हजारीबागः मानसून का सीधा असर मनरेगा योजना पर दिख रहा है. मानसून के कारण अधिकतर मजदूर अपने खेतों में फसल उगाने में लग जाते हैं तो दूसरी ओर डोभा बनाना, ट्रेंच काटना या मिट्टी कोड़ने का काम का काम बाधित हो जाता है. इस कारण मानसून के वक्त अब मनरेगा मजदूरों को शेड निर्माण कार्य के अलावा दीदी-बाड़ी योजना में लगाया जा रहा है ताकि वो रोजगार से जुड़े रहे.
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कोरोना और लॉकडाउन के दौरान ग्रामीण मजदूरों के लिए रोजगार का सबसे बड़ा जरिया मनरेगा योजना बना. जहां प्रवासी मजदूरों से लेकर स्थानीय मजदूरों को रोजगार दी गई, जिससे उनका घर परिवार का पेट पल सका. अब मॉनसून के कारण इनकी संख्या में गिरावट भी दर्ज की जा रही है. मॉनसून की वजह से अधिकतर मजदूर गांव में ही खेती-बाड़ी के काम में लग जाते हैं, इस कारण फिलहाल इनकी संख्या में गिरावट दर्ज की जा रही है.
हजारीबाग उप विकास आयुक्त अभय कुमार सिन्हा भी बताते हैं कि मनरेगा के तहत मजदूरों की संख्या घटी जरूर है. लेकिन हम लोग इन्हें अब अलग तरह के काम में लगा रहे हैं. क्योंकि बरसात के वक्त डोभा निर्माण नहीं हो सकता, साथ ही साथ ट्रेंच भी नहीं काटा जा सकता है या फिर मिट्टी कोड़ाई का काम भी नहीं हो सकता है. इससे देखते हुए अब उन्हें बकरी पालन के लिए, शेड निर्माण, दीदी-बाड़ी समेत अन्य योजना में लगाया जा रहा है, जिससे उन्हें रोजगार मिलता रहे.