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विचारों से दोस्तीः खालिद-तापस लावारिश लाशों का ससम्मान करते हैं दाह संस्कार

1 अगस्त को फ्रेंडशिप डे (Friendship Day) मनाया जाता है. इस अवसर पर सभी अपने दोस्तों के साथ अलग-अलग अंदाज में फ्रेंडशिप डे सेलिब्रेट करते हैं, लेकिन हजारीबाग को दो दोस्तों ने इस खास अवसर पर श्मशान घाट और कब्रिस्तान में जाकर दोस्ती का इजहार किया. तापस और खालिद को लावारिश लाशों (Unclaimed Dead Body) से दोस्ती है. दोनों मिलकर लावारिश लाशों का अंतिम संस्कार करते हैं और लाशों को ही दोनों दोस्त मानते हैं.

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दोस्ती की मिसाल
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Published : Aug 1, 2021, 3:53 PM IST

Updated : Aug 1, 2021, 4:42 PM IST

हजारीबाग: 1 अगस्त को हर साल फ्रेंडशिप डे (Friendship Day) मनाया जाता है. जीवन में कई रिश्ते जन्म के साथ ही मिल जाते हैं और कुछ रिश्ते खुद बनाए जाते हैं. उनमें से एक रिश्ता है दोस्ती. इंसानों की जिंदगी कई बार ऐसे भी मौके आते हैं, जब परिवार साथ छोड़ देता है, लेकिन कुछ खास दोस्त उस समय भी अपने दोस्तों का साथ नहीं छोड़ता है. हजारीबाग में दो युवकों ने मुर्दों को अपना खास दोस्त बना लिया है. दोनों को लावारिश लाशों से खास दोस्ती है. जिसका कोई अंतिम संस्कार करने वाला नहीं होता है उसका ये दोनों रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार करते हैं.

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फ्रेंडशिप डे जहां लोग होटल, क्लब, रेस्टोरेंट, पार्क में सेलिब्रेट करते हैं. कई लोग घरों में भी दोस्तों को बुलाकर जश्न मनाते हैं. वहीं खालिद और तापस ने श्मशान घाट और कब्रिस्तान में जाकर फ्रेंडशिप डे मनाया. खालिद और तापस का वैसे मुर्दाों से दोस्ती है, जिनका कोई न हो. दोनों का मानना है कि दोस्ती उससे करो जिसका कोई ना हो और फिर उसे जीवन के अंतिम पड़ाव तक पहुंचाओ, इसलिए हमलोगों ने मुर्दों से दोस्ती की है.

देखें पूरी खबर


कोरोना काल में लावारिश लाशों का किया अंतिम संस्कार


कई इंसानों को जानवर से दोस्ती होती है तो कई लोग पेड़ पौधों से भी दोस्त बनाते हैं, लेकिन हजारीबाग के खालिद और तापस को लावारिश मुर्दों से खास लगाव है. जिले में लावारिस लाशों की जब भी दोनों को खबर मिलती है तो दोनों मिलकर उसका अंतिम संस्कार करते हैं, उसके बाद अस्थियों को गंगा नदी में जाकर प्रवाहित करते हैं. खालिद और तापस हजारीबाग ही नहीं, बल्कि रांची रिम्स के मुर्दाघर में भी पड़े लावारिस लाशों को अंतिम संस्कार करते हैं. जिले में कोरोना संक्रमण के दौरान जब कोई लाशों को कोई छुना नहीं चाहता था, उस वक्त दोनों ने लावारिश लाशों का अंतिम संस्कार किया.

लाशों का दोस्त बनकर करते हैं अंतिम संस्कार

खालिद और तापस बताते हुए हमलोगों की दोस्ती का आधार लावारिश लाश है, हमलोगों ने वर्षों पहले महसूस किया कि किसी को भी लावारिस छोड़ना नहीं चाहिए, क्योंकि जो भी व्यक्ति का जन्म हुआ है, उसका संबंध किसी न किसी के साथ तो अवश्य है, लेकिन परस्थिति के कारण वह लावारिस हो गया. ऐसे में उसका सही दोस्त बनकर लाश का अंतिम संस्कार करना हमारा दायित्व है.

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चंदा लेकर लावारिश लाशों का अंतिम संस्कार


दोनों कहते हैं कि लावारिस शव का अंतिम संस्कार करने में भी पैसे की जरूरत होती है, ऐसे में हमलोग समाज के लोगों से चंदा लेकर यह काम करते हैं. उन्होंने कहा कि हजारीबाग के लोगों ने इस काम में हर वक्त हमलोगों की मदद भी की है, जिसके कारण हम सभी का आभारी हैं. खालिद और तापस ने रोटी बैंक भी बनाया है. दोनों लोगों से रोटी लेकर जरूरतमंदों की मदद करते हैं. दोनों ने मिलकर समाज सेवा की मिसाल कायम की है. उनसे ही प्रेरणा लेकर आज कई लोग लावारिश लाशों का अंतिम संस्कार भी कर रहे हैं, तो कई लोग रोटी बैंक बनाकर लोगों की सेवा कर रहे है. फ्रेंडशिप डे के अवसर पर ईटीवी भारत भी दोनों की दोस्ती को सलाम करता है.

हजारीबाग: 1 अगस्त को हर साल फ्रेंडशिप डे (Friendship Day) मनाया जाता है. जीवन में कई रिश्ते जन्म के साथ ही मिल जाते हैं और कुछ रिश्ते खुद बनाए जाते हैं. उनमें से एक रिश्ता है दोस्ती. इंसानों की जिंदगी कई बार ऐसे भी मौके आते हैं, जब परिवार साथ छोड़ देता है, लेकिन कुछ खास दोस्त उस समय भी अपने दोस्तों का साथ नहीं छोड़ता है. हजारीबाग में दो युवकों ने मुर्दों को अपना खास दोस्त बना लिया है. दोनों को लावारिश लाशों से खास दोस्ती है. जिसका कोई अंतिम संस्कार करने वाला नहीं होता है उसका ये दोनों रीति रिवाज के साथ अंतिम संस्कार करते हैं.

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फ्रेंडशिप डे जहां लोग होटल, क्लब, रेस्टोरेंट, पार्क में सेलिब्रेट करते हैं. कई लोग घरों में भी दोस्तों को बुलाकर जश्न मनाते हैं. वहीं खालिद और तापस ने श्मशान घाट और कब्रिस्तान में जाकर फ्रेंडशिप डे मनाया. खालिद और तापस का वैसे मुर्दाों से दोस्ती है, जिनका कोई न हो. दोनों का मानना है कि दोस्ती उससे करो जिसका कोई ना हो और फिर उसे जीवन के अंतिम पड़ाव तक पहुंचाओ, इसलिए हमलोगों ने मुर्दों से दोस्ती की है.

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कोरोना काल में लावारिश लाशों का किया अंतिम संस्कार


कई इंसानों को जानवर से दोस्ती होती है तो कई लोग पेड़ पौधों से भी दोस्त बनाते हैं, लेकिन हजारीबाग के खालिद और तापस को लावारिश मुर्दों से खास लगाव है. जिले में लावारिस लाशों की जब भी दोनों को खबर मिलती है तो दोनों मिलकर उसका अंतिम संस्कार करते हैं, उसके बाद अस्थियों को गंगा नदी में जाकर प्रवाहित करते हैं. खालिद और तापस हजारीबाग ही नहीं, बल्कि रांची रिम्स के मुर्दाघर में भी पड़े लावारिस लाशों को अंतिम संस्कार करते हैं. जिले में कोरोना संक्रमण के दौरान जब कोई लाशों को कोई छुना नहीं चाहता था, उस वक्त दोनों ने लावारिश लाशों का अंतिम संस्कार किया.

लाशों का दोस्त बनकर करते हैं अंतिम संस्कार

खालिद और तापस बताते हुए हमलोगों की दोस्ती का आधार लावारिश लाश है, हमलोगों ने वर्षों पहले महसूस किया कि किसी को भी लावारिस छोड़ना नहीं चाहिए, क्योंकि जो भी व्यक्ति का जन्म हुआ है, उसका संबंध किसी न किसी के साथ तो अवश्य है, लेकिन परस्थिति के कारण वह लावारिस हो गया. ऐसे में उसका सही दोस्त बनकर लाश का अंतिम संस्कार करना हमारा दायित्व है.

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चंदा लेकर लावारिश लाशों का अंतिम संस्कार


दोनों कहते हैं कि लावारिस शव का अंतिम संस्कार करने में भी पैसे की जरूरत होती है, ऐसे में हमलोग समाज के लोगों से चंदा लेकर यह काम करते हैं. उन्होंने कहा कि हजारीबाग के लोगों ने इस काम में हर वक्त हमलोगों की मदद भी की है, जिसके कारण हम सभी का आभारी हैं. खालिद और तापस ने रोटी बैंक भी बनाया है. दोनों लोगों से रोटी लेकर जरूरतमंदों की मदद करते हैं. दोनों ने मिलकर समाज सेवा की मिसाल कायम की है. उनसे ही प्रेरणा लेकर आज कई लोग लावारिश लाशों का अंतिम संस्कार भी कर रहे हैं, तो कई लोग रोटी बैंक बनाकर लोगों की सेवा कर रहे है. फ्रेंडशिप डे के अवसर पर ईटीवी भारत भी दोनों की दोस्ती को सलाम करता है.

Last Updated : Aug 1, 2021, 4:42 PM IST
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