हजारीबाग: विश्व एड्स दिवस पहली बार 1 दिसंबर 1988 को मनाया गया था. इसे मनाने का उद्देश्य एचआईवी या एड्स से ग्रसित लोगों की मदद करना और एड्स से जुड़े मिथ को दूर करते हुए लोगों को जागरूक करना है. हजारीबाग का विष्णुगढ़ को पूरे झारखंड में एड्स की राजधानी के रूप में जाना जाता था. लेकिन अब यह सुखद खबर है कि यहां संक्रमित मरीजों की संख्या में कमी हो रही है. पहले जहां प्रत्येक महीने संक्रमित मरीजों की संख्या 50 के आसपास हुआ करती थी. वह अब घटकर प्रतिवर्ष 25 से 30 के बीच पहुंच गई है.
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झारखंड राज्य एड्स कंट्रोल सोसायटी के रिपोर्ट के अनुसार सर्वाधिक एचआईवी संक्रमित मरीज राज्य में हजारीबाग से मिले हैं. वहीं दूसरा स्थान रांची का है. झारखंड राज्य एड्स कंट्रोल सोसाइटी यानी जेसैक की रिपोर्ट के मुताबिक 2002 से लेकर 2019 तक किए गए सर्वे में पता चला है कि राज्य में 23270 लोग एचआईवी पॉजिटिव हैं. रिपोर्ट के मुताबिक सर्वाधिक 5259 मरीज हजारीबाग जिले में पाए गए हैं. वहीं राजधानी रांची एचआईवी पॉजिटिव मरीजों के माले में दूसरे नंबर पर है. हालांकि खुशी की बात ये है कि संक्रमित मरीजों की संख्या अब कम होने लगी है.
कम हो रही एड्स संक्रमित मरीजों की संख्या
हजारीबाग में संक्रमित मरीजों की संख्या की जो रफ्तार थी उसमें कमी देखने को मिल रही है. खासकर विष्णुगढ़ जिसकी पहचान एड्स की राजधानी के रूप में थी. जहां प्रत्येक महीने 2 दर्जन से अधिक संक्रमित मरीज मिलते थे. वहां अब साल में 16 से 17 संक्रमित मरीज पिछले 2 सालों से मिल रहे हैं. ऐसे में यह आंकड़ा अब राहत देने वाला है. विष्णुगढ़ स्वास्थ्य केंद्र में सेवा देने वाली महिला स्वास्थ्यकर्मी वेरोनिका तिर्की बताती हैं कि लोगों में जागरूकता आई है. इसके कारण ग्राफ में गिरावट हो रही है.
एक लैब टेक्नीशियन के भरोसे विष्णुगढ़
विष्णुगढ़ में महज एक लैब टेक्नीशियन के जरिए ही पूरे क्षेत्र पर नजर रखा जा रहा है. लैब टेक्नीशियन ही संक्रमित मरीजों काउंसलिंग करती हैं. उनका कहना है कि पिछले 10 साल से अकेले ही पूरा काम संभाल रही हूं. ऐसे में जो मेरा काम है वह प्रभावित हो जाता है. अगर काउंसलिंग करने वाले कर्मियों की संख्या अधिक होती तो मरीजों को अधिक से अधिक लाभ मिलता.
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हजारीबाग में 7500 एड्स मरीज
हजारीबाग में सेवा देने वाले ऐड्स कंट्रोल सोसायटी विमल बताते हैं कि पिछले 10 साल का अगर रिकॉर्ड देखा जाए तो एचआईवी संक्रमित मरीजों की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है. इसका एक मात्र कारण जागरूकता है. विभिन्न माध्यम के जरिए ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को जागरूक किया जा रहा है. वर्तमान समय में लगभग 7500 चिन्हित संक्रमित मरीज हजारीबाग में है. जिनमें 3000 मरीजों का दवा चल रहा है. शेष अन्य संक्रमित दूसरे जगह काम करने के लिए चले गए. इसलिए दवा लेने यहां पहुंचते नहीं है.
प्रशासनिक उदासीनता से नहीं मिल रहा मरीजों को सरकारी लाभ
एड्स मरीजों को सरकार की ओर से मदद राशि भी दी जाती है. इसके अलावा उन्हें दवा भी मुहैया कराया जाता है. 1000 प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य लाभ के लिए दिया जाता है. लेकिन वर्तमान समय में महज 15% लोगों को ही यह लाभ मिल रहा है. विमल बताते हैं कि अन्य का पेपर तैयार कर आगे भेज दिया गया है. लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के कारण उन लोगों को लाभ नहीं मिल रहा है.
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आंकड़ों पर नजर
आंकड़े बताते हैं कि पहले की तुलना में एड्स मरीजों की संख्या में कमी आई है. इसका मुख्य कारण लोगों में जागरूकता बताया जा रहा है. साल 2008- 10 के बीच लोगों के रक्त की जांच के बाद 90 से 100 एड्स रोगियों को चिन्हित किया गया था. साल 2016-17 में 1 हजार 400 लोगों की खून की जांच हुई. जिसमें 14 रोगी पॉजिटिव पाए गए थे. साल 2018 में 5 हजार रोगियों की जांच की गई. जिसमें पॉजिटिव मरीजों की संख्या 19 पाई गई. वहीं बिष्णुगढ़ प्रखंड में वर्ष 2019-20 में नए संक्रमित मरीज 18 चिन्हित हुए. वहीं अप्रैल 2020 से मार्च 2021 तक 17 नए मरीज मिली. जबकि अप्रैल 2021 से नवंबर 2021 तक कुल नए चिन्हित मरीजों की संख्या 9 रही. वर्तमान में हजारीबाग जिले में 7500 संक्रमित मरीज रजिस्टर्ड हैं.
इन बातों का रखें ख्याल
एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाना और खून चढ़ाने के दौरान एचआईवी इंफेक्टेड ब्लड का इस्तेमाल एचआईवी ग्रसित मां से वायरस बच्चे में जा सकता है. पॉजिटिव मरीज के सिरींज के इस्तेमाल से भी लोग संक्रमित हो सकते है. एड्स एक से अधिक महिलाओं के साथ शारीरिक संबंध बनाने से भी हो सकता है.