हजारीबागः सोहराय झारखंड की अपनी कलाकृति है, जो अब धीरे-धीरे विलुप्त होते जा रही है. ऐसे में हजारीबाग का एक परिवार इस कलाकृति को संजोने की कोशिश कर रहा है. यही नहीं उनकी कोशिश है कि आने वाले पीढ़ियों तक ये पहुंचे.
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भारत सभ्यता और संस्कृति का देश है. जिसने पूरे विश्व को अपने विरासत से अलग पहचान दिया है. ऐसे में विश्व के तमाम ऐसे देश हैं जो हमारे देश पहुंचकर यहां की सभ्यता संस्कृति के बारे में जानकारी दिया और फिर अपने देश में जाकर बताया. इन्ही संस्कृति में एक है सोहराय. सोहराय कला जो पहले गांव की दीवारों पर देखने को मिलती थी. लोग मिट्टी से कलाकृति अपने दीवारों पर बनाते थे. लेकिन धीरे-धीरे हमारे गांव के लोग पाश्चात्य सभ्यता की ओर बढ़ते चले गए और इस कलाकृति का रंग धुंधला होता गया.
हजारीबाग का पद्मश्री बुलु इमाम ने इस सभ्यता और संस्कृति को पूरे विश्व में पहचान दी. बाद में उनके बेटे और बहू ने इस संस्कृति को आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाया. बहू ने सोहराय कला महिला विकास सहयोग समिति लिमिटेड की स्थापना की और धीरे-धीरे यह संस्कृति अब अपने पुराने अस्तित्व में पहुंच रहा है. महत्वपूर्ण यह है कि कलाकृति एक पीढ़ी से यह दूसरी पीढ़ी तक पहुंचे. ऐसे में अलका इमाम अब छात्र छात्राओं को इस कलाकृति के बारे में बता रहे हैं. यही नहीं उसे कैसे उकेरा जाए पन्नों पर दीवारों पर इसकी जानकारी दे रहे हैं.
![Padmashree Bulu Imam family preserving Sohrai artwork in Hazaribag](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/jh-haz-01-sohrai-pkg-7204102_22102021120835_2210f_1634884715_611.jpg)
इस बाबत वर्कशॉप का भी आयोजन किया गया है. जहां स्कूल के छात्र-छात्राएं पहुंचकर इसे समझ रहे हैं. यही नहीं एमबीए किए हुए छात्र भी अब इसे समझने की कोशिश कर रहा है कि विश्व पटल पर इसे एक अलग पहचान दिया जा सके, जिससे रोजगार की संभावना भी खुले. अलका इमाम ईटीवी भारत के साथ खास बातचीत में कहा कि दुख होता है कि हमारी संस्कृति और कला के साथ खिलवाड़ हो रहा है.
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सोहराय कला खुशी का प्रतीक है. खासकर दीपावली के समय गांव में घर की सफाई करने के बाद दीवारों पर इसे बनाया जाता है. जिसमें अनाज, पशु, पक्षी को दर्शाया जाता है. यह हमारी संस्कृति का परिचायक है. लेकिन वर्तमान समय में लोग इसे भूलते जा रहे हैं. गांव में भी अब बहुत कम ही यह कलाकृति दिखती है. इस कारण हमने सोचा कि क्यों ना नई पीढ़ी को इस से रूबरू कराया जाए. इसे देखते हुए हम लोगों ने ट्रेनिंग शुरू की है, जिसमें कोई भी व्यक्ति आकर जानकारी ले सकता है.
![Padmashree Bulu Imam family preserving Sohrai artwork in Hazaribag](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/jh-haz-01-sohrai-pkg-7204102_22102021120835_2210f_1634884715_291.jpg)
वैसे तो पद्मश्री बुलु इमाम ने गांव की इस कलाकृति को बाहर निकाल कर शहर तक लाया. इसके बाद कई ऐसे देश हैं जहां आर्ट गैलरी में भी इसे जगह मिली. हाल में फ्रांस की आर्ट गैलरी में यह कलाकृति झारखंड की शोभा बढ़ा रही है. यही नहीं हजारीबाग के रेलवे स्टेशन में भी इस कलाकृति को उकेरा गया है. मन की बात में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस रेलवे स्टेशन का जिक्र किया है. ऐसे में निसंदेह जरूरत है धीरे-धीरे इस कलाकृति के बारे में लोगों को बताना समझाना ताकि फिर से अपनी खूबसूरती के साथ नजर आए.