हजारीबाग: पीएचडी थीसिस लिखने के दौरान छात्र बौद्धिक चोरी करते हैं. जिसे रोकने के लिए एक सेमिनार का आयोजन विनोबा भावे विश्वविद्यालय परिसर में किया गया. यहां प्रोफेसर और छात्रों ने हिस्सा लिया और जानने की कोशिश की कि आखिर बौद्धिक चोरी होती क्या है और इसे कैसे रोका जा सकता है.
सेमिनार में रिसर्च स्कॉलर और छात्रों ने ओपन डिस्कशन किया. छात्र पीएचडी करता है और रिसर्च जमा करता है. बाद में जब थीसिस पर विचार किया जाता है, तो पता चलता है यह चोरी किया हुआ है. आखिर इसे कैसे रोका जाए. इस विषय को लेकर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और छात्रों ने तमाम बिंदुओं पर चर्चा की. इसके साथ ही बौद्धिक चोरी का क्या इफ़ेक्ट पड़ता है और इसे किस कैटेगरी में रखा जाए इस पर भी चर्चा की गई. हाल के दिनों में यूजीसी ने एक गाइडलाइन जारी की है, जिसके तहत कार्रवाई करने का भी प्रावधान है.
सेमिनार के आयोजक ने बताया कि यह छात्रों के लिए काफी महत्वपूर्ण है कि वो जाने की आखिर बौद्धिक चोरी क्या है और कैसे इसे रोका जा सके. कॉलेज के प्रोफेसर का यह भी कहना है कि अगर छात्र चोरी करके थीसिस जमा करते हैं, तो इसका कोई फायदा भी शिक्षा जगत में नहीं हो सकता है. इसलिए छात्रों को इसकी जानकारी होनी चाहिए.
करीब 60 फीसदी थीसिस चोरी पर डिग्री रद्द करने की बात भी कही गई है. नए नियम के तहत अब बौद्धिक चोरी का स्तर भी विभाजित किया गया है. 10 फ़ीसदी चोरी पर कोई जुर्माना नहीं लगेगा. 10 से 40 फीसदी साहित्यिक चोरी पर उक्त शोधकर्ता को 6 महीने के अंदर दोबारा शोध पत्र तैयार करना होगा. 40 से 60 फ़ीसदी साहित्यिक चोरी पर 1 साल के लिए छात्र को डिबार किया जा सकता है. जबकि 60 फ़ीसदी के ऊपर छात्र का रजिस्ट्रेशन रद्द हो सकता है.