसके साथ ही बौद्धिक चोरी का क्या इफ़ेक्ट पड़ता है और इसे किस कैटेगरी में रखा जाए इस पर भी चर्चा की गई.

हजारीबाग में सेमिनार
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Published : May 11, 2019, 10:54 PM IST

हजारीबाग: पीएचडी थीसिस लिखने के दौरान छात्र बौद्धिक चोरी करते हैं. जिसे रोकने के लिए एक सेमिनार का आयोजन विनोबा भावे विश्वविद्यालय परिसर में किया गया. यहां प्रोफेसर और छात्रों ने हिस्सा लिया और जानने की कोशिश की कि आखिर बौद्धिक चोरी होती क्या है और इसे कैसे रोका जा सकता है.

वीडियो में देखें पूरी खबर

सेमिनार में रिसर्च स्कॉलर और छात्रों ने ओपन डिस्कशन किया. छात्र पीएचडी करता है और रिसर्च जमा करता है. बाद में जब थीसिस पर विचार किया जाता है, तो पता चलता है यह चोरी किया हुआ है. आखिर इसे कैसे रोका जाए. इस विषय को लेकर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और छात्रों ने तमाम बिंदुओं पर चर्चा की. इसके साथ ही बौद्धिक चोरी का क्या इफ़ेक्ट पड़ता है और इसे किस कैटेगरी में रखा जाए इस पर भी चर्चा की गई. हाल के दिनों में यूजीसी ने एक गाइडलाइन जारी की है, जिसके तहत कार्रवाई करने का भी प्रावधान है.

सेमिनार के आयोजक ने बताया कि यह छात्रों के लिए काफी महत्वपूर्ण है कि वो जाने की आखिर बौद्धिक चोरी क्या है और कैसे इसे रोका जा सके. कॉलेज के प्रोफेसर का यह भी कहना है कि अगर छात्र चोरी करके थीसिस जमा करते हैं, तो इसका कोई फायदा भी शिक्षा जगत में नहीं हो सकता है. इसलिए छात्रों को इसकी जानकारी होनी चाहिए.

करीब 60 फीसदी थीसिस चोरी पर डिग्री रद्द करने की बात भी कही गई है. नए नियम के तहत अब बौद्धिक चोरी का स्तर भी विभाजित किया गया है. 10 फ़ीसदी चोरी पर कोई जुर्माना नहीं लगेगा. 10 से 40 फीसदी साहित्यिक चोरी पर उक्त शोधकर्ता को 6 महीने के अंदर दोबारा शोध पत्र तैयार करना होगा. 40 से 60 फ़ीसदी साहित्यिक चोरी पर 1 साल के लिए छात्र को डिबार किया जा सकता है. जबकि 60 फ़ीसदी के ऊपर छात्र का रजिस्ट्रेशन रद्द हो सकता है.

हजारीबाग: पीएचडी थीसिस लिखने के दौरान छात्र बौद्धिक चोरी करते हैं. जिसे रोकने के लिए एक सेमिनार का आयोजन विनोबा भावे विश्वविद्यालय परिसर में किया गया. यहां प्रोफेसर और छात्रों ने हिस्सा लिया और जानने की कोशिश की कि आखिर बौद्धिक चोरी होती क्या है और इसे कैसे रोका जा सकता है.

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सेमिनार में रिसर्च स्कॉलर और छात्रों ने ओपन डिस्कशन किया. छात्र पीएचडी करता है और रिसर्च जमा करता है. बाद में जब थीसिस पर विचार किया जाता है, तो पता चलता है यह चोरी किया हुआ है. आखिर इसे कैसे रोका जाए. इस विषय को लेकर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और छात्रों ने तमाम बिंदुओं पर चर्चा की. इसके साथ ही बौद्धिक चोरी का क्या इफ़ेक्ट पड़ता है और इसे किस कैटेगरी में रखा जाए इस पर भी चर्चा की गई. हाल के दिनों में यूजीसी ने एक गाइडलाइन जारी की है, जिसके तहत कार्रवाई करने का भी प्रावधान है.

सेमिनार के आयोजक ने बताया कि यह छात्रों के लिए काफी महत्वपूर्ण है कि वो जाने की आखिर बौद्धिक चोरी क्या है और कैसे इसे रोका जा सके. कॉलेज के प्रोफेसर का यह भी कहना है कि अगर छात्र चोरी करके थीसिस जमा करते हैं, तो इसका कोई फायदा भी शिक्षा जगत में नहीं हो सकता है. इसलिए छात्रों को इसकी जानकारी होनी चाहिए.

करीब 60 फीसदी थीसिस चोरी पर डिग्री रद्द करने की बात भी कही गई है. नए नियम के तहत अब बौद्धिक चोरी का स्तर भी विभाजित किया गया है. 10 फ़ीसदी चोरी पर कोई जुर्माना नहीं लगेगा. 10 से 40 फीसदी साहित्यिक चोरी पर उक्त शोधकर्ता को 6 महीने के अंदर दोबारा शोध पत्र तैयार करना होगा. 40 से 60 फ़ीसदी साहित्यिक चोरी पर 1 साल के लिए छात्र को डिबार किया जा सकता है. जबकि 60 फ़ीसदी के ऊपर छात्र का रजिस्ट्रेशन रद्द हो सकता है.

Intro:आपने चोरी को लेकर कई तरह की बातें सुनी होगी। शायद बौद्धिक चोरी को लेकर बात पहली बार सोने जा रहे हैं।
चोरी रोकने की जिम्मेदारी पुलिस की होती है। लेकिन विनोबा भावे विश्वविद्यालय अब ऐसी चोरी पर रोक लगाने की कोशिश कर रही है जिससे पढ़े-लिखे विद्वान लोग करते हैं।


Body:दरअसल पीएचडी थीसिस लिखने के दौरान छात्र चोरी करते हैं। जिसे रोकने के लिए सेमिनार का आयोजन विनोबा भावे विश्वविद्यालय परिसर में किया गया। यहां प्रोफेसर और छात्रों ने हिस्सा लिया और जानने की कोशिश की बौद्धिक चोरी होती क्या है और इसे कैसे रोका जा सके।

सेमिनार में रिसर्च स्कॉलर और छात्रों ने भी हिस्सा लिया। जहां ओपन डिस्कशन किया गया अगर छात्र पीएचडी करता है और रिसर्च जमा करता है बाद में जब थिसीस पर विचार किया जाता है तो पता चलता है यह चोरी किया हुआ है। आखिर इसे कैसे रोका जाए इस विषय को लेकर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और छात्रों ने तमाम बिंदुओं पर चर्चा किया। साथ ही साथ बौद्धिक चोरी का क्या इफ़ेक्ट पड़ता है और इसे किस कैटेगरी में रखा जाए इस विषय पर भी चर्चा की गई। क्योंकि हाल के दिनों में यूजीसी ने एक गाइडलाइन जारी किया है उसके तहत कार्रवाई करने का भी प्रावधान है।

सेमिनार की आयोजक ने बताया कि यह छात्रों के लिए काफी महत्वपूर्ण है कि वह जाने की आखिर बौद्धिक चोरी क्या है और कैसे इसे रोका जा सके। कॉलेज के प्रोफेसर का यह भी कहना है कि अगर छात्र चोरी करके थिसिस जमा करते हैं तो इसका कोई फायदा भी शिक्षा जगत में नहीं हो सकता है। इसलिए छात्रों को इसकी जानकारी होनी चाहिए।

byte.... अजय शर्मा प्रोफेसर विनोबा भावे विश्वविद्यालय सह संयोजक


Conclusion:60 फिसदी चोरी पर डिग्री रद्करने की बात भी कही गई है। नए नियम के तहत अब बौद्धिक चोरी का स्तर भी विभाजित किया गया है। 10 फ़ीसदी चोरी पर कोई जुर्माना नहीं लगेगा। 10 से 40 फीसदी साहित्यिक चोरी पर उक्त शोधकर्ता को 6 महीने के अंदर दोबारा शोध पत्र तैयार करना होगा ।40 से 60 फ़ीसदी साहित्यिक चोरी पर 1 साल के छात्र को डीबार किया जाएगा। जबकि 60 फ़ीसदी के ऊपर छात्र का रजिस्ट्रेशन रद्द हो सकता है।
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