हजारीबाग: जिले के बानादाग कोल साइडिंग (Banadag Col Siding) से 5 दिनों के बाद कोयले का परिचालन शुरू हुआ. कोयले का परिचालन बंद होने से 5 दिनों में लगभग 30 करोड का नुकसान होने की आशंका है. वहीं 1 दर्जन से अधिक विद्युत संयंत्रों में कोयला नहीं पहुंच पा रहा था. धरना दे रहे ग्रामीणों पर लाठीचार्ज के बाद पुलिस ने अपनी उपस्थिति में सभी गाड़ियों को सुरक्षित बानादाग साइडिंग में पहुंचाने का काम शुरू करा दिया है.
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पूरा देश इन दिनों कोयला संकट के दौर से गुजर रहा है. इसके कारण बिजली उत्पादन में भी समस्या हो रही है. यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर कोयले की आपूर्ति नहीं हो पाई तो ब्लैकआउट की समस्या भी हो सकती है. बिजली उत्पादन में हजारीबाग का बड़कागांव भी अहम स्थान रखता है. जहां से देश के कई परियोजना में कोयले की आपूर्ति होती है. लेकिन पिछले 5 दिनों से हजारीबाग से कोयला नहीं जा पाया था. जिसके कारण भी बड़ी समस्या उत्पन्न हो रही है. 5 दिनों से यहां ग्रामीण आंदोलनरत थे. जिसके कारण कोयले का उठाव नहीं हो पा रहा था. लेकिन रविवार से प्रशासन के दबाव के बाद कोयले का उठाव शुरू हो गया. कोयला उठाव शुरू कराने के लिए पुलिस को ग्रामीणों पर लाठीचार्ज करना पड़ा. प्रत्येक दिन इस कोल साइडिंग से 7 से 8 रैक कोयला देश के कई जगहों पर सप्लाई की जाती है.
एनटीपीसी को करोड़ों का नुकसान
5 अक्टूबर से कोयले की लोडिंग नहीं होने के कारण सिर्फ एनटीपीसी को 30 करोड़ का नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है. वहीं 5 से 7 करोड़ रुपए का नुकसान रेलवे उठा चुका है. बाढ़, बोंगाईगांव, फरक्का, नवीनगर, कांटी, बरौनी, ऊंचाहार, टंडा, दादरी, सोलापुर, कोरबा समेत अन्य योजनाओं को यहां से कोयला मिलता है.
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कई जगहों पर यहां से भेजा जाता है कोयला
एनटीपीसी पकरी बरवाडीह एक बास्केट माइंस है. इस माइंस से एनटीपीसी के विभिन्न परियोजनाओं को जरूरत के अनुसार कोयला उपलब्ध कराया जाता है. यहां से निकलने वाला कोयला महाराष्ट्र, असम, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, बिहार में मौजूद एनटीपीसी के विद्युत संयंत्रों को भेजा जाता है. कोल साइडिंग बंद होने के कारण इन संयंत्रों को कोयला नहीं मिल पा रहा था.