हजारीबागः जिले के बहोरनपुर में पुरातात्विक विभाग नवंबर महीने से ही उत्खनन का कार्य कर रही है, लेकिन पिछले दिनों जो साक्ष्य मिले हैं वह अब यह स्पष्ट कर रहा है कि इस क्षेत्र का संबंध बौद्ध सर्किट से है. पुरातत्व विभाग की खुदाई में यहां बौद्ध के बड़े सेटलमेंट का पता चला है, विभाग अब काफी जोर-शोर से इस क्षेत्र का अध्ययन भी कर रही है ताकि साक्ष्य के आधार पर आगे की खुदाई हो सके.
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खुदाई के दौरान मिले घंट कूट
जानकारी के अनुसार खुदाई के दौरान घंट कूट मिले हैं जो कठोर पत्थर के बने बताए जा रहे हैं. साथ ही साथ ईंट के बड़े-बड़े दीवार भी खुदाई के दौरान मिले हैं. इसके अलावा भारी मात्रा में मृदभांड और टूटी हुई मूर्ति के अवशेष भी मिल रहे हैं, जो इस ओर इशारा करते हैं कि आने वाले समय में इस क्षेत्र की विशेष पहचान होने जा रही है.
बौद्ध आराधना स्थल के भी मिले अवशेष
इस क्षेत्र में कई टिले भी हैं, पहले टिले की खुदाई में मिले भवन के अवशेष को बौद्ध आराधना स्थल बताया जा रहा है जिसमें पांच छोटे स्तूप का पत्थर से बना आधार मिला है. उसके ऊपरी हिस्से नहीं मिले हैं जिसकी तलाश की जा रही है. वहीं, इस टीले में खंडित बुद्ध की मूर्ति भी मिली है, साथ ही साथ पाली भाषा में पत्थर पर कुछ लिखा हुआ भी मिला है जो स्पष्ट करता है कि यह क्षेत्र 9 वीं से 10 वीं सदी के बीच काफी अधिक समृद्ध रहा होगा.
लगभग 1000 साल पूराना इतिहास
दूसरे टीले में भी बौद्ध सेटलमेंट का पता चल रहा है. दूसरे टीले में खुदाई के दौरान पत्थर की बनी नाली मिली है. बीच के हिस्से में ईट और उसके किनारे पर दीवार देखने को मिलता है. तीसरे ब्लॉक की खुदाई अभी शुरू नहीं हुई है, लेकिन ऐसा बताया जा रहा है कि उसमें भी कुछ बहुमूल्य ऐतिहासिक धरोहर मिल सकते हैं. पुरातात्विक विभाग पटना के पदाधिकारी का कहना है कि जो साक्ष्य मिल रहे हैं यह स्पष्ट कर रहा है कि यह क्षेत्र पाल वंश के समय काफी अधिक समृद्ध रहा होगा और इसका संबंध सीधे तौर पर बौद्ध काल से है. साथ ही साथ इस क्षेत्र का इतिहास लगभग 1000 वर्ष पूर्व का है.
ऐतिहासिक महत्व
हजारीबाग के स्थानीय पत्रकार और इतिहास के जानकार भी मानते हैं कि इस क्षेत्र मे 200 से 300 लोगों का सकेंद्र रहा होगा. वर्तमान में जो उत्खनन के दौरान स्ट्रक्चर दिख रहे हैं इससे ऐसा प्रतीत होता है कि यह बौद्धों का पूजन स्थल रहा होगा जहां बौद्ध भिक्षु ध्यान लगाते होंगे. यहां पर तीन टीले के अलावा भी तालाब और तालाब के आसपास कुआं का मिलना और उसके आसपास मृदभांड के साथ-साथ टूटी हुई मूर्तियों का बिखरा होना इस ओर इशारा कर रहा है कि इस क्षेत्र का ऐतिहासिक महत्व रहा होगा.
बौद्ध के साथ- साथ जैन धर्म का भी हो सकता है संबंध
दूसरी ओर जैन संप्रदाय के लोग भी यहां उत्सुकता वश उत्खनन का कार्य देखने के लिए पहुंच रहे हैं. उनका मानना है कि यहां बौद्ध धर्म के साथ- साथ जैन धर्म का भी संबंध दिखता है. देखा जाए तो जिस तरह से क्षेत्र में ऐतिहासिक धरोहर मिल रहे हैं यह हजारीबाग को तो पहचान देगा ही साथ ही साथ हजारीबाग पर्यटन के क्षेत्र में भी अपनी विशेष पहचान पूरे विश्व में बनाएगा जिससे जिले में रोजगार का सृजन होगा और जिले का नाम भी. जिस तरह से हजारीबाग में बौद्ध के सिगमेंट मिल रहे हैं, इससे आने वाले समय में इसे बौद्ध सर्किट के रूप में देखा जा सकता है जो हजारीबाग में पर्यटन को भी नया आयाम दिलाएगी.